योग कमेंटरी | मैं ट्रस्टी हूँ
मेरा तन-मन-धन सब बाबा का है… मैं सिर्फ आत्मा हूँ… बाबा की
सबकुछ उसकी अमानत है… उसमे ख्यानत नहीं करनी… सदा उसकी श्रीमत पर चलते रहना है
श्रीमत ही श्रेष्ठ बनाती… जिससे सभी खज़ाने (समय, श्वास, संकल्प) सफल होते… सर्वश्रेष्ठ भाग्य बनता
मैं निमित्त हूँ… करावनहार बाबा है… मेरा भाग्य है, जो मुझे अपनी श्रेष्ठ सेवा के लिए योग्य समझा
सदा बाबा का हाथ और साथ अनुभव कर… निश्चिंत, बेफिक्र हूँ… सदा सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन… शान्ति, प्रेम, आनंद की अनुभुती में उड़ता रहता हूँ… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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