योग कमेंटरी | निरहंकारी बनने | Becoming Egoless

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योग कमेंटरी | निरहंकारी बनने | Becoming Egoless

सदा स्वमान में स्थित… मैं निर्मान हूँ… अभिमान से मुक्त

सभी विशेषताएं बाबा की देन है… मैं निमित्त हूँ… सबकुछ वही करा रहा है

मैं भाग्यशाली हूँ… रोज़ बाबा का शुक्रिया मानता… हम क्या थे… हमें क्या से क्या बना दिया है

सबकी विशेषताएं देखते… शुभ भावना देते… मैं नम्र-चित्त बन गया हूँ

मैं निराकारी… निर्विकारी… निरहंकारी हूँ… बाबा की तरह… ओम् शान्ति!

गीत: बाबा कितने निरहंकारी…


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘निरहंकारी बनने | Becoming Egoless’

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