योग कमेंटरी | सूक्ष्मवतन में सोना
इस शरीर रूपी गाड़ी को… बिस्तर रूपी गैरेज में रख… मैं आत्मा उड़ चली ऊपर
बाबा ने सूक्ष्मवतन में… मेरा लाइट का बेड तैयार किया है… मैं फ़रिश्ता लेट जाता
बाबा मेरे सिर पर हाथ फ़ेर रहे… मैं अव्यक्त स्थिति में स्थित… बिल्कुल शान्त हो रहा
बाबा मेरे सिर-पैर दबाकर… सारी थकान दूर कर रहे… जन्म-जन्मान्तर की
मुझे नींद आ रही… मैं बाबा की गोद में सो जाता हूँ… बाबा, अमृतवेला उठा देना
मेरा बाबा… मीठा बाबा… प्यारा बाबा… शुक्रिया बाबा… ओम् शान्ति!
गीत: निंदिया लेकर आयी…
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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