योग कमेंटरी | मैं स्वमान-धारी आत्मा हूँ | I’m seated on the seat of self-respect

योग कमेंटरी | मैं स्वमान-धारी आत्मा हूँ | I’m seated on the seat of self-respect

मैं स्वमान-धारी आत्मा हूँ… सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित… अचल-अडो़ल… स्वराज्य अधिकारी हूँ

बाबा नें मुझे ऊँची दृष्टि से देख… मेरा स्वमान बढ़ा दिया है… अपने से प्यार करना सीखा दिया है

मैं औरों को भी सम्मान देता… उनका भी स्वमान बढ़ाकर… आगे बढ़ाता हूँ

बाबा ने मुझे अपने से भी ऊंचा उठा दिया है… डबल पूज्य… डबल अधिकारी बना दिया है

मुझे देह-भान रूपी मिट्टी से ऊपर उठकर… रॉयल आत्मा… फरिश्ता बना दिया है… ओम् शान्ति!

गीत: मधुबन के इस चमन के…


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