योग कमेंटरी | ज्ञान-वान होने का अनुभव | Experiencing knowledgeful-ness
ज्ञान सागर ने… मुझे सर्वश्रेष्ठ ज्ञान सुनाकर… मास्टर ज्ञान सागर बना दिया है
मुरलीधर की मुरली ने… मुझे मास्टर मुरलीधर बनाकर… सदा अतिन्द्रीय सुख में रहना सिखा दिया है
तीनों कालों का ज्ञान देकर… त्रिकालदर्शी… त्रिनेत्री बना दिया है
अब मैं तीनों लोकों का मालिक… त्रिलोकिनाथ बन गया हूँ
मैं ज्ञान-वान… ज्ञान स्वरूप… ज्ञानी तू आत्मा हूँ
सदा मुख से ज्ञान रत्न ही सुनाने है… मैं ज्ञान गंगा हूँ… सबको पावन बनाती हूँ… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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