योग कमेंटरी | सुख का अनुभव

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योग कमेंटरी | सुख का अनुभव

मैं सुख-स्वरूप आत्मा… सुख के सागर की सन्तान हूँ… दुःख की लहर भी मुझे छू नहीं सकती

बाबा ने मेरे सर्व भण्डारे… ज्ञान-गुण-शक्तियों के ख़ज़ाने से सम्पन्न कर दिए हैं… सुखों से झोली भरकर… तृप्त, सन्तुष्ट कर दिया है

मुझे पवित्र-योगी बनाकर… सुख-शान्ति से भरपूर कर दिया है… जन्म-जनमान्तर के लिए

सभी सुखी हो… सबका कल्याण हो… सब आगे बढ़े

मैं सुखदेव हूँ… सबको सुख बांटता… सुखी-स्वर्णिम संसार बनाने के निमित्त बना हूँ… ओम् शान्ति!


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘सुख का अनुभव’

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