Going beyond the Circus! | (76th) Avyakt Murli Revision 30-11-70

Going beyond the Circus! | (76th) Avyakt Murli Revision 30-11-70

1. मास्टर सर्वशक्तिमान अर्थात:

  • सदा पास होने वाले… फेल नहीं
  • सभी बातों में फूल… फिलिंग के फ्लॉ-फ्लू से परे फ्लॉलेस
  • सर्व सम्बन्धों से बाप को अपना बनाने वाले... तो बुद्धि कहीं और जाएंगी नहीं… सहज मायाजीत बन जाएंगे

2. हम बैटरी-चार्ज करन वाले वैल्यूएबुल-सर्विसएबुल-वर्कर्स ग्रुप है… तो सर्कस से परे जाना है, सर्कस अर्थात:

  • स्वयं की कमियों (वा माया) को विकराल रूप से देखने के बजाय… साथियों को (परमार्थ-व्यवहार-परिवार में) विकराल रूप दिखाना
  • अतिन्द्रीय सुख में झूलने के बजाय… व्यर्थ संकल्पों में झुलना
  • अपनी रूप-स्थिति बदलते रहना
  • अच्छा पुरुषार्थ कर, यहां ही उसके फल की ईच्छा रखना… तो अच्छा-स्वच्छ नहीं बन सकते

3. उम्मीदवार-हिम्मतवान के साथ सहनशक्तिवान बनना है, तब सफलता मिलेंगी… यही सम्पूर्णता की समीपता है… सफलता के लिए याद रखना, संगम पर प्यूरिटी ही प्रासपर्टी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा स्वयं को देख बाबा को सर्व-सम्बन्धों से अपना बनाए, पवित्रता-अतिंद्रीय सुख सम्पन्न बन… सदा बैटरी चार्ज-फूल रख, हर बात में पास हो, मायाजीत-सम्पूर्ण बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being full of all attainments! | Avyakt Murli Churnings 20-10-2019

Being full of all attainments! | Avyakt Murli Churnings 20-10-2019

1. लौकिक प्राप्ति अल्पकाल है (इसलिए सभी वर्ग की आत्माएं खोज में लगी हुई है)… और हम प्राप्ति-स्वरुप विशेष आत्माएं, हमारे हर कदम में पदम है, अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के ख़ज़ाने में… सर्व प्राप्तियां है:

  • सुखदाता सर्व प्राप्तियों के दाता से अविनाशी सम्बन्ध है… जिसमें कोई दुःख-धोखा नहीं
  • सर्व प्रति स्व (आत्मा) का भाव होने कारण श्रेष्ठ स्वभाव है… और बाप-समान रहमदिल विश्व-कल्याणकारी महादानी संस्कार है
  • सच्ची कमाई है… सर्व अविनाशी खजानों की सम्पत्ति के मालिक है (दाल रोटी भगवान् की याद में खाते, परिवार श्रेष्ठ है, और यादगार रूप में नाम कितना बाला है)
  • हमारा बाप से सम्पर्क होने कारण, हमारे जड़ चित्रों का सारे विश्व से सम्पर्क है

दूर होते भी हमने बाप को पहचान, अपने स्नेह से उसे अपना बना लिया है… सदा उड़ती कला में रहते, चलने से भी परे

पार्टियों

1. (युगलों से)… सदा बन्धन-मुक्त न्यारे-प्यारे स्वतंत्र-उड़ता पंछी है… उड़ती कला में, सदा बाबा के साथ, आकर्षण से परे, सदा प्यारे-मौज में, दुःखधाम से ऊपर

2. (अधर-कुमारों से)… एक हम श्रेष्ठ आत्मा, दूसरा बाबा, तीसरा कोई नहीं, यही है लगन में मगन… कुछ मेरा-ममता-मोह नहीं, सिर्फ एक बाबा से शुद्ध मोह-प्यार, सहजयोगी, मायाजीत

3. (माताओं से)… हम सदा बाबा के साथ खुशी में नाचते, सर्वशक्ति-सम्पन्न, नष्टोमोहा है… याद-सेवा में आगे बढ़ते

4. (मधुबन के सेवाधारीयों से)… मधुबन के वातावरण में शक्तिशाली स्थिति बनाने का चान्स मिलता, और सेवा से भविष्य भी जमा होता… जितनी श्रेष्ठ-शक्तिशाली स्थिति से सेवा करते, एक का पदम-गुणा मिलता… हम तो रूहानी सेवाधारी है, रोटी बेलते स्वदर्शन चक्र, स्थूल-कार्य के साथ मन्सा-सेवा करते रहते

5. महावाक्य सुनते महान बन गए, सदा महान कर्तव्य करने वाले (मन्सा-वाचा-कर्मणा महादानी बन, महान युग का आह्वान करने वाले)… इसी महान स्मृति में रहना है

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा सर्व प्राप्तियों के दाता बाबा को स्नेह-प्यार से अपना बनाए, सर्व ख़ज़ाना से सम्पन्न प्राप्ति-स्वरुप महान-आत्मा बन… सदा अपने श्रेष्ठ-आत्मिक भाव द्वारा विश्व-कल्याणकारी महादानी बन सबको सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The easy way of remembering Baba! | Sakar Murli Churnings 19-10-2019

The easy way of remembering Baba! | Sakar Murli Churnings 19-10-2019

1. इस यूनिवर्सिटी में स्वयं भगवान् हमें टीचर-रूप में पढ़ाते, भाग्यशाली-रथ ब्रह्मा द्वारा adopt कर… अपने को आत्मा (भ्रकुटी के बीच चमकता दिव्य सितारा) समझने से ही परम-आत्मा की याद रहेंगी (जो हमारा बाप, निराकार शिव है, हमें उनका पूरा परिचय है)

2. यह शिक्षा अभी ही मिलती, जबकि आधाकल्प के पाप विनाश कर पावन बन, वर्से के हकदार बनना है (शिवालय में, दिव्यगुण-धारी देवता-रूप में, फुल-आयु वाले)…

3. इसके लिए एकान्त का समय अवश्य निकालना है, कहीं अटकना नहीं है, हमें सारे चक्र-ड्रामा का ज्ञान है… सर्विसएबुल बन सबका कल्याण कर, बाबा की दिल पर अवश्य चढ़ना है

चिन्तन

जबकि अपने को आत्मा समझनै से हो बाबा को अच्छे से याद कर सकते… तो सदा आत्म-अभिमानी बनने के संकल्प मन में दोहराते, बुद्धि से सहज अपने वास्तविक स्वरुप को देखते, बहुत हल्की शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर अवस्था का अनुभव करते… बहुत ही natural बाबा की प्यार-भरी यादों में समाए-डूबे सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

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Our true beauty! | Sakar Murli Churnings 18-10-2019

Our true beauty! | Sakar Murli Churnings 18-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस स्कुल-क्लास में स्वयं भगवान् हमें पढ़ाते-मत देते, तो बहुत खुशी में रहना है… चलते-फिरते (बाकी सबकुछ भूल) हम अपने बाप की याद द्वारा पवित्रता का वर्सा पाते (नई दुनिया-स्वर्ग-हेवन-अमरलोक में, पूज्य-देवता के रूप में)… तो हमें कोई विकार-भूत परेशान नहीं कर सकता (ऐसे शुद्ध नशे में रहना है)… तो चलन-कैरेक्टर भी रॉयल बन जाएंगी

2. सेवा का शौक रखना है, यही हमारी शोभा है, तब ही दिल पर चढ़ते… इसलिए बन्धन-मुक्त जरूर बनना है, ईश्वरीय सेवा बहुत बड़ी lottery है, इसमें उड़ते रहना है

चिन्तन

जबकि इश्वरीय सेवा ही हमारी शोभा है… तो सदा अपने को ज्ञान-योग-ईश्वरीय प्रेम द्वारा ऎसा दिव्य-दर्शनीय गुण-मूर्त बनाके रखे, जो… हमारे हर कर्म-नज़र-संकल्प-वाइब्रेशन द्वारा सब का जीवन शान्ति-प्रेम आनंद से भरपूर सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बने, और हम सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | A pure attitude! | शुद्ध वृत्ति | Baba Milan Murli Churnings 17-10-2019

योग कमेंटरी | A pure attitude! | शुद्ध वृत्ति | Baba Milan Murli Churnings 17-10-2019

मैं बाप-समान… सम्पन्न-सम्पूर्ण… फरिश्ता सो देवता हूँ

सदा मन्सा द्बारा शक्ति-दान… वाणी द्बारा ज्ञान-दान… कर्म द्बारा गुण-दान करती

मेरी शुद्ध वृत्ति… सबकी विशेषताएं देखती… दुआ देती, दुआ लेती… शक्तिशाली वायुमण्डल बनाती

मैं हर पेपर में पास होती… कल्प-कल्प की विजयी रत्न… दृढ़ता-सम्पन्न आत्मा हूँ

सदा बाबा के साथ combined रहती… मेरे फीचर्स से सतयुगी फ्यूचर दिखता… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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Creating a powerful attitude & atmosphere! | शक्तिशाली वृत्ति और वायुमण्डल | Baba Milan Murli Churnings 17-10-2019

Creating a powerful attitude & atmosphere! | शक्तिशाली वृत्ति और वायुमण्डल | Baba Milan Murli Churnings 17-10-2019

1. आज प्यार-शक्ति के सागर हम स्नेही-सिकीलधे-लाड़ले बच्चों से स्नेह-मिलन मना रहे… हम सब सहयोगी-साथी बच्चों का एक ही संकल्प-उमंग है (बाबा को प्रत्यक्ष करे), इसके लिए पहले खुद को बाप-समान सम्पन्न-सम्पूर्ण रूप में प्रत्यक्ष करना है, पहले इसकी डेट फिक्स करनी है… लक्ष्य-लक्षण समान करने सिर्फ दृढ़ता चाहिए (हम तो है ही बाप-समान बनने वाले!)… तो पुरूषार्थ सदा तीव्र रहेगा, पेपर्स में सदा पास

2. तीनों सेवाएं एक साथ करनी है (तो ही कम समय में सब सेवाएं होंगी):

  1. मन्सा द्बारा… अनुभव कराना
  2. वाचा द्बारा… ज्ञान के ख़ज़ाने का परिचय देना 
  3. कर्मणा (चेहरे-चलन) द्बारा… सम्पूर्ण योगी जीवन का प्रैक्टिकल-रूप अनुभव कराना

सबसे सहज-श्रेष्ठ सेवा है (जिससे एक जगह बैठ, सारे विश्व-प्रकृति के विश्व-कल्याणकारी बन सकते)… अपनी शुभ भावना-कामना की शक्तिशाली-श्रेष्ठ-रूहानी वृत्ति-वाइब्रेशन द्बारा वायुमण्डल बनाना, जैसे कि मधुबन… इसके लिए उल्टी-व्यर्थ-निगेटिव वृत्ति को अपनी शुभ-भावना द्बारा परिवर्तन करना… चाहें कोई कैसा भी हो, हमें बातें दिल में नहीं बिठानी है (हमारा दिल तो बाबा का तख्त है), जैसे मम्मा-दादी

3. चाहें 99 अवगुण भी क्यों न हो, हमें उनकी विशेषता देखनी है (मेरा बाबा तो कहा, बाबा से अटूट प्यार तो है)… सबसे सहज पुरूषार्थ है दुआ देना, दुआ लेना (हमारी ज़द यादगार भी दुआ देते)… और कुछ हमें नहीं लेना है, एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना… हम तो मास्टर क्षमा के सागर है, सबको स्नेह-सहयोग-हिम्मत-उमंग-उत्साह देने वाले

4. निवारण-मूर्त बनने से सब को निर्वाण ले जा सकेंगे… 5 मिनट भी मन की exercise-ड्रिल जरूर करनी है (5 स्वरुपों की ड्रिल), तो खुशी-उमंग-उत्साह उड़ती कला में आ जाएंगे 

5. (टीचर्स से) बाबा की सेवाओं में जीवन देना सर्वश्रेष्ठ संकल्प है, हमारे फीचर्स से फ्यूचर दिखता, हम है ही फरिश्ता सो देवता भव के वरदानी… छोटी बातों में घबराने के बजाए गहराई में जाना है, तो अनुभव के हीरे-मोती मिलते… पेपर भले आए, हम तो है ही पास विद् आनर होने वाले, सिर्फ बाबा के साथ combined रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… दृढ़ता द्बारा बाबा से combined रह, अपनी बाप-समान सम्पन्न-सम्पूर्ण फरिश्ता सो देवता स्थिति का अनुभव करते, मन्सा-वाचा-कर्मणा तीनो सेवाएं साथ-साथ करते रहे… मुख्य बात, अपनी श्रेष्ठ-शुभ वृत्ति द्बारा शक्तिशाली वायुमण्डल बनाते, सब कि विशेषताएं देखते, दुआएं देते दुआएं लेते, व्यर्थ से परे रह… अपने श्रेष्ठ फीचर्स द्बारा सतयुगी फ्यूचर बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | शक्ति का अनुभव | Being Powerful

योग कमेंटरी | शक्ति का अनुभव | Being Powerful

मैं शक्ति-स्वरूप आत्मा… बहुत शक्तिशाली… मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ

मैं शिव-शक्ति हूँ… सदा शिव से combined… उनकी शक्तियां लेती… सम्पन्न आत्मा हूँ

बाबा ने मेरे सिर पर हाथ रख… अपनी सारी शक्तियां दे दी है… मास्टर Almighty बना दिया है

मैं सदा समर्थ सोचती… व्यर्थ से मुक्त हूँ… सब को भी शक्तिशाली बनाती

मैं सदा अचल-अडो़ल… एकरस हूँ… शान्तिप्रेमआनंद से भरपूर… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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Lifting the anchor! | Sakar Murli Churnings 17-10-2019

Lifting the anchor! | Sakar Murli Churnings 17-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. अब संगम पर मीठे पतित-पावन बाबा की श्रीमत पर हम चलते-फिरते रूहानी याद की यात्रा पर है (शान्तिधाम-घर की, बाबा के हाथों में हाथ)… जिससे पावन-सतोप्रधान बनते, नई-पावन दुनिया सुखधाम-स्वर्ग-अमरलोक में, लंबी आयु वाले सुखी देवता बन

2. माया तो आएंगी, हमें याद रखना है लंगर अब उठ चुका है… अपने बाप को तो सब याद करते, सिर्फ अपने को आत्मा समझना है

चिन्तन

जबकि असार स्थूल बातों से हमारा लंगर उठ चुका है… तो सदा अपने को सूक्ष्म आत्मा समझ फरिश्ते-समान हल्की स्थिति मेहसूस कर… सदा बाबा के हाथ-साथ का अनुभव करते बहुत मीठी शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न अवस्था में रह… सब को आप-समान सर्व खज़ानों से भरपूर बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Purifying the soul! | Sakar Murli Churnings 16-10-2019

Purifying the soul! | Sakar Murli Churnings 16-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. दोनों बाबा हमें समझाते, कि आत्मा में विकारों की मैल चढ़ी हुई है (इसलिए शरीर भी एसा है)… जिसे श्रीमत पर फिर से पवित्र-सतोप्रधान बनाना है, एवर-pure बाबा की याद द्बारा… तो खुशबूदार-फूल लक्ष्मी-नारायण समान बन जाएंगे

2. साथ में सी-हीयर नो evil, दिन-रात सेवा में लगे रहना है… हमारी चलन से सबकुछ पता पड़ जाता (भोजन याद में, शरीर का ज्यादा चिन्तन नहीं, बड़ों का आदर, सिर्फ एक की याद, आदि)

चिन्तन

जबकि बाबा हमें आप-समान परम-पवित्र बनाने आए हैै… तो सदा हर बात में purity को नम्बर-वन priority देते, सिर्फ एक बाबा से ही सुनते… सिर्फ उसी ज्ञान के चिन्तन द्वारा बहुत सहज योगयुक्त शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति का अनुभव करतेे… सब को आप-समान निर्विघ्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The spiritual gallows! | Sakar Murli Churnings 15-10-2019

The spiritual gallows! | Sakar Murli Churnings 15-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

सिर्फ एक ही बार, एक ही नॉलेजफुल-क्रिएटर-बीज़रूप बाप-टीचर-सतगुरु हमें direction देते, कि… अपने को आत्मा समझ बाबा को लव से याद करो (जो हमारी ऐक्टिविटी-देवी स्वभाव-सर्विस से दिख जाता, हम इच्छाओं से परे रहते)… जिससे ऊँच पद मिलता, स्वर्ग-जीवनमुक्ति के वर्से में (वाया घर-मुक्ति)… सिर्फ देवता धर्म वाले ही यह पुरूषार्थ करेंगे, हम सारे ड्रामा को जानते, इसलिए साक्षी हो श्रेष्ठ पार्ट बजाना है

चिन्तन

जबकि हमें याद की सर्वश्रेष्ठ मीठी फांसी मिली है (जिससे माया-पुराने संस्कार समाप्त हो जाते)… तो सदा बुद्धि को ऊपर लटका के, बाबा से सर्व गुण-शक्तियों का शक्तिशाली अनुभव करते… सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न दिव्यगुण-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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