योग कमेंटरी | परमधाम रूपी आसमान में
परमधाम लाल आसमान में… मैं रूहानी सितारा चमक रहा हूँ… ज्ञान सूर्य के समीप
उनकी शीतल किरणें अनुभव करते… मैं बिल्कुल शान्त… हल्का हो गया हूँ
यह विशाल परमधाम… मेरा घर है… जब चाहे यहाँ आ सकता
मैं ऊँची स्थिति में स्थित हूँ… नीचे की सब बातें छोटी है… मैं उन्हें सहज परिवर्तन कर सकता
अपने अनादि स्वरूप में… मैं शान्ति-प्रेम–आनंद से भरपूर-सम्पन्न हूँ… सबको भी करना है… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
Thanks for reading this meditation commentary on ‘परमधाम रूपी आसमान में’