योग कमेंटरी | शरीर से ममत्व मिटाने | How to overcome attachment to the body
यह देह temporary है… मैं इस देह में थोड़े समय का मेहमान… सो महान आत्मा हूँ
मैं निराकारी आत्मा, अशरीरी, विदेही हूँ… परमधाम निवासी हूँ… अब वापिस वहां जाना है
यह शरीर जुत्ती है… ऎसे कई शरीर मैंने लिए और छोड़े है… अब इस पुरानी जुत्ती को भी छोड़ना है
यह शरीर पुराना तमोप्रधान है, मुझे नयी कंचन-काया मिलनी है… अब इस शरीर के भान से परे… मुझे आत्म-अभीमानी स्थिति में स्थित रहना है
यह शरीर पतित रोगी है… इसे श्रेष्ठ स्थिति के vibrations द्वारा… बाबा की सेवा में चलाना है
इस देह में रहते, देह से न्यारा… और बाबा का… तथा सर्व का प्यारा रहना है
यह शरीर अब मेरा नहीं है… बाबा की अमानत है… मुझे इसे श्रीमत पर ही use करना है
यह शरीर सिर्फ मेरा यंत्र, वस्त्र वा रथ हैं… मैं आत्मा ही सबकुछ करती हूँ… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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