The beauty of complete surrender! | (63th) Avyakt Murli Revision 29-06-70

The beauty of complete surrender! | (63th) Avyakt Murli Revision 29-06-70

1. बाबा हमारी सम्पूर्णता के 4 मूर्त देख रहे… ज्ञान-मूर्त, गुण-मूर्त, दान-मूर्त, और सम्पूर्ण सफलता-मूर्त… जितना समय यहां सफलता-मूर्त रहेंगे, उतना समय वहां राज्य-भाग्य मिलेगा… सम्पूर्ण बनने लिए चाहिए सम्पूर्ण समर्पण

2. सर्व-समर्पण अर्थात संकल्प-समय-कर्म-सम्बन्ध-सम्पत्ति सब समर्पण… सर्व सम्बन्ध (आत्मा-शरीर का भी)… अविनाशी सम्पत्ति (पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद) भी सेवा में समर्पण… अपनापन भी बिल्कुल समा जाए, तब समान बनेंगे… औरों को भी बाप-समान बनाना है (सिर्फ आप-समान नहीं)… ऎसा समर्पण का विशाल अर्थ समझने से विशाल-बुद्धि बनेंगे, विश्व-राज्य-अधिकारी

3. हमारा तीसरी दिव्य-बुद्धि की आँख सदा एक में टिकी रहे… ऎसी एकरस-मग्न अवस्था बनानी है… तब हमारे मस्तक-नैन से झलक-फलक दिखेंगी, साक्षात्कार होंगे (भक्त-प्रजा के संस्कार भी अभी भरने है)… इसके लिए स्वच्छ-स्थिर बनना है, कीचड़े से मुक्त

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा स्वच्छ-विशालबुद्धि बन, सर्व समर्पण की सुन्दर स्थिति द्बारा सदा एक बाबा के याद की एकरस-मग्न अवस्था में रह… अपने मस्तक-नैन से वह झलक-फलक दिखाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The best opinion! | Sakar Murli Churnings 17-09-2019

The best opinion! | Sakar Murli Churnings 17-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम शिवबाबा के पास जाते, जो ब्रह्मा तन से हमें पढ़ाकर विश्व का मालिक बनाते… वही सुप्रीम बाप-टीचर-सतगुरु सर्व का सद्गति दाता, विश्व में शान्ति स्थापन करते, तो जरूर वह सर्वव्यापी नहीं… वही गीता का भगवान्, पतित-पावन है

2. मुख्य बात है, हमें चुपचाप गुप्त पुरुषार्थ करना है… सबकुछ भूलते, सृष्टि चक्र घुमाते, अपने को आत्मा समझ (छोटी आत्मा, जो एक शरीर छोड़ दूसरा लेती) बाबा को याद कर पवित्र बन, ऊंच पद पाना है… हम अपने ही तन-मन-धन से सेवा करते, कल्प पहले मुआफ़िक, सब आते रहेंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनी श्रीमत-ज्ञान-योग के प्रति opinion को सर्वश्रेष्ठ बनाते… सदा ज्ञान-चिन्तन वा योगाभ्यास द्बारा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते… सब के लिए श्रेष्ठ उदाहरण बनते, दिल की दुआ लेते, बाबा के प्रति श्रेष्ठ opinion बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Looking at the Self! | Sakar Murli Churnings 16-09-2019

Looking at the Self! | Sakar Murli Churnings 16-09-2019

1. जिस शिव-देवताओं की पूजा करते, वह जरूर हो कर गए हैं, देवता भी 84 जन्म उतर अब अपनी बैटरी चार्ज कर रहे

2. तो हमें भी अपने को आत्मा समझ निराकार पतित-पावन बाबा को याद कर बैटरी चार्ज कर सतोप्रधान बनना है, परचिन्तन-माया में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है, जबकि भगवान् हम पर इतनी मेहनत करते (हमें तीनों लोकों-कालों का ज्ञान दिया है, कैसे आत्मा परमधाम से नीचे आकर शरीर द्बारा 84 का पार्ट बजाती)

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि यह कल्याणकारी समय चल रहा, हमें बहुत ऊंच जाना हैं… तो सदा व्यर्थ-व्यक्ति-समस्या के चिन्तन से परे रह, ज्ञान-योग द्बारा अपनी ऊँची स्थिति बनाने में मगन रह, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न सदा-खुश बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | बाबा है बच्चा

योग कमेंटरी | बाबा है बच्चा

बाबा मेरा सपूत बच्चा है… सदा मेरे साथ रहता, मेरा ध्यान रखता… कभी छोड़ेगा नहीं

मेरे नाम रोशन करता… जयजयकार कराता… पूज्य देवता-सालिग्राम बनाकर

मैं उसपर सम्पूर्ण बलिहार गया हूँ… वह मेरा वारिस है… वह भी मुझ पर 21 जन्म बलिहार जाता

मेरे नज़र सदा उसपर है… उसका ख्याल रखता… वह भी चमक उठा है

वो मेरा बाप भी है… बच्चा भी है… सबकुछ, सर्वस्व है… ओम् शान्ति!


ओर योग कमेंटरी:

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Becoming Kamdhenu! | (62nd) Avyakt Murli Revision 26-06-70

Becoming Kamdhenu! | (62nd) Avyakt Murli Revision 26-06-70

1. जैसे मूर्ति के पास ईच्छा-पूर्ति के लिए जाते, ऎसा साक्षात्कार-मूर्त कामधेनु बनना है, सदाकाल की कामना पूर्ण करने वाले… इसलिए खुद सर्व-प्राप्ति-स्वरूप इच्छा-मात्रम-अविद्या बनना है, तब ही औरों की ईच्छा पूरी कर सकेंगे, प्राप्ति करा सकेंगे… महा-ज्ञानी के बाद महादानी बनना है

2. जितना खुद योग की सैर करेंगे, उतना सब को भी साक्षात्कार करा सकेंगे… ऎसी स्टेज बनानी है, कि अन्त में अव्यक्त-आकृति लाइट ही लाइट दिखे… और कुछ नहीं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान-योग की लाइट से सम्पन्न सर्व-प्राप्ति-स्वरूप इच्छा-मात्रम-अविद्या बन, कामधेनु महादानी बन, सबको सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The beauty of Mansa Seva! | Avyakt Murli Churnings 15-09-2019

The beauty of Mansa Seva! | Avyakt Murli Churnings 15-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आज सर्वशक्तिमान बाबा अपनी रूहानी शक्ति-सेना की 3 शक्तियां देख रहे, मन्सा-वाचा-कर्मणा… तीनों सम्पन्न हो तब कहेंगे विजयी, विश्व सेवाधारी, विश्व राज्य-अधिकारी

2. मन्सा सेवा:

  • से शुभ भावना-कामना द्बारा दूर बैठी आत्मा को भी प्राप्ति करा कर अचल-हिम्मतवान, समर्थ भाव-स्वभाव वाला, बाबा के समीप, भाग्यवान बना सकते… इसके लिए खुद की मन्सा को श्रेष्ठ-निःस्वार्थ-परोपकारी-प्रेरणादायी बनाना है
  • वायरलेस सेट है… जिससे दूर से भी बाबा का बनने का उमंग-उत्साह, महान शक्ति, अनमोल प्रेरणा दे सकते
  • अन्तर्मुखी-यान है… जिससे बिना ख़र्चे डबल-लाइट बन, चरित्रवान बनने की प्रेरणा दे सकते
  • उड़न तश्तरी समान लाइट दिखेंगे… सबकी नज़र धरती के सितारों पर आएंगी

कुमारों प्रति

1. अब ब्रह्माकुमार से शक्तिशाली-विजयी-समीप कुमार बनना है… माया के भी नॉलेजफुल (दूर से ही उसको भगा सके, नहीं तो समय जाता, कमजोरी के संस्कार बनते)… ऎसे नॉलेजफुल ही पावरफुल है (शस्त्र-समान)… सदा प्राप्तियों के अनुभव में, सदा खुश

2. हम स्वतंत्र-हल्के है, तो पुरुषार्थ में तीव्र-गति होने चाहिए… कल्याणकारी अर्थात संकल्प-स्वप्न में भी कल्याण भाव… संकल्प-कर्म समान

अन्य पॉइंट्स

1. सम्मेलन अर्थात सम-मिलन, सब को आप-समान निश्चयबुद्धि बनाना है… इसलिए सदा दृष्टि-सम्बन्ध-वायुमणडल में मास्टर दाता की स्मृति हो… सबको कुछ न कुछ देना है, बाबा पर रिगार्ड बिठाना है

2. वैसे तो संगम का हर दिन शुभ-श्रेष्ठ उमंग-उत्साह सम्पन्न है… फिर भी आज को विशेष वरदान है, हर संकल्प (बोल-कर्म) मंगलम्-सफल हो, अर्थात शुभ-चिन्तन शुभ-भावना खुशी से भरपूर हो… हर पल बाबा का यादप्यार लेना अर्थात, हर संकल्प-बोल में उसके प्यार में लहराते रहना

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा तीव्र-पुरूषार्थ द्बारा शक्तिशाली-विजयी सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा खुश बन… कल्याणकारी, मास्टर दाता बन, सब को मन्सा द्बारा शक्तिशाली-समीप-भाग्यवान बनाते, श्रेष्ठ प्रेरणाएं देते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming world maker! | (61st) Avyakt Murli Revision 25-06-70

Becoming world maker! | (61st) Avyakt Murli Revision 25-06-70

1.

  • जितना स्वयं के चेकर बनते
  • उतना मेकर बनते (लॉ मेकर, न्यू वर्ल्ड मेकर, पीस मेकर… सेवा में भी, हमारे सामने सब realize करेंगे)
  • तब रूलर बनेंगे

2. माया-समय के अधीन होने के बजाय… अधिकारी-रूलर समझने से उदार-चित्त बन उदाहरण स्वरूपउद्धार करेंगे

3. माया पहले सूक्ष्म आलस्य-सुस्ती के रूप में आती (फिर विकराल रूप लेती), जिसके चेकर बनना है… सूक्ष्म रूप-संकल्प जैसे कि:

  • श्रीमत से verify न कराना
  • 6-8 घंटा अव्यक्त स्थिति नहीं रह सकती
  • कम सीट है, हम नहीं बन पाएंगे
  • तन-मन की सुस्ती
  • फिर कर लेंगे
  • प्रवृत्ति में रहते, वैराग भूल जाना
  • हमें ईश्वरीय सम्बन्ध (साकार से बुद्धि द्बारा सहयोग लेने का सम्बन्ध) से दूर करते

तीव्र पुरूषार्थी बन इस सुस्ती को हाई जम्प देना है, तो बहुत बातों से बच जाएंगे… प्रतीज्ञा से परिपक्वता आती… अब नहीं तो कब नहीं

4. हम पुराने स्नेही है… बाबा हमें इशारों की अव्यक्त भाषा तरफ ले जाते, जिससे परख-शक्ति दूरांदेशी-बुद्धि बनती, शक्तिशाली बनते… जितना बुद्धि-समय-सीट का प्रोग्राम फिक्स, तो प्रोग्रेस-कार्य भी फिक्स… सम्पूर्ण बन सबकी सम्पूर्ण बनाने का सबूत देना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को अधिकारी-सम्पूर्ण स्थिति में स्थित कर, बाबा की स्नेह भरी यादों में रह… स्वयं के चेकर बन, माया-सुस्ती से परे रह, विश्व के मेकर-रूलर बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Making God our child! | Sakar Murli Churnings 14-09-2019

Making God our child! | Sakar Murli Churnings 14-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. निराकार:

  • बाप… (जो बेहद का वर्सा देते, सुख-धन-आयुश्य सम्पन्न)
  • टीचर… (बेहद की सृष्टि-चक्र की पढ़ाई पढ़ाते)
  • सतगुरु… (साथ ले जाते)

की एकान्त में मामेकम्-याद से पाप-कट हो पवित्र-सतोप्रधान बनते

2. य़ह राजयोग, बाबा अभी कल्याणकारी-संगमयुग पर ही सीखाते, नई दुनिया-स्वर्ग-सुखधाम के लिए… हम सारे ड्रामा को जानते, तो अच्छे से समझकर औरों को भी समझाना है, बाबा को अपना वारिस बनाना है, पवित्र जरूर बनना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा को अपने बच्चे के रूप में अनुभव करते, हर पल बुद्धि से उसके ही बारे में सोचते-देखते, सम्पूर्ण बलिहार हो… उसके ज्ञान-गुण-शक्तियों से भरपूर-सम्पन्न बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a light-house! | (60th) Avyakt Murli Revision 19-06-70

Becoming a light-house! | (60th) Avyakt Murli Revision 19-06-70

1. हम भी त्रिमूर्ति है, जिनसे 3 प्रकार की लाइट निकालती… नयन से (बल्ब-समान ज्योति, हीरा), मस्तक से (सर्चलाइट जैसे), और माथे पर (लाइट का क्राउन)… तब ही फ़रिश्ता कहेंगे

2. सब हमारे पास हल्के हो जाएँगे… हमारा स्थान (मधुबन) लाइट का स्थान बन जाएँगा, ऎसा लाइट-हाउस बनना है… बाबा-मिलन अर्थात उनके गुण-कर्तव्य से मिलन 

3. कार्य करने पहले सोचना, बाबा ने निमित्त बनाया… और अन्त में भी सबकुछ समर्पण-स्वाहा कर देना, तो कोई संकल्प नहीं चलेगा… किसी से सहयोग मिला हो, तो उसे एक्स्ट्रा सहयोग देना है, शुभ भावना-वृत्ति द्बारा, जिसका प्रभाव सदाकाल रहता, उन्हें भी अनुभव होता

4. बाबा का हमसे अविनाशी स्नेह है, तो हमें भी ऎसा अटूट स्नेह उनसे जोड़ना है, फिर यही स्नेह 21 जन्म चलेगा… यही बैंक है, 21 जन्म चलने वाली, तो संकल्प भी व्यर्थ न जाए, हमारी ऎसी ऊँची मंजिल है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को हल्का लाइट-हाउस फ़रिश्ता समझ, बाबा से अविनाशी स्नेह जोड़… सबको शुभ भावना से सम्पन्न करतेे, निमित्त भाव से सेवा करतेे, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The hot halwa! | Sakar Murli Churnings 13-09-2019

The hot halwa! | Sakar Murli Churnings 13-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम आत्मा शान्त-स्वरूप परमधाम-निवासी हैं, यहां शरीर धारण कर पार्ट बजाते, 84 जन्मों का… अभी हम पवित्र बन पढाई पढ़, अपने को (चमकीली) आत्मा समझ (पतित-पावन सर्वशक्तिमान बाप-टीचर-सतगुरू) बाबा की याद द्बारा पुण्य-आत्मा देवता बन रहे, नई दुनिया स्वर्ग-हेवन-paradise सुखधाम में

2. आबू सबसे महान तीर्थ है, क्योंकि भगवान् यहा आकर सारे विश्व की सद्गति करते… हम सारे ड्रामा को जानते हैं

3. याद की मेहनत अवश्य करनी है, भल माया तूफान लाएं हमें विजयी बनना हैआत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की करनी है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें रोज़ गरम-गरम हलवा मुरली खिलाते… तो सदा इस ज्ञान-भोजन को रूहानी गाई बन उगारते (चिन्तन-योगाभ्यास द्बारा), उसकी शक्ति से श्रेष्ठ तन्दुरस्ती (शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति) का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाए चले… ओम् शान्ति!


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