योग कमेंटरी | बादलों पर | Creative Commentary on Clouds

योग कमेंटरी | बादलों पर | Creative Commentary on Clouds

मैं बिल्कुल सफेद-स्वच्छ हूँ… पवित्र-सरल… बाबा को अति प्रिय

बादलों के ऊपर… बापदादा बैठे है… मुझे बुला रहे हैं… आओ बच्चे

मैं फरिश्ता… उड़ चला… अपने खुदा दोस्त के पास… उनके बिल्कुल समीप बैठ गया हूँ

बाबा कहते बदला नहीं लो… बदल के दिखाओ.. मैं ऎसा निर्मल बादल हूँ

नीचे की बातें सब छोटी हो गई है… मैं ऊँची स्थिति में स्थित हूँ… ईश्वरीय ज्ञान-गुण-शक्तियों से भरपूर हो रहा हूँ

मैं सागर से बादल भर गया हूँ… अब सब पर प्यार से बरसना है… सबको यह अविनाशी खज़ाने बांटने है… ओम् शान्ति!


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