Surrendering to Baba! | Sakar Murli Churnings 20-08-2019

Surrendering to Baba! | Sakar Murli Churnings 20-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. अब पुराने माण्डवे को छोड़ घर जाना है, जिसके लिए पवित्र बनना है (माया के पोंप के बीच), फिर नई दुनिया-सुखधाम में पहुंच जाएंगेे (देवता बन) 21 जन्मों के लिए… फिर चक्र रिपीट होगा… यह सारे ड्रामा का ज्ञान सिर्फ हमारे पास है

2. तो श्रीमत पर चल श्रेष्ठ जरूर बनना है:

  • ज्ञान (राजयोग-सृष्टि चक्र-त्रिलोक के अविनाशी ज्ञान रत्न… जिससे चक्रवर्ती राजा बनते)
  • योग (जिसपर ही सारा मदार है, विकर्म विनाश, सतोप्रधान-कर्मातीत बनते… बाकी सबकुछ भूलना हैं)
  • धारणा (फूल बनना है… क्रोध-मुक्त, शान्त-चित्त)
  • सेवा (मेले आदि… सबकुछ सफल करना है)

द्बारा

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… दुःखों से मुक्त होने, वा सर्वश्रेष्ठ पद से प्राप्त करने, सदा अपने को बुद्धि से श्रीमत पर समर्पित कर… हर पल ज्ञान-योग-धारणा-सेवा द्बारा अविनाशी कमाई-प्राप्तियों से भरपूर-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | मैं आधार मूर्त हूँ

योग कमेंटरी | मैं आधार मूर्त हूँ

मैं सारे विश्व की आधार मूर्त… उद्धार मूर्त… उदाहरण मूर्त आत्मा हूँ

मेरे श्रेष्ठ वाइब्रेशन… सारे विश्व की आत्माओं को पहुंचते… उनकी पालना करते

मैं पालनहार… पूर्वज… पूज्य आत्मा हूँ

मेरे संकल्प चेहरे पर झलकते… बोल-कर्म सब फोलो करते… मैं हीरो एक्टर, सदा स्टेज पर हूँ

मेरी खुशी, सबको खुश करती… हलचल भी प्रभाव डालती… मेरा अपने पर सम्पूर्ण attention है

मैं सतयुग स्थापन करने की आधर… सतयुगी-दिव्य आत्मा… देव कुल की महान आत्मा हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: नयी उमर की कलियां हो तुम…


और योग कमेंटरी:

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The power of Purity! | Sakar Murli Churnings 19-08-2019

The power of Purity! | Sakar Murli Churnings 19-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. एवर-pure भगवान् एक ही बार (हमारे बुलावे पर, धर्म ग्लानि के समय) मनुष्य-तन में आकर ज्ञान-राजयोग सिखाकर हमें पवित्र (civil-eye) बनाए पवित्र-नई दुनिया सुखधाम-विश्व का मालिक (गोरा-देवता) बनाते, आधाकल्प के लिए… फिर चक्र फिरेगा, ड्रामा accurate है…

2. इसलिए हमें याद द्बारा पावन-शान्त बनते-बनाते, सर्वगुण सम्पन्न बनना है 

चिन्तन

जबकि हमें स्मृति आई है, हमारा आदि-अनादि संस्कार ही दिव्य-पवित्र-सुख-शान्ति सम्पन्न है, तो सदा अपनी दिनचर्या-जीवन को पवित्र-योगयुक्त बनाकर सदा सन्तुष्ट-प्रसन्न-सर्व प्राप्तियों से भरपूर बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Going beyond Sound in a second! | आवाज से परे | (42nd) Avyakt Murli Revision 22-01-70

Going Beyond Sound in a second! | आवाज से परे | (42nd) Avyakt Murli Revision 22-01-70

1. अव्यक्त दुनिया में आवाज नहीं, इसलिए बाबा ड्रिल कराते (अभी-अभी आवाज में, अभी-अभी परे), फिर औरों के मन के भावों को भी सहज जान सकेंगे… ऎसी बुद्धि की लाइन clear हो, इसलिए अटूट-अटल-अथक चाहिए, फिर भविष्य भी बिल्कुल स्पष्ट दिखेगा, जैसे टीवी… इसलिए बाबा सूर्य को साथ रखना है, तो माया अंधकार दूर रहेगा

2. अपने अटूट-एकरस स्नेह से, बाबा हम स्नेही बच्चों को मिलन-मेले में दो सौगात देते, शुभ-चिन्तन (जिससे स्थिति बनती) और शुभ-चिन्तक (जिससे सेवा होती)

3. बाबा हमारे 3 रूप एक साथ देखते… वर्तमान-पुरूषार्थी और भविष्य-फ़रिश्ता (सब अपने नम्बर अनुसार सम्पूर्ण जरूर बनेंगे) और भविष्य-देवताअव्यक्त सहयोग देते रहते, अब तो उन्हें देह-समय का भी बन्धन नहीं

4. अभी-अभी देह से न्यारा (बिल्कुल अशरीरी), और अभी-अभी देह में कर्म लिए, ऎसा हल्का बनना है… इसलिये संस्कार को ईजी बनाना है, ईजी-अलर्ट

5. हम ही कल्प पहले वाले, पुराने, कोटों में कोई आत्माएं है… इसलिए लास्ट सो फास्ट जाकर, राज़ाई पद पाना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अभी-अभी आवाज से परे अशरीरी, और वापिस देह में… इसी अभ्यास को बार-बार करते, बुद्धि की लाइन clear रख सदा हल्के शुभ-चिन्तक बन… फास्ट अपने सम्पूर्णता के लक्ष्य पर पहुंचते-पहुंचाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Pulling our line of fortune long! | पद्मापद्म भाग्यशाली बनने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 18-08-2019

पद्मा

1. आज बीजरूप बाबा अपनी सर्व शक्तियां लेने वाले, सारे वृक्ष की आधार-मूर्त आत्माओं को देख रहे… संगमयुग पर स्वयं भगवान् ने हमें भाग्य लिखने की कलम दी है, बेहद-सर्व प्राप्तियों का भण्डार खुला है, जितना चाहे ले सकते

2. अब भी तू-लेट नहीं हुआ, बाबा हमें बाप-सतगुरू के रूप में वरदानों से भरपूर कर रहे (हिम्मत से मदद मिलती है), अलबेले नहीं बनना… फिर बाबा को साक्षी होना पड़ेगा, इसलिए भगवान्-भाग्य दो शब्द याद रख पद्मापद्म भाग्यवान बनना है…

3. बाबा अपने साथ-सहयोग-वरदान-वर्सा द्बारा हमें हिम्मत-पंख दे:

  • मजबूत करते, तो मजबूर नहीं होना है
  • मोजों के युग में मुँजना नहीं है
  • के-के, गे-गे के गीत के बनाए ‘पा लिया” का गीत गाना गई

पार्टियों से मुलाकात

1. हमें नया-अलौकिक जन्म-जीवन-बाप-वर्सा मिला है, तो पुराना-पन को याद (बॉर्डर क्रॉस) नहीं करना है… अभी बिजनेस-मैन बन हर कदम में पदमों की कमाई जमा कर, आगे से आगे बढ़ते रहना है

2. डबल लाइट फ़रिश्ता अर्थात सदा उड़ती कला, ऊँची स्थिति में… माया-धरणि के आकर्षण से ऊपर, सदा विजयी-निश्चिंत

3. सहज-स्वतः-निरन्तर-कर्म योगी अर्थात सर्व सम्बन्धों से बाबा को अपना बनाने वाले (तो और कहीं याद जा नहीं सकती)…

4. बाबा याद रहने से प्राप्तियां-शक्तिशाली होते, और वर्सा याद रहने से खुशी होती (खुशी ही जीवन है)

5. कुमार अर्थात श्रेष्ठ-रूहानी-शक्तिशाली, जो चाहे कर सकते… लडा़ई-दुःख-धोखे से परे रहते, औरों को भी बचाने वाले, निमित-शक्तिशाली सेवाधारी

6. हम मास्टर-सर्वशक्तिमान स्वराज्य-अधिकारों है, अधीन होने वाले नहीं (व्यक्ति-वैभव से)… इसी स्मृति से सदा मायाजीत-विजयी रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… भगवान्-भाग्य दो शब्द स्मृति में रख, भगवान् से सर्व प्राप्ति-खजा़नों से सम्पन्न बन अपने भाग्य को सर्वश्रेष्ठ बनाते… सदा मौज में ऊँची स्थिति में स्थित रह, सबको श्रेष्ठ बनाते, हर कदम पर पदमों की कमाई जमा करते-कराते, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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Coming closer to perfection! | (41st) Avyakt Murli Revision 18-01-70

Coming closer to perfection! | (41st) Avyakt Murli Revision 18-01-70

1. बाबा हमारी (सितारों की) सम्पूर्णता की समीपता देख रहे (तब ही हम सब बातें परख सकेंगे)… चित्र के साथ, विचित्र को याद रखने से चरित्र धारण होंगे

2. एक वर्ष जो अव्यक्त स्नेह-सहयोग-पालना मिली, उसके रिटर्न में चेक करना है, हम कहां तक व्यक्त भाव से परे बने (जिससे चलन में भी अलौकिकता आती)… निश्चय के पेपर में तो पास हुए (हमें अब भी साकार-परिवार से स्नेह-सहयोग-शक्ति मिलती), अभी सबको स्नेह-शक्ति देने का पेपर होगा (भल छोटी-मोटी समस्याएं आती रहेंगी, तन-मन-सम्बन्ध-वायुमण्डल की)… पेपर समझने से पास हो जाएंगे

3. विल-पावर प्राप्त करने लिए सबकुछ विल कर देना है… झाटकू बनने की शक्ति ही कुछ और है, रस्सियां तोड़नी है

4. विदेही को युगल बनाने से विदेही बनने में सहयोग मिलता, सहज सफलता मिलती, हम मुश्किल को सहज करने वाले है… फास्ट जाने वाले कहीं फँस नहीं सकते, इसलिए लास्ट स्थिति सदा याद रखनी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा की wonderful अव्यक्त पालना का रिटर्न देने… व्यक्त भाव छोड़, सबकुछ बाबा को सोप, सदा उससे बुद्धि जोड़े रखे… तो हमारी हर चलन में अलौकिकता-शक्ति आते, हम सम्पूर्ण बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Remaining full of spiritual intoxication! | Sakar Murli Churnings 17-08-2019

Remaining full of spiritual intoxication! | Sakar Murli Churnings 17-08-2019

सार

हमें नशा होना चाहिए, संगम पर (अलौकिक बाप ब्रह्मा द्बारा) स्वयं सुख-कर्ता मोस्ट Beloved बाप हमें ज्ञान-योग पढ़ाते, स्वर्ग-अमरलोक-विश्व का मालिक देवता बनाने... माया (5 विकारों से मुक्त) होने, सबकुछ भूल मामेकम् याद करना है, तब ही ऊंच पद बनेंगा… फिर चक्र फिरता रहेगा (चित्रों में सबकुछ समझाया है)… धारणा कर सबकी ईश्वरीय सेवा करनी है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख, ईश्वरीय नशे से सम्पन्न रहे… जिससे हम सहज उमंग-उत्साह से भरपूर रहेंगे, बुराईयों से वैराग्य हो श्रेष्ठ तरफ तीव्र दौड़ी लगाते, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Summary of all 1969 Avyakt Murlis

Summary of all 1969 Avyakt Murlis

कल हमने 1969 की सारी अव्यक्त मुरलीयों का चिन्तन पूरा किया (टोटल 40 मुरली) … तो आज इन सभी मुरलीयों का सार देखते (1 छोटे आर्टिकल मेंं, उसमें भी कोई ब्लू अक्षरों को टच करने से, उस पूरी मुरली का सार खुल जाएंगा)… इन्हें बहुत प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी

अव्यक्त स्थिति

मुख्य बात, बाबा ने अव्यक्त स्थिति बढ़ाना का इशारा दिया, जिससे ही अव्यक्त मिलन होता:

नई सहज पुरुषार्थ की विधियां

बाबा ने बहुत सारी सहज शक्तिशाली युक्तियां बताई (पहली बार), सहज सम्पूर्ण बनाने… फोलो फादर करना, अपने को मेहमान समझ, ट्रस्टी बनना (सबकुछ बाबा की अमानत हैं), जिससे सम्पूर्ण समर्पित निश्चय-बुद्धि परवाने बनते… बाबा की ऊंची दृष्टि देखते, उसकी आशाओं का दीपक जरूर बनना है, अलर्ट-attractive

पुरुषार्थ से प्राप्तियां!

पुरुषार्थ से प्यार ही समस्याओं पर विजयी बनाता… इसलिए याद को स्नेह-रूप के साथ शक्ति रूपअग्नि रूप भी बनाना… बुद्धि को भी सूक्ष्मसाफ़ कर परखने की शक्ति बढ़ानी है, सरल-चित कर… तब ही परिवर्तन अविनाशी बन, संगठन वा सेवा में सफलता मिलेगी (सेवा भी भिन्न युक्तियों भी बताई)… और नंबर वन, बेस्ट टीचर, मधुबन का शो-पीस बनेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बीती-आलस्य को बिन्दी लगाए, ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्ण समर्पण-भाव जागृत कर… पुरुषार्थ से प्यार (और बाबा की स्नेह-शक्ति-अग्नि स्वरूप याद द्बारा) अव्यक्त स्थिति मजबूत करते रहे… तो सहज संगठन-सेवा में सफलता पाते, नंबर वन बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Becoming beautiful! | Sakar Murli Churnings 16-08-2019

Becoming beautiful! | Sakar Murli Churnings 16-08-2019

सार

1. हम स्वीट होम से नीचे आए थे, बहुत सुख भोग अब दुःखी हुए है… अब हमारा मीठा-मीठा बाप-टीचर-सतगुरू मिला है, जो सारा ज्ञान सुनाए, साथ ले जाते, फिर स्वर्ग-सुखधाम भेज देते (जहां निरोगी, बड़ी आयु, नैचुरल ब्यूटी, सुन्दर, सम्पूर्ण सुखी रहते)… फिर तो ड्रामा का चक्र फिरता रहेगा

2. तो हमे भी घर-गृहस्थ में रहते, सबकुछ बुद्धि से भूल, अपने को आत्मा समझ पतित-पावन बाबा को याद करना है (तो विकर्म-विनाश हो पावन बन जाएँगे, भल माया के तूफान आए)… स्वदर्शन-चक्रधारी बन, खुशबूदार फूल बनना है (निर्माण)… सबकी सेवा करनी है (बैज से भी बाबा का परिचय दे सकते)

चिन्तन

जबकि सबसे सुन्दर मुसाफिर बाबा आया है हमें भी आप समान सुन्दर-गोरा बनाने… तो सदा उसके सर्वश्रेष्ठ ज्ञान को अपनी बुद्धि में समाते, हर रोज योग में नित-नए अनुभवों से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते… अपने जीवन को दिव्यगुणों से श्रृंगारकर, सबका कल्याण करतेे, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Considering everything as Baba’s Amanat! | (40th) Avyakt Murli Revision 25-12-69

Considering everything as Baba’s Amanat! | (40th) Avyakt Murli Revision 25-12-69

1. जैसे बाबा हम रूहों से खुशबू लेते, हमें भी सदा रूह समझ हर संकल्प-बोल-कर्म में रूहानियत लानी है… इसके लिए सदा स्वयं (मन-संस्कार), सर्व (जिज्ञासू-सेन्टर) को अमानत समझना है, तो अनासक्त रहेंगे, रूहानियत आएंगी… तब हमारे फीचर्स में फ़रिश्ते-समान संकल्प-बोल-कर्म में हल्कापन आएँगा, हम तुरन्त परख-निर्णय कर सकेंगे

2. हम ऑल-राउंडर तो है, अभी विश्व महाराजन् बनना है… अर्थात सब के साथ ऎसे सम्बन्ध हो, जो सब स्नेह-पुष्पों की वर्षा करे… इसके लिए सब के सहयोगी बनना है, नजदीक सम्बन्धि वह, जो सबको कुछ न कुछ सहयोग देंगे

3. हमने उंगली दी है पर्वत उठाने लिए… लेकिन अब एक-एक पुष्प अकेले के बजाए, सबको गुलदस्ते के रूप में साथ रूप-रंग से चमकना है… तब सर्विस में सफलता मिलेंगी, सब बाबा से जुड़ेंगे

4. हम है आत्माओं के सम्बन्ध की नीव डालने वाले, जितना हम मजबूत qualification वाले होंगे, उतना वह क्वालिटी बनेंगे… इसके लिए हमें बाप-समान बनना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपना सबकुछ बाबा की अमानत समझ, सदा अपने को रूह समझ रूहानियत से भरपूर रह, फ़रिश्ते समान हल्का बन… सबके स्नेही-सहयोगी बन, सेवा में सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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