योग कमेंटरी | मैं खुशबूदार फूल हूँ | I’m a fragrant flower

योग कमेंटरी | मैं खुशबूदार फूल हूँ | I’m a fragrant flower

मैं खुशबूदार फूल हूँ… शीतल चन्दन हूँ… मुझसे चारों ओर गुणों की खुशबू फैल रही है… वातावरण श्रेष्ठ सुगंधित हो रहा है… सभी प्रसन्नीत हो रहे हैं

मैं रूहानी सूरजमुखी हूँ… मेरी मन-बुद्धि सदा ज्ञान सूर्य बाबा की तरफ है… उनसे ही शक्तियां ले रही हूँ

योग की धूप… ज्ञान के जल… धारणा की धरती से… मैं फूल खिल उठा हूँ… सभी परिस्थिति में खिला हुआ हूँ

मैं सदा हर्षित… मीठा… शान्त-चित हूँ

सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित… मैं रूहे गुलाब हूँ… राजा हूँ… सबसे सुन्दर

स्वयं भगवान मेरा बागवान है… उनके बगीचे का, मैं किंग फ्लावर हूँ… सबको भी बनाना है… ओम् शान्ति!

गीत: भगवान की बगिया के…


और योग कमेंटरी:

Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं खुशबूदार फूल हूँ | I’m a fragrant flower’

One Reply to “योग कमेंटरी | मैं खुशबूदार फूल हूँ | I’m a fragrant flower”

  1. …हां बिल्कुल आप अल्लाह के बगीचे के रुहे ? गुलाब हो ?

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