योग कमेंटरी | मैं सतयुगी प्रिंस हूँ
मैं सतयुगी प्रिंस हूँ… सम्पूर्ण सतोप्रधान… सर्वगुण सम्पन्न
स्वर्ग का राज्य अधिकारी… पद्मापद्म भाग्यशाली… सर्व प्राप्ति सम्पन्न हूँ
मैं दिव्यता से भरपूर… शीतल दृष्टि, मीठे बोल, रॉयल चलन से सुशोभित… दिव्य दर्शनीय मूर्त हूँ
बाबा मुझे नर से नारायण… मनुष्य से देवता… पावन-पूज्य-सतोप्रधान बना रहे हैं
बाबा ने दिव्यगुणों से श्रृंगारकर… मुझे दिव्य फूल… अलौकिक फ़रिश्ता बना दिया है… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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