योग कमेंटरी | परमधाम रूपी आसमान में

योग कमेंटरी | परमधाम रूपी आसमान में

परमधाम लाल आसमान में… मैं रूहानी सितारा चमक रहा हूँ… ज्ञान सूर्य के समीप

उनकी शीतल किरणें अनुभव करते… मैं बिल्कुल शान्तहल्का हो गया हूँ

यह विशाल परमधाम… मेरा घर है… जब चाहे यहाँ आ सकता

मैं ऊँची स्थिति में स्थित हूँ… नीचे की सब बातें छोटी है… मैं उन्हें सहज परिवर्तन कर सकता

अपने अनादि स्वरूप में… मैं शान्ति-प्रेमआनंद से भरपूर-सम्पन्न हूँ… सबको भी करना है… ओम् शान्ति!


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘परमधाम रूपी आसमान में’

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