योग कमेंटरी | बाबा से दृष्टि लेते हुए | Taking drishti
बाबा मुझे दृष्टि दे रहे हैं… बहुत प्यार-भरी, मीठी… शक्तिशाली… आत्मिक दृष्टि
बाबा सदा मेरी विशेषताएं देखते… जाने क्या देखा मुझमे… जो मुझे अपना बनाकर, पद्मपद्म भाग्यशाली बना दिया है
मुझमे अनोखी शक्ति भर रही है… मैं बिल्कुल हल्कि… शान्ति, प्रेम, आनंद से भरपूर हो गयी हूँ
मैं बाबा का अनन्य रत्न हूँ… बाबा की दृष्टि सदा मुझ पर है… मैं उनकी छत्रछाया में, सदा सुरक्षित हूँ
सबकुछ मुझपर लुटाने वाले बाबा, मुझे देख रहे हैं… मुझे उनकी आशाओं को पूर्ण कर… बाप समान बनना है
बाबा से दृष्टि ले… सारे विश्व को दृष्टि अर्थात श्रेष्ठ वाइब्रेशन देने है… सबकी विशेषताएं देखते, आगे बढ़ाना है… ओम् शान्ति!
गीत: आप दृष्टि यूँ ही देते रहो बाबा…
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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