योग कमेंटरी | अशरीरी स्थिति का अभ्यास | Practising the Bodyless stage
मैं अशरीरी हूँ… ये देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… मैं एक दिव्य प्रकाश हूँ
(ऊपर से देखते हुए) देह विश्राम कर रहा है… मैं उसको जरा भी use नहीं कर रही हूँ… आँखे भी स्थिर है
मैं देह से बिल्कुल न्यारी हूँ… एक गहरी शान्ति अनुभव हो रही है… मेरे मन-बुद्धि स्थिर हो रहे हैं
अभी शिवबाबा को लंबा समय देख सकती हूँ… उनके गुणों और शक्तियों की किरणें मुझ पर निरन्तर बरस रही है… मैं भरपूर हो रही हूँ… मेरी प्यास बुझ गई है, मैं तृप्त हो चुकी हूँ…
इसी अभ्यास को बीच बीच में करते रहना है… ये देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… जिससे सहज आत्म-अभीमानी बन, शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रहेंगे… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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