Sakar Murli Churnings 27-02-2019

Sakar Murli Churnings 27-02-2019

1. इस कयामत-समय पर श्रीमत अनुसार देह-देह की दुनिया को भूल, बच्चा बन बहुत प्यार से अपने मीठे बाप को याद करना है, तो वर्से के मालिक बन जाएँगे

2. नहीं तो औरों की याद आती रहेगी देह-भान के वश, ऊपर-नीचे होते रहेंगे जिससे नुकसान होता, इसलिए अपना चार्ट जरूर रखना है, जांच करनी है हम क्यूँ बाबा को याद नहींं कर पाते

3. फिर शान्तिधाम-सुखधाम चले जाएंगे, लक्ष्मी-नारायण समान दैवीगुण सम्पन्न बन जाएँगे… तो औरों की भी सेवा कर उनका कल्याण करना है, पेट ज्यादा नहीं मांगता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… भिन्न-भिन्न युक्तियों से बाबा को याद करते रहे, फिर चार्ट द्वारा अपनी उन्नति भी देखते रहें… इससे सहज आगे बढ़ते रहेंगे, औरों की भी सेवा और अच्छी होती रहेंगी, और करते ही करते हम फिर से सतयुग स्थापन करने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | शरीर से ममत्व मिटाने | How to overcome attachment to the body

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योग कमेंटरी | शरीर से ममत्व मिटाने | How to overcome attachment to the body

यह देह temporary है… मैं इस देह में थोड़े समय का मेहमान… सो महान आत्मा हूँ

मैं निराकारी आत्मा, अशरीरी, विदेही हूँ… परमधाम निवासी हूँ… अब वापिस वहां जाना है

यह शरीर जुत्ती है… ऎसे कई शरीर मैंने लिए और छोड़े है… अब इस पुरानी जुत्ती को भी छोड़ना है

यह शरीर पुराना तमोप्रधान है, मुझे नयी कंचन-काया मिलनी है… अब इस शरीर के भान से परे… मुझे आत्म-अभीमानी स्थिति में स्थित रहना है

यह शरीर पतित रोगी है… इसे श्रेष्ठ स्थिति के vibrations द्वारा… बाबा की सेवा में चलाना है

इस देह में रहते, देह से न्यारा… और बाबा का… तथा सर्व का प्यारा रहना है

यह शरीर अब मेरा नहीं है… बाबा की अमानत है… मुझे इसे श्रीमत पर ही use करना है

यह शरीर सिर्फ मेरा यंत्र, वस्त्र वा रथ हैं… मैं आत्मा ही सबकुछ करती हूँ… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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Sakar Murli Churnings 26-02-2019

Sakar Murli Churnings 26-02-2019

बाबा आए हैं हमें आप समान निराकारी बनाने, इसलिए अपने को आत्मा समझ इस पुराने शरीर पुरानी जुत्ती से ममत्व मिटाना है, हमें तो वापिस घर जाना है… औरों को भी आत्मा देख उनसे मोह निकालना है, अच्छाई बुराई से परे रहें, ताकि सदा हम उनको देेते रह सके… एवर-pure बाबा को बहुत प्यार से याद करे वारी जाएँ, जिस प्रभु को आधा-कल्प से याद करते आएं हैं, तो कट से मुक्त पावन बन जाएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें अपना सत्य परिचय मिल गया है, तो उसी में स्थित रह सदा शान्ति, प्रेम, खुशी का अनुभव करते रहे… औरों को भी यह अनुभव बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | अलौकिकता का अनुभव | Experiencing Spirituality

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योग कमेंटरी | अलौकिकता का अनुभव | Experiencing Spirituality

मैं विदेही आत्मा… देह भान से मुक्त… बिल्कुल हल्की हूँ

आत्म-अभीमानी स्थिति में स्थित … अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर रही हूँ

मैं बाह्य प्रभाव से परे हूँ… मुझे कोई छू भी नहीं सकता… मैं अलौकिक सत्ता हूँ

मैं सदा श्रेष्ठ स्थित में स्थित हूँ… सबको खुशियां बांटती… सम्मान देती हूँ

सब कार्य करते हुए भी हल्की… निमित्त हूँ, बाबा करा रहे हैं

व्यर्थ से मुक्त हूँ… बिल्कुल शान्त चित्त हूँ… सबकुछ जैसेकि अपने आप हो रहा है… ओम् शान्ति!


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Remembering our illustrious past & present | हमारा श्रेष्ठ आदि-काल | Sakar Murli Churnings 25-02-2019

Remembering our illustrious past & present | हमारा श्रेष्ठ आदि-काल | Sakar Murli Churnings 25-02-2019

1. हमारे सुप्रीम बाप टीचर सतगुरु बाबा नें बताया है, कैसे हम अपने सूर्यवंशी राजधानी रामराज्य में सुख-शान्ति से सम्पन्न थे, अब फिर बनना है

2. इसके लिए सिर्फ़ श्रीमत अनुसार आत्म-अभीमानी बनने का पुरूषार्थ करना है, जिससे:

  • सहज बाबा की याद रहेंगी (और पाप कटेंगे)
  • दिव्यगुण धारण होंगे (बहुत मीठे सुखदाई बनेंगे और क्रिमिनल eye, क्रोध, दुःख देना आदि सब छूट जाएंगा)

3. सब को खुशखबरी / रास्ता बताने का श्रेष्ठ कर्म जरूर करना है, कैसे हम सतोप्रधान सुखी थे, अब फिर बाबा हमें ऎसा बनाने आएं हैं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने श्रेष्ठ आदिकाल और भविष्य को स्मृति में रख बहुत-बहुत खुशी में रहे… बाबा की छत्रछाया और गोदी में रहे, जिससे पुरूषार्थ-सेवा सब सहज हो जाएंगा, और हम बहुत ही जल्द सतयुग को लाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मेरा स्थान शान्ति कुण्ड है | Creating a reservoir of peace

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योग कमेंटरी | मेरा स्थान शान्ति कुण्ड है | Creating a reservoir of peace

मैं शान्त स्वरूप आत्मा… शान्ति के सागर की सन्तान हूँ… शान्ति की किरणें मुझ पर पड़ रही हैं… मैं परमात्म शान्ति से भरपूर हो गया हूँ

मुझसे चारों ओर शान्ति की किरणें फैल रही है… मेरा स्थान शान्ति कुण्ड बन चुका है… जिससे चारों ओर शान्ति के प्रकम्पन फैल रहे हैं

यह श्रेष्ठ वातावरण सबको आराम दे रहा है… सबको आकर्षित करता… सबका कनेक्शन बाबा से जुटा़ रहा है

यह घर एक मन्दिर है… बाबा का घर है… मधुबन का मॉडल… सतयुग का मॉडल है

मैं शान्ति देवा… शान्ति दूत… शान्ति का फरिश्ता हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: शान्ति की शक्ति से…


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The most illustrious meeting of fortune | भाग्यविधाता बाप और बच्चों का मंगल मिलन मेला | Avyakt Murli Churnings 24-02-2019

The most illustrious meeting of fortune | भाग्यविधाता बाप और बच्चों का मंगल मिलन मेला | Avyakt Murli Churnings 24-02-2019 image

The most illustrious meeting of fortune | भाग्यविधाता बाप और बच्चों का मंगल मिलन मेला | Avyakt Murli Churnings 24-02-2019

1. यह विचित्र मिलन मेला है, जहां सर्व खझानों प्राप्तियों के भण्डार खुले है (lottery), जितना चाहे उतना अधिकार (राज्य पद भी!) दृढ़ संकल्प से ले सकते हो… सबसे बड़ा ईश्वरीय चांस मिला है “दिल से मेरा बाबा कहो और बाबा के दिल-तख्त-नशीन बनो”… और ईश्वरीय गिफ्ट मिली है “छोटा सा सुखी-सम्पन्न एक बाप में ही संसार“, जिसमे सभी प्राप्ति और खुशियों का झूला बाबा की प्रीत, साथ वा श्रीमत में, और ज्ञान रत्नों से खेलने में, देह भान रूपी मिट्टी से परे फरिश्ता रहने में हैै… तो सम्पन्न सर्व प्राप्ति स्वरूप बनकर ही जाना है

2. सदा यही गीत गाते रहो वाह बाबा वाह, वाह मेरा भाग्य वाह, पाना था सो पा लिया (भगवान और भाग्य)… यही याद की खुशी दुआ-दवा दोनों है, जो बड़े ते बड़ा कर्म-भोग भी न्यारा-प्यारा बन चुक्तू कराता… सूली से कांटा बन जाता, क्योंकि हमारे पास समझ भी है (की यह हमारा ही हिसाब-किताब है) और योग द्वारा शक्ति भी है!

3. सदा याद और सेवा के बैलेंस द्वारा बाप की blessings वा वरदान मिलता, जिससे मैहनत समाप्त हो सहज सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाते… याद के लिए सिर्फ़ एक बाप एकरस स्थिति वा एकमत हो रहना है, तो सफल रहेंगे… सेवा में डबल लाइट हल्का रहना है बाबा की याद से, तब ही उड़ेंगे और उड़ाएंगे, सेवा का प्रत्यक्ष फल मिलेंगा

4. यह बाप का सो अपना घर भी है, तो विश्व-विद्यालय भी है… Wonderful विद्यालय है, जहां बूढ़े-जवान अनपढ़-पढ़े भाई-माताएं सभी पढ़ते, और सबको एक का ही पाठ पढ़ाया जाता!… जिससे चरित्रवान बनते, जन्म-जन्मांतर के इनकम की guarantee मिलती, जितना करेंगे एक का पदमगुणा हमको ही फायदा है!

5. राजस्थान में ही मुख्य स्थान मधुबन है… तो बाबा सबको कह रहे हैं, हीरे-तुल्य बनना और बनाना है… सब बातों में number वन (क्वालिटी, संख्या और सेवा की विशेषता में) बनना है… निश्चय बुद्धि विजयन्ती!

6. संगमयुग सर्व प्राप्ति करने और सर्वश्रेष्ठ बनने का युग है, तो इस युग के वासी हम सभी भी सर्वश्रेष्ठ हैं… इसलिए सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनना और सबको बनाना है, जितना देंगे उतना बढ़ता जाएंगा… हमें बाबा ने अलौकिक, न्यारा, ज्ञानी वा दुःखों से मुक्त बना दिया है, इसी श्रेष्ठ खुशी में रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के साथ मधुर मिलन मनाते रहे, एसी श्रेष्ठ खुशी में रहे कि शरीर का कर्मभोग भी हमारी खुशी हिला न सके… ऎसा सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन अपना भाग्य बढ़ाते, औरों को भाग्यवान बनाएं, कि सारे विश्व का भाग्य पलटाकर हम कलियुगी से सतयुगी बना दे… ओम् शान्ति!

Biography of Shiv Baba | शिवबाबा की biography | Sakar Murli Churnings 23-02-2019

Biography of Shiv Baba | शिवबाबा की biography | Sakar Murli Churnings 23-02-2019

शिव जयन्ती ही हीरे तुल्य है, इसलिए धूमधाम से उनकी biography सबको सुनानी है… खास शिव के मंदिरों में, और शिव जयन्ती पर समझाना है… संक्षेप में बाबा की biography है:

  • नाम है शिव
  • रूप है निराकार
  • देश है परमधाम (सर्वव्यापी नहीं)
  • गुण है ज्ञान का सागर (स्वयं का सत्य परिचय और सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ सुनाते), पतित-पावन (हमें पावन बनाते), भोलानाथ, और अन्य सर्व गुणों और शक्तियों के सागर है
  • कर्तव्य है ब्रह्मा तन में आकर, हमें राजयोग सिखाकर (अर्थात आत्मा रूपी ज्योति जागकर) विश्व का मालिक बनाते (अर्थात स्वर्ग की सौगात देते!)
  • वह हमारा बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरु भी है!
  • आते हैं कलियुग-अन्त और सतयुग-आदि के बीच संगम पर

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इसी नशे में रहे कि स्वयं सर्वश्रेष्ठ शिवबाबा हमें मिला है, उनकी ही श्रीमत पर ज्ञान-योग के अभ्यास द्वारा अपने मन को सशक्त कर परिस्थितियों को पार करते चले… खुद भी सतोप्रधान बनते जाएं, औरों को भी बनाते रहे, फिर से इस धरा पर सतयुग लाने के निमित्त बन जाएं… ओम् शान्ति!

गीत: शिव जयन्ती फिर है आई…

Sakar Murli Churnings 22-02-2019

Sakar Murli Churnings 22-02-2019

बाबा ने हमें सारे सृष्टि चक्र का ज्ञान दे दिया है, मुख्य बात अभी हम संगमयुग पर है, बाबा बागवान आए हैं हमें कांटों से फूल पुरुषोत्तम बनाने… तो योग पर पूरा ध्यान देना है, नष्टोमोहा बन सेवा में gallop करना है, अनेकों का कल्याण अर्थात सच्ची कमाई करनी और करानी हैै (बैज पर समझाना, गंगा स्नान पर, मन्दिरों में जाना आदि)…

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इसी स्मृति में रहे “मैं रूहे गुलाब हूँ”, और ज्ञान के जल और योग की धूप से सम्पन्न बन गुणों की खुशबु फैलाते रहें… सर्व को आप समान बनाते, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | निर्भय बनने के लिए | How to become fearless

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योग कमेंटरी | निर्भय बनने के लिए | How to become fearless

यह संगम का समय कल्याणकारी है… ड्रामा भी कल्याणकारी है… मेरे साथ सब अच्छा ही अच्छा होगा

बाबा सदा मेरे साथ है… उनकी छत्रछाया में मैं सदा सुरक्षित हूँ… मुझ आत्मा को कोई छू भी नहीं सकता

मैं अमर आत्मा हूँ… मेरे चारों ओर पवित्रता का शक्तिशाली आभामण्डल है… औरों के भाव भी इससे शुध्द होते हैं

मैं मास्टर सर्वशक्तिमान… मायाजीत हूँ… माया खुद मुझसे घबराती है

कल्प-कल्प का मैं विजयी रत्न हूँ… सफलता निश्चिंत है… डरने की कोई बात नहीं है

परिस्थितयां मुझे मजबूत बनाने आती है… अनुभवी बनाती… सेवा-योग्य बनाती है… ड्रामा के हर सीन में कल्याण छिपा हुआ है… ओम् शान्ति!

गीत: ईश्वर अपने साथ है, डरने की क्या बात है….


और योग कमेंटरी:

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