योग कमेंटरी | याद से याद मिलाना | Experiencing God’s Current | Sakar Murli Churnings 07-03-2019
मैं निराकार ज्योति-बिन्दु आत्मा … मेरे परमपिता को याद कर रही हूँ… वो भी निराकार ज्योति-बिन्दु स्वरूप है
मैं बाबा को बहुत प्यार से याद करती… वो भी मुझे याद करते… याद से याद मिलती है… और उनकी current मुझे अनुभव हो रही है
बहुत शक्तिशाली current… जो मुझे शान्ति, प्यार और आनंद से भरपूर कर देती है… मैं एवर healthy, निरोगी, पावन बन रहा हूँ…
मेरी कर्मेंद्रीयां शीतल हो चुकी है… अपका बहुत शुक्रिया है बाबा… अपने मुझे सशक्त कर दिया है
औरों को भी यह current… कि sakash देकर… उनको सहयोग देना है… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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