योग कमेंटरी | आत्मिक स्थिति का अभ्यास | Practising Soul Consciousness

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योग कमेंटरी | आत्मिक स्थिति का अभ्यास | Practising Soul Consciousness

मैं शान्त स्वरूप आत्मा हूँ… प्रेम स्वरूप… आनंद स्वरूप हूँ

आँखों ? द्वारा देखने वाली… कानों ? द्वारा सुनने वाली… मुख ? द्वारा बोलने वाली… शरीर द्वारा कर्म करने वाली शक्ति… मैं आत्मा हूँ

मैं भ्रकुटी के बीच विराजमान… प्रकाश का पुंज… चमकती मणीदिव्य सितारा हूँ

मैं सोचने-मेहसूस करने वाली शक्ति हूँ… यह देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… यह शरीर रथ, मैं आत्मा ड्राइवर हूँ

यह शरीर बाबा की अमानत है… मुझे इसे श्रीमत पर ही use करना है… स्वयं और सर्व का कल्याण करना है… ओम् शान्ति!


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Thanks for reading this meditation commentary on ‘आत्मिक स्थिति का अभ्यास | Practising Soul Consciousness’

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