योग कमेंटरी | मैं सार स्वरूप आत्मा हूँ | I am essence-full

योग कमेंटरी | मैं सार स्वरूप आत्मा हूँ | I am essence-full

मैं सार स्वरूप… फल स्वरूप… शक्तिशाली आत्मा हूँ

पास्ट जो हुआ, accurate था… आगे जो होगा, कल्याणकारी होगा… मुझे वर्तमान को श्रेष्ठ रखना है

मेरे संकल्प धैर्यवत… कम… समर्थ हैं

कुछ सोचने की आवश्यकता नहीं… सिर्फ़ योगयुक्त श्रेष्ठ स्थिति में रहना है… बाकी सब बाबा सम्भालेगा

सिर्फ हर कदम श्रीमत पर चलते… ज्ञान चिन्तन… बाबा की यादों में… रूहानी मौज में रहना है… औरों की भी सेवा स्वतः होती रहेंगी… ओम् शान्ति!


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The greatest fortune, of becoming God’s child! | परमात्मा की नम्बर वन रचना | Avyakt Murli Churnings 10-03-2019

The greatest fortune, of becoming God’s child! | परमात्मा की नम्बर वन रचना | Avyakt Murli Churnings 10-03-2019

विस्तार में सार की सुन्दरता!

कैसे भी बच्चें हो, बाबा उनको मिलन का अधिकार देने अवश्य आ जाते हैं… बाबा दोनों को देख हर्षित हो रहे हैं, विस्तार में वेरायटी के रोनक का श्रूंगार, और उसमें सार-स्वरूप शक्तिशाली बच्चें… ऎसे विस्तार के बीच सार बहुत अच्छा लगता है

ब्राह्मण अर्थात कौन?

  • परमात्मा की नम्बर वन direct सबसे महान रचना, देवताओं से भी ऊंच… ज्ञान स्वरूप, त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री आत्माएं… जिन्होने सबसे पहले साकार में परमात्म मिलन का सुख अनुभव किया
  • सभी सिर्फ महिमा गाते हैं, और हमने सर्व सम्बन्धों से भगवान् को अनुभव किया है, सर्व चरित्र भगवान् के साथ द्वारा अनुभव करते… सर्व अखुट अविनाशी खझानों के मालिक, सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन गए हैं
  • सदा ज्ञान अमृत पीने, ब्रह्मा भोजन खाने वाले रूहानी मौज में, दिलाराम द्वारा दिल के आराम से दिल-तख्त पर बैठ सर्वश्रेष्ठ सेवा करने वाले
  • कल्प वृक्ष की जड़े, बीज द्वारा सभी पत्तों को मुक्ति-जीवनमुक्ति का पानी दिलाने वाले, सभी आत्माओं के लिए पूर्वज, आधार-मूर्त, उद्धार-मूर्त… सर्वश्रेष्ठ नवनिर्माण का कार्य करने वाले, ज्ञान यज्ञ रच सबकी भाग्यवान जीवन-पत्री बनाने वाले, सबकी सामूहिक सगाई परमात्मा से कराने वाले, पवित्रता का कंगन बांध, अमर कथा सुनाकर ने अमर बनाने वाले

ब्राह्मण सो देवता वा क्षत्रिय में अन्तर:

  • ब्राह्मण अर्थात सदा बेहद की जिम्मेवारी निभाते उड़ती कला के अनुभवी
  • सदा निशाने पर स्थित विजयी आत्माएं
  • Complaints, मेहनत वा समस्याओं से परे, सदा समाधान स्वरूप

विशेषताओं से सम्पन्न विश्व!

  • Delhi है सदा शक्तिशाली रहने के ताजधारी
  • कर्नाटक है स्नेह-भावना और बुद्धिमान-position का बैलेंस, नम्रता वाले
  • U. P. है सबसे wonderful ऑफ वर्ल्ड सेवा करने वाले
  • महाराष्ट्र है महान बनने और महान आत्माओं का गुलदसता बनाने वाले
  • विदेशी है विश्व के आगे बाप को हाज़िर नाजिर अर्थात नजरों के सामने प्रत्यक्ष करने वाले

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें स्वयं भगवान द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिमा-योग्य ब्राह्मण जीवन मिला है, तो उस अनुसार निरन्तर परमात्म साथ के अनुभवी बन सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सर्व खझानों के मालिक अवश्य बने… जिससे स्वतः औरों को भी ऎसे श्रेष्ठ प्राप्ति-वान बनाते रहेंगे, सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!

Sakar Murli Churnings 09-03-2019

Sakar Murli Churnings 09-03-2019

1. सदा याद रखना है, यह पुरुषोत्तम संगमयुग है, हम पुरुषोत्तम बन रहे हैं, बाबा आए हमें 5 विकारों रूपी पिंजड़े से छुड़ाने

2. तो ऎसे (क्या से क्या बनाने वाले, बेहद का वर्सा देने वाले) बाबा को बहुत प्यार से याद करना है (महिमा करनी है)…

3. तो पावन गोरे बन सुख-शान्ति सम्पन्न स्वर्ग में पहुंच जाएंगे (जहां सदा बसन्त ऋतु, सुखी, निरोगी, अहिंसा परमोधर्म होते हैं)…

4. जल्दी उठ एकान्त में बैठ छत पर भी जाकर बाबा को याद कर सकते… चेक करना है हमारा मन कहां जाता है, यह सब तो विनाशी है, सिर्फ मैंं और बाबा इसी स्मृति में रह विश्व का मालिक बनना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अभी संगमयुग चल रहा है, इसी स्मृति में रह बाबा को याद करते सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रह पुरुषोत्तम बनते रहे… और अपने श्रेष्ठ उदाहरण से औरों को भी बनाते रहे, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | I’m an immortal soul | भय-मुक्त आत्म-अभीमानी अवस्था

योग कमेंटरी | I’m an immortal soul | भय-मुक्त आत्म-अभीमानी अवस्था

मैं अजर… अमर… अविनाशी शक्ति… आत्मा हूँ

मुझे अग्नि जला नहीं सकती… पानी डुबो नहीं सकता… हथियार काट नहीं सकते

मुझे धरती हिला नहीं सकती… हवा उड़ा नहीं सकती… बिजली छू भी नहीं सकती

मुझे कोई मार नहीं सकता… छू भी नहीं सकता… मेरा कुछ नुकसान नहीं हो सकता

मैं बाह्य प्रभाव से भी परे… ज्ञान योग की शक्ति से सम्पन्न हूँ… बहुत शक्तिशाली, मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ… ओम् शान्ति!


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Sakar Murli Churnings 08-03-2019

Sakar Murli Churnings 08-03-2019

1. बाबा हम संगमयुगी ब्राह्मणों (ईश्वरीय औलाद) को wonderful बातें सुनाकर रिफ्रेश कर देते हैं… तो मास्टर ज्ञान सागर बन विचार सागर मंथन कर नई-नई topics पार लिखना और फिर भाषण करना है (काल पर विजय प्राप्त कैसे करे?, देवी-देवता धर्म अथवा विश्व में शान्ति कैसे स्थापन होती है?)… फिर एक ही topic पर सब जगह समझाना है, तो बहुत अच्छी सेवा होगी, यूनिटी भी अच्छी दिखेंगी

2. ज्ञान-वन बनने के साथ योग में पक्का अवश्य बनाना है… इसके लिए ऎसी प्रैक्टिस करे (आत्म-अभीमानी, बाबा की याद, आत्मिक दृष्टि आदि के), कि यह अभ्यास जम जाएंयही मेहनत है ऊंच पद पाने की, अथवा विश्व का मालिक बनने की… तो अपने भिन्न-भिन्न titles (लाइट हाउस, सर्जन, धोबी आदि) और स्थानों (मूलवतन, सूक्ष्मवतन, आदि) का चिन्तन कर उनका अनुभव करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… पावरफुल योग द्वारा सदा योगयुक्त स्थिति में रहे, फिर ज्ञान चिन्तन और सेवा द्वारा अपने समय को सफल करते रहे… तो हम बहुत ही जल्द इस विश्व पर सतयुग लाने में सफल बन जाएँगे… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | याद से याद मिलाना | Experiencing God’s Current | Sakar Murli Churnings 07-03-2019

याद से याद मिलाना | Experiencing God's Current | Sakar Murli Churnings 07-03-2019 image

योग कमेंटरी | याद से याद मिलाना | Experiencing God’s Current | Sakar Murli Churnings 07-03-2019

मैं निराकार ज्योति-बिन्दु आत्मा … मेरे परमपिता को याद कर रही हूँ… वो भी निराकार ज्योति-बिन्दु स्वरूप है

मैं बाबा को बहुत प्यार से याद करती… वो भी मुझे याद करते… याद से याद मिलती है… और उनकी current मुझे अनुभव हो रही है

बहुत शक्तिशाली current… जो मुझे शान्ति, प्यार और आनंद से भरपूर कर देती है… मैं एवर healthy, निरोगी, पावन बन रहा हूँ…

मेरी कर्मेंद्रीयां शीतल हो चुकी है… अपका बहुत शुक्रिया है बाबा… अपने मुझे सशक्त कर दिया है

औरों को भी यह current… कि sakash देकर… उनको सहयोग देना है… ओम् शान्ति!


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Sakar Murli Churnings 07-03-2019

Sakar Murli Churnings 07-03-2019

1. योग का मुख्य सब्जेक्ट है जिससे सतोप्रधान बनते, आयु बढ़ती, धारणा होती, ऊंच पद मिलता… इसलिए याद पर पूरा ध्यान देना है, क्यूंकि जब याद से याद मिलती तो current अनुभव होती, जिससे एवर हेल्थी निरोगी बनते… औरों को भी सकाश दे सकते

2. Serviceable बनने के लिए बाबा के ज्ञान का विचार सागर मंथन करना है, points नोट करनी है (जैसेकि लक्ष्मी-नारायण को राज्य जिसने दिया और जैसे गवाया, कैसे सुप्रीम सर्जन बाबा हमें 21 जन्मों के लिए निरोगी बनाते)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… याद की यात्रा द्वारा बाबा की searchlight लेते रहे… इससे powerful vibrations चारों ओर फैलती जिससे स्वतः समस्याएं समाप्त होती, श्रेष्ठ सेवा होती रहती, और हम सतयुग स्थापन करने के निमित्त बन जाते… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | हमारे मीठे बाबा | Baba’s part

योग कमेंटरी | हमारे मीठे बाबा | Baba’s part

बाबा परमधाम में… सदा शान्ति, प्रेम, आनंद से भरपूर रहते… कल्प के संगमयुगे आकर… हमें ज्ञान देते हैं

ड्रामा को साक्षी हो देखते… सदा बच्चों को आगे बढ़ाते है… मीठी मीठी बातें करते

बाबा किसी से कुछ नहीं लेते… सदा देते रहते हैं… अपने से भी ऊंचा उठाते

बाबा मुझे दृष्टि देते… सदा विशेषताएं देखते… बहुत प्यार करते हैं

भक्ति में भी साक्षात्कार कराते थे… मनोकामनाएं पूर्ण करते थे..

अभी सर्व खज़ानों के अधिकारी, पद्मपद्म भाग्यशाली बना दिया है… बाबा का बहुत बहुत शुक्रिया है… ओम् शान्ति!

गीत: हजा़रों धन्यवाद है…


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Sakar Murli Churnings 06-03-2019

Sakar Murli Churnings 06-03-2019

इस संगमयुग पर ज्ञान सागर बाबा हमारी झोली ज्ञान रत्नों से भर देते, तो ज्ञान-वन बन अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, तो मायाजीत पावन स्वच्छ सुन्दर बन घर उड़ सकेंगे… आयु भी बढ़ेगी, सतयुग में सुखों से भरपूर रहेंगे, और हमारे द्वारा सर्व का भला वा कल्याण हो जाएंगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मैं विशेष आत्मा हूँ, इस स्मृति द्वारा ज्ञान से भरपूर हो बाबा का सदा साथ अनुभव करते रहे… जिससे स्वतः दिव्य गुण सम्पन्न बनेंगे और बनाते रहेंगे, सतयुग बनाते चलेंगे… ओम् शान्ति!

Sakar Murli Churnings 05-03-2019

Sakar Murli Churnings 05-03-2019

1. जबकि बाबा हमें सर्वश्रेष्ठ ज्ञान देते, तो इसे ऎसा श्रेष्ठ धारण करना है, कि अन्त में रचता और रचना के सिवाए और कुछ याद न आए… इसके लिए स्वदर्शन चक्रधारी बन बाबा को याद करते रहना है…

2. इसे और सहज करने मुरली कभी भी मिस नहीं करनी है, समय सफल करना है,चाहे कुछ भी हो जाएं, हमें अपना पार्ट श्रेष्ठ बनाना है…

3. फिर सच्चा ब्राह्मण वह जिसे ज्ञान कण्ठ हो, सदा ज्ञान-दान कर आप समान बनाता रहें, बुद्धि की लाइन क्लियर हो, मतभेद से परे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मास्टर मुरलीधर बन ज्ञान की मस्ती में अपना योग बढ़ाते जाएं, जिससे सहज दिव्यगुण सम्पन्न धारणा-मूर्त बन जाएंगे … तो हर कदम सेवा स्वतः होती रहेंगी, हम सर्व की जीवन श्रेष्ठ करते सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!