योग कमेंटरी | मैं सतयुगी प्रिंस हूँ

योग कमेंटरी | मैं सतयुगी प्रिंस हूँ

मैं सतयुगी प्रिंस हूँ… सम्पूर्ण सतोप्रधान… सर्वगुण सम्पन्न

स्वर्ग का राज्य अधिकारी… पद्मापद्म भाग्यशाली… सर्व प्राप्ति सम्पन्न हूँ

मैं दिव्यता से भरपूर… शीतल दृष्टि, मीठे बोल, रॉयल चलन से सुशोभित… दिव्य दर्शनीय मूर्त हूँ

बाबा मुझे नर से नारायण… मनुष्य से देवता… पावन-पूज्य-सतोप्रधान बना रहे हैं

बाबा ने दिव्यगुणों से श्रृंगारकर… मुझे दिव्य फूलअलौकिक फ़रिश्ता बना दिया है… ओम् शान्ति!


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं सतयुगी प्रिंस हूँ’

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