योग कमेंटरी | मैं आधार मूर्त हूँ
मैं सारे विश्व की आधार मूर्त… उद्धार मूर्त… उदाहरण मूर्त आत्मा हूँ
मेरे श्रेष्ठ वाइब्रेशन… सारे विश्व की आत्माओं को पहुंचते… उनकी पालना करते
मैं पालनहार… पूर्वज… पूज्य आत्मा हूँ
मेरे संकल्प चेहरे पर झलकते… बोल-कर्म सब फोलो करते… मैं हीरो एक्टर, सदा स्टेज पर हूँ
मेरी खुशी, सबको खुश करती… हलचल भी प्रभाव डालती… मेरा अपने पर सम्पूर्ण attention है
मैं सतयुग स्थापन करने की आधर… सतयुगी-दिव्य आत्मा… देव कुल की महान आत्मा हूँ… ओम् शान्ति!
गीत: नयी उमर की कलियां हो तुम…
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं आधार मूर्त हूँ’