Baba’s wonderful part! | Mateshwari ji’s Churnings 24-06-2019

Baba’s wonderful part! | Mateshwari ji’s Churnings 24-06-2019

बेहद का बाबा हमें समझाते, पिता है तो जरूर वह एक अलग सत्ता है… हम originally बहुत श्रेष्ठ थे, अब हमारा पार्ट है फिर ऎसा बनना, ज्ञान-योग द्बारा, स्वयं-शरीर-संसार सब सतोप्रधान बनाना… इसलिए बाबा को वर्ल्ड क्रियेटर, Almighty Authority, लिबरेटर, सद्गति दाता कहते, उनका पार्ट सबसे बड़ा-ऊंचा-विशाल-महान है, जो हमें सत्य ज्ञान सुनाकर श्रेष्ठ-पवित्र-सदा सुखी बनाते

सार

जबकि सबसे महान पार्टधारी भगवान् हमारे साथ है, तो सदा उनके ज्ञान-योग-श्रीमत का साथ-हाथ की छत्रछाया में रह… सदा समर्थ-सुखी बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Thanks for reading this article on ‘Baba’s wonderful part! | Mateshwari ji Churnings 24-06-2019’

The journey ahead! | (1st) Avyakt Murli Churnings 21-01-69

The journey ahead! | (1st) Avyakt Murli Churnings 21-01-69

हमें क्या करना है?

  • अव्यक्त स्थिति में स्थित रहने से उलझन-डगमग-संशय नहीं… ज्ञान-योग-सेवा-आज्ञाओं पर बाबा-संगठन-नियमों के आधर से सहज चलते रहते… जैसे बाबा ने हमें शिक्षाओं से श्रृगारा है!
  • अभी बाबा retire होकर हमें विश्व-कल्याण का ताज देते (सतयुग के ताज की तैयारी!)… किसी के अवगुण नहीं देखते, एकमत-अन्तर्मुखी-अव्यक्त हो सबके सम्पर्क में आना है
  • अंगद-समान अचल रहना है, पेपर अचानक ही आते, ड्रामा कल्याणकारी है…

ब्रह्मा बाबा की स्थिति

  • व्यक्त में रहते अव्यक्त रूपधारी
  • मस्तक पर सितारा बहुत चमकता हुआ
  • छोटी-छोटी बातों से उपराम

आगे का कारोबार 

  • ब्रह्मा बाबा का पार्ट आकार में चलता रहेंगा, संदेशी द्बारा पूरी सेवा करेंगे, सदा उनका हाथ-साथ रहेंगा
  • साकार मुरली revise करनी है 
  • मधुबन का वैसे ही कारोबार चलता रहेगा, निमित्त बड़ों द्बारा 
  • अभी निमित दीदी-दादी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अव्यक्त स्थिति में स्थित रह, सदा बाबा का हाथ-साथ अनुभव करते, सदा विश्व कल्याण का ताज स्मृति में रख… सबकी विशेषताएं देखते, अचल adol रह, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The journey ahead! | (1st) Avyakt Murli Churnings 21-01-69’

Becoming free from waste! | व्यर्थ समाप्त करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 23-06-2019

Becoming free from waste! | व्यर्थ समाप्त करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 23-06-2019

कल्याणकारी समय!

इसी समय आत्माओं और परमात्मा का मिलन होता, इसलिए यह युग है:

  • महान युग
  • महा मिलन का युग
  • सर्व प्राप्ति का युग
  • असंभव को सम्भव करने का युग
  • श्रेष्ठ अनुभुती का युग
  • विशेष परिवर्तन का युग
  • विश्व कल्याण का युग
  • सहज वरदानों का युग

यह भाग्य सिर्फ हम थोड़ी श्रेष्ठ आत्माओं को मिलता… इसी स्मृति में रह समर्थ अर्थात व्यर्थ से मुक्त बनना है

समर्थ और व्यर्थ का अन्तर!

  • समर्थ संकल्प बाबा से मिलन कराता, मायाजीत बनाता, आत्मिक एनर्जी बढ़ाता, सफलता-मूर्त सेवाधारी बनाता…
  • व्यर्थ नीचे लाता, प्लान-प्रैक्टिकल में महान अन्तर लाता, उमंग-उत्साह कम कर, दिलशिकस्त करता…
  • व्यर्थ हलचल में लाता, समर्थ बहार के समान हरा-भरा बनाता… समर्थ शान में स्थित होता, व्यर्थ परेशान करता 

समर्थ बनने की सहज बिधि!

मुरली का एक-एक महावाकय समर्थ खज़ाना है, इसके चिन्तन से स्वयं को भरपूर-busy रखने से, माया के आने की मार्जिन नहीं… इसलिए मुरली को:

  • सुनना (खुशी से)
  • समाना (चिन्तन से)
  • स्वरूप में लाना (शक्तिशाली बनना, एक second में व्यर्थ को परिवर्तन और शक्तिशाली किरणों द्बारा सब को शक्तिशाली बनाना) 

ग्रुप से मुलाकात!

1. महाराष्ट्र अर्थात हर संकल्प स्वरूप सेवाकर्ममहान, जो किया वह हुआ… पंजाब वाले माया को ललकार कर अपना स्वराज्य स्थापन करने वाले… कर्नाटक वाले भावना का महान फल खाने वाले

2. महान सेवाधारी अर्थात हर संकल्प-सेकण्ड-बोल में हर जगह सेवा समाई हुई हो, इसे कहते स्वतः सेवाधारी… हमारा लिए सदा प्रोग्राम है, हम सदा स्टेज पर है… श्रीमत पर दृृढ़ संकल्प करने से हम सबके लिए example बन गए

3. हम निर्भय है, क्योंकि:

  • बाबा की याद की छत्रछाया के किले में, हम सदा सेफ है 
  • हम निर्वैर है, किसी के लिए वैर नहीं, सब के लिए शुभ भावना, शुभ कामना
  • मेरा बाबा की लगन से, सभी विघ्न पर विजयी, निर्विघ्न है 

4. हम हलचल में भी अचल, विघ्न-विनाशक, खेल समझने वाले, नॉलेजफूल, nothing न्यू का पाठ पक्का करने वाले ईंट है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इस अमूल्य समय पर, सदा मुरली को चिन्तन से स्वयं में समाकर शक्तिशाली निर्विघ्न बन, सदा मेरे बाबा की लगन-छत्रछाया में सेफ रह… हर संकल्प-सेकण्ड स्वतः सेवाधारी महादानी-वरदानी बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘Becoming free from waste! | व्यर्थ समाप्त करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 23-06-2019’

योग कमेंटरी | मैं सतयुगी प्रिंस हूँ

योग कमेंटरी | मैं सतयुगी प्रिंस हूँ

मैं सतयुगी प्रिंस हूँ… सम्पूर्ण सतोप्रधान… सर्वगुण सम्पन्न

स्वर्ग का राज्य अधिकारी… पद्मापद्म भाग्यशाली… सर्व प्राप्ति सम्पन्न हूँ

मैं दिव्यता से भरपूर… शीतल दृष्टि, मीठे बोल, रॉयल चलन से सुशोभित… दिव्य दर्शनीय मूर्त हूँ

बाबा मुझे नर से नारायण… मनुष्य से देवता… पावन-पूज्य-सतोप्रधान बना रहे हैं

बाबा ने दिव्यगुणों से श्रृंगारकर… मुझे दिव्य फूलअलौकिक फ़रिश्ता बना दिया है… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं सतयुगी प्रिंस हूँ’

Having spiritual love for all! | Sakar Murli Churnings 22-06-2019

Having spiritual love for all! | Sakar Murli Churnings 22-06-2019

हम अपने को आत्मा समझते, जिससे देवता बनते जाते (सतयुग में आत्म-अभिमानी होते, सर्प का मिसाल)… ऎसे श्रेष्ठ बनाने वाले बाबा को तो कितना याद करना चाहिए, जो ब्रह्मा तन में आकार हमें रौशनी दे पवित्र गुल-गुल बनाए साथ ले जाते, फिर अमरलोक में भेजते… एक बाप के हम सभी बच्चें भाई-भाई है, तो सबसे रूहानी प्यार चाहिए

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमारे सभी आत्मा-भाइयों में विशेषताएं हैं, तो सदा बाबा से combined सर्व प्राप्ति सम्पन्न रह, सबको सम्मान-प्यार देते, क्षीरखण्ड दुनिया सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘Having spiritual love for all! | Sakar Murli Churnings 22-06-2019’

The personality of purity! | Avyakt Murli Churnings 06-04-95

The personality of purity! | Avyakt Murli Churnings 06-04-95

1. हम सर्व स्नेही बच्चों की सूरत-चेहरे-चलन में रूहानी पर्सनालिटी (प्योरिटी की पर्सनालिटी) दिखाई देती वा अनुभव होती (भल बाहर से साधारण है, और बाकी सब की शरीर-विशेषता-position की पर्सनालिटी है)… हमारी सारे कल्प में सर्वश्रेष्ठ-महान पर्सनालिटी है:

  • अनादि… हमारी चमक सब से न्यारी-प्यारी है
  • आदि… हमारी सबसे श्रेष्ठ पर्सनालिटी है, तन-मन-धन-सम्बन्ध सेे… सुन्दर, सजे हुए, सुख-शान्ति-प्रेम-आनन्द स्वरूप
  • मध्य… हमारी पूजा विधिपूर्वक होती (किसी धर्मात्मा, महात्मा, नेता की ऎसे नहीं होती)… हम कैसे श्रृंगारे जाते!
  • अन्त… हम ब्राह्मण है, जिनकी महिमा कारण आज भी नामधारी ब्राह्मण से श्रेष्ठ कार्य कराते… हमारा नाम शास्त्रों में आता, जिसको सच्चे भक्त कितना विधिपूर्वक संभालते-रखते-पढ़ते, पूज्य समझते

इसलिए सदा अपने श्रेष्ठ प्योरिटी की पर्सनालिटी को स्मृति में रखना है, तो समर्थी आएंगी, माया दूर से ही भाग जाएंगी… आए और भागे नहीं, हम सदा ही मायाजीत रहे… ऎसा बहुतकाल का अभ्यास चाहिए, यह अन्त में नहीँ हो पाएगा, इसलिए अभी से स्मृति-स्वरूप बनना है..

2. रूहानी पर्सनालिटी वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न (स्वभाव-संस्कार सम्बन्ध-सम्पर्क सब में सम्पन्न-सन्तुष्ट) होने कारण, उनकी आंखें कहीं डूबेंगी नहीं, औरौं को देखने वा परचिन्तन में

3. प्योरिटी अर्थात सत्यता-स्वच्छता… अर्थात:

  • विधि में थोड़ा भी अन्तर न हो
  • समय-संकल्प जरा भी व्यर्थ न जाएं
  • संकल्प-बोल-कर्म के मालिक होंगे (बोलना नहीँ चाहिए, मुह से निकल गया ऎसे नहीँ होंगा)

इसके लिए चाहिए महीनता से चेकिंग (सूर्यवंशी की निशानी मुरली महीन है, नाचो, गाओ, हंसो, खेलो, और चन्द्रवंशी का तीर-कमान भारी है, निशाना भी लगाना पड़ता)… डायमणड जुबली मनाने के साथ स्वयं भी डायमणड बनना है

4. सेकण्ड में एवर रेडी-अशरीरी होने का अभ्यास करना है… यह अभ्यास कोई भी कर सकते (सिर्फ सेकण्ड लगता, और संबंध-संपर्क में भी करा सकते)… जितना करेंगे, बहुतकाल के प्रालब्ध में एड होगा, बीच-बीच में करने से स्थिति स्वतः शक्तिशाली रहेंगी, छोटी­-छोटी बातों में पुरुषार्थ नहीं करना पड़ेगा … अन्त समय बता कर नहीँ आएँगा, इस अभ्यास से हमें समय की समाप्ति के वाइब्रेशन भी पहले से टच होंगे…

5. हम खुशराजी है, खुला निमन्त्रण मिला है… लंबी लाइन में भी सोंचते, हमारा कितना बेहद का परिवार है… यह मेला भक्ति के मेलों से तो अच्छा है, नवीनता

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनी सर्वश्रेष्ठ रुहानी प्योरिटी की पर्सनालिटी को स्मृति में रख, समर्थ मायाजीत रहे… महीनता से स्वयं को चेक कर, सम्पूर्ण पवित्र सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन… सूर्यवंशी बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The personality of purity! | Avyakt Murli Churnings 06-04-95’

The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 21-06-2019

The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 21-06-2019

हम परमधाम-निवासी आत्माएं पहले देवता थे, 84 जन्मों का आल-राउंड सुख-दुःख का पार्ट बजाया… अब पार्ट समाप्त हो कब्रिस्तान बनना है, घर जाना है, इसलिए हम अपने निराकार बाप-टीचर-सतगुरु-अकालमूर्त-महाकाल-लिबरेटर बाबा की अव्यभिचारी याद में रहते, जिससे हम विकार-मुक्त पवित्र दिव्यगुण-सम्पन्न सदा-सुखी देवता बनते सतयुग में… औरों को भी ज्ञान सुनाकर कल्याण करना है, अभी हम पुरुषोत्तम संगमयुग पर है सबकुछ जानते (आत्मा, परमात्मा, आदि), भगवान् आए है ब्रह्मा तन में

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम संगम की टॉप-पॉइन्ट पर खड़े हैं, तो सदा ड्रामा को साक्षी हो देख, सदा अपने परम साथी बाबा को साथ रख… सदा सर्वश्रेष्ठ योगयुक्त शान्ति-प्रेेम-आनंद से सम्पन्न रह, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 21-06-2019’

योग कमेंटरी | मैं हनुमान हूँ

योग कमेंटरी | मैं हनुमान हूँ

बाबा मुझे बन्दर से… मन्दिर-लायक देवतापूज्य बना रहे हैं

मैं हनुमान… सदा एक राम की याद में मग्न… योगबल से भरपूर… सम्पूर्ण पवित्र हूँ

सर्व शक्तियों से सम्पन्न, महावीर… मायाजीत… मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ

मैं वायु-समान हल्का… पर्वत-समान शक्तिशाली… पहाड़ को भी राई-रुई बनाता हूँ

सबको संजीवनी बुत्ती से सुरजीत कर… सभी सिताओं को रावण की जंजोरों से छुड़ाता… बाबा के महान स्वर्ग स्थापना के कार्य में सच्चा सहयोगी हूँ… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

Thanks for reading this meditation commentary on ‘मैं हनुमान हूँ’

Becoming victorious over the ghosts within! | Sakar Murli Churnings 20-06-2019

Becoming victorious over the ghosts within! | Sakar Murli Churnings 20-06-2019

अन्तर्मुखी हो चुपचाप अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, Silence में घर-ऑफिस में कार्य करना है… क्रोध (जो खुद-सर्व को जलात, घर के मटके सुखाता, भारत को कंगाल किया है), लड़ना, मारामारी, दुःख देना (और सभी विकार) भूत है, जो बाबा का नाम बदनाम करते, इसको छोड़ने है… इसके लिए दिल कहीं नहीँ लगानी है, सबकुछ भूल अपने को आत्मा समझना है, बाबा को याद कर सम्पूर्ण पवित्र बनना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि भूतनाथ बाबा आए है आधाकल्प के 5 बड़े भूतों को भगाने, तो सदा ज्ञान-योग की वास-धूप जलाए रख सम्पूर्ण फ़रिश्ता-परी बन, सबको शान्ति-प्रेम-खुशियां बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘Becoming victorious over the ghosts within! | Sakar Murli Churnings 20-06-2019’

योग कमेंटरी | पानी के नीचे

योग कमेंटरी | पानी के नीचे

मैं आत्मा, सागर के नीचे हूँ… चारों ओर पानी है… मछलियों की दुनिया… जो अपने नियमों पर चलती

ऊपर सूरज का प्रकाश दिख रहा… मैं उस दुनिया से बिल्कुल दूर हूँ… यहां कोई देहधारी भी नहीं

मैं आसपास घूम रही हूँ… सभी पौधों को देख… बिल्कुल हल्की हूँ

मैं मास्टर सागर की स्थिति में स्थित हूँ… जितना सम्पन्न… उतना ही शान्त-चित्त… प्रेमसुखआनंद से भरपूर

गुणों के सागर के साथ सदा combined… ज्ञान-गुण-शक्तियों से सम्पन्न हूँ… सबको भी करती… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

Thanks for reading this meditation commentary on ‘पानी के नीचे’