योग कमेंटरी | मैं आधार मूर्त हूँ

योग कमेंटरी | मैं आधार मूर्त हूँ

मैं सारे विश्व की आधार मूर्त… उद्धार मूर्त… उदाहरण मूर्त आत्मा हूँ

मेरे श्रेष्ठ वाइब्रेशन… सारे विश्व की आत्माओं को पहुंचते… उनकी पालना करते

मैं पालनहार… पूर्वज… पूज्य आत्मा हूँ

मेरे संकल्प चेहरे पर झलकते… बोल-कर्म सब फोलो करते… मैं हीरो एक्टर, सदा स्टेज पर हूँ

मेरी खुशी, सबको खुश करती… हलचल भी प्रभाव डालती… मेरा अपने पर सम्पूर्ण attention है

मैं सतयुग स्थापन करने की आधर… सतयुगी-दिव्य आत्मा… देव कुल की महान आत्मा हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: नयी उमर की कलियां हो तुम…


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं आधार मूर्त हूँ’

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