योग कमेंटरी | मैं दिव्य दर्शनीय मूर्त आत्मा हूँ | I’m a divine idol of beauty

योग कमेंटरी | मैं दिव्य दर्शनीय मूर्त आत्मा हूँ | I'm a divine idol of beauty image

योग कमेंटरी | मैं दिव्य दर्शनीय मूर्त आत्मा हूँ | I’m a divine idol of beauty

मैं दिव्य दर्शनीय मूर्त आत्मा हूँ… दिव्य श्रृंगारों से सम्पन्न… सुशोभित

स्वयं भगवान ने मुझे दिव्यगुणों से सजाया है… रूहानी साजन बनकर

मेरे मस्तक पर आत्मिक स्मृति का तिलक है… गले में गुणों की माला है… चारों ओर गुणों की खुशबू फैल रही है

मेरे चेहरे पर हर्षितमुखता की लाली है… रूहानी मुस्कान है… अलौकिक सूरत है

मैं बहुत सुन्दर आत्मा हूँ… सम्पूर्ण पवित्र… सर्वगुण सम्पन्न हूँ

मेरे हाथों में परमात्म प्रेम की अंगूठी है… ईश्वरीय मर्यादाओं का कंगन है… हर कदम में पद्मों की कमाई है

मेरे चारों ओर पवित्रता का आभामण्डल है… मैं साक्षात्कार मूर्त आत्मा हूँ

सिर पर विश्व कल्याण का ताज है… मैं डबल ताजधारी हूँ… अभी सो भविष्य में… ओम् शान्ति!

गीत: जगमग हो जगमग हो सतयुग का तेज…


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