योग कमेंटरी | Creative Commentary on Rain
ऊपर परमधाम–सूक्ष्मवतन से… बाबा का प्यार बरस रहा है.. मैं सदा उनके प्यार में डूबा रहता
मेरा चित्त सूखा, एक बूंद का प्यासा था… अब सागर मिल गया है… उसमें ही डूबकी लगाता रहता
बाबा के प्यार में सदा रिफ्रेश… तरो-ताझा रहता… शान्ति प्रेम आनंद से सम्पन्न
इस बारिश में, मैं कांटे से फूल… रूहें गुलाब बन गया हूँ… हीरे-समान
औरों को भी परमात्म प्यार के छींते बांट… गुणवान… सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाना है… ओम् शान्ति!
गीत: बरस रही है बाबा…
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
Thanks for reading this meditation commentary on ‘Rain’