योग कमेंटरी | देही अभिमानी स्थिति का अभ्यास | Soul Conscious in actions

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योग कमेंटरी | देही अभिमानी स्थिति का अभ्यास | Soul Conscious in actions

मैं आँखों द्वारा देखने वाली… कानों द्वारा सुनने वाली… मुख द्वारा बोलने वालीं… शरीर द्वारा कर्म करने वाली शक्ति आत्मा हूँ

मैं करावनहार हूँ, शरीर करनहार है… मैं मालिक हूँ… इस रथ (व गाड़ी) की

यह देह बाबा की अमानत है… मुझे इसे श्रीमत पर ही use करना है

आँखों से विशेषताएं देखनी है… मुख द्वारा मीठे ज्ञान रत्न ही बोलने है… कर्म द्वारा गुणवान बनाना, सबको सुख देना है

मैं मालिक हूँ, इस शरीर को चला रही हूँ…

इन्हीं संकल्पों को बार बार दोहराते… मुझे अपनी देही अभिमानी स्थिति मजबूत करनी है… ओम् शान्ति!


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