योग कमेंटरी | मैं राजऋशी हूँ

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योग कमेंटरी | मैं राजऋशी हूँ

मैं राजऋशी हूँ… राजा भी… ऋशी भी

मैं बालक सो मालिक… सर्व खजा़नों का मालिक… स्वराज्य अधिकारी हूँ

मैं पवित्र, त्यागी तपस्वी हूँ… बुराइयों को त्याग कर… श्रेष्ठ स्थिति का भाग्य प्राप्त कर लिया है

मैं श्रेष्ठ स्थिति का आसन-धारी हूँ… कल्प वृक्ष की जड़ों में विराजमान… तपस्वी हूँ … मेरे श्रेष्ठ वाइब्रेशन सारे वृक्ष को पहुंचते… उनकी पालना करते हैं

मेरा तो एक शिवबाबा है… उनकी याद से मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न बना हूँ… सबको यह ख़ज़ाने बांटता हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: महाज्योति को याद करो, हे योगी बड़े प्यार से…


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं राजऋशी हूँ’

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