योग कमेंटरी | Experiencing God’s love | परमात्म प्यार का अनुभव
मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ, बाबा प्यार का सागर है… बाबा दिलाराम, दिलवर है, मैं उनकी दिलरूबा हूँ… वह रूहानी माशूक, मैं आशिक हूँ
बाबा कहते, तुम मेरे सिरमोर… सिरताज… गले का हार हो… मेरे दिल-तख्त-नशीन… राजा बच्चा… नैनों के नूर हो
बाबा सदा मेरी विशेषताएं देखते… आगे बढ़ाते… मुझे बहुत प्यार करते हैं
इसी प्रेम में सच्ची सुख–शान्ति है… परमात्म प्यार सबसे बड़ा भाग्य है… मैं पद्मपद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ
मैं रूहानी शमा बाप पर फिदा हूँ… बलिहार हो चुकी हूँ… समर्पित हूँ
मैं मास्टर प्रेम का सागर हूँ… सबको यह परमात्म प्रेम बांटना है… अपनी गुण-ग्राही दृष्टि… मधुर बोल… श्रेष्ठ व्यवहार द्वारा
सबको प्यार के सागर से जुड़ाकर, उन्हें भी सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनाना है… ओम् शान्ति!
गीत: तेरे प्यार में डूबा रहता है…
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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