योग कमेंटरी | अब घर जाना है
84 जन्मों, 5000 साल से पार्ट बजा रहा हूँ… अब पार्ट पूरा हुआ… अब घर जाना है
परमधाम मेरा घर है… जहाँ सम्पूर्ण शान्ति है… विश्राम है
सबकुछ बाबा को सौप कर… मैं निश्चिंत हो गया हूँ… बाबा की याद से… सम्पूर्ण सतोप्रधान बन रहा हूँ
जैसे भरतू हो आए थे… वैसे ही भरतू हो जाना है… बाबा की याद में रह… सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनना है
सबको ख़ज़ाने बांटते… उन्हे भी आप समान सम्पन्न… तैयार करना है… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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