योग कमेंटरी | सूक्ष्मवतन में सोना

योग कमेंटरी | सूक्ष्मवतन में सोना

इस शरीर रूपी गाड़ी को… बिस्तर रूपी गैरेज में रख… मैं आत्मा उड़ चली ऊपर

बाबा ने सूक्ष्मवतन में… मेरा लाइट का बेड तैयार किया है… मैं फ़रिश्ता लेट जाता

बाबा मेरे सिर पर हाथ फ़ेर रहे… मैं अव्यक्त स्थिति में स्थित… बिल्कुल शान्त हो रहा

बाबा मेरे सिर-पैर दबाकर… सारी थकान दूर कर रहे… जन्म-जन्मान्तर की

मुझे नींद आ रही… मैं बाबा की गोद में सो जाता हूँ… बाबा, अमृतवेला उठा देना

मेरा बाबा… मीठा बाबाप्यारा बाबा… शुक्रिया बाबा… ओम् शान्ति!

गीत: निंदिया लेकर आयी…


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