Sakar Murli Churnings 08-02-2019

Sakar Murli Churnings 08-02-2019

ड्रामा अनुसार अब वापिस घर जाने का समय है, बाबा आया है हमें लेने, तो पुरानी देह और दुनिया में ममत्व नहीँ रखना है… फिर नई दुनिया नये सम्बन्ध में चलना है, इसलिए अपनी जांच करनी है, चेक करना है, चार्ट रखना है, हमने कहा तक दैवीगुण धारण किए है, हमारी दृष्टि भाई-भाई की बनी है?, हम ज्ञान योग में कहा तक रेग्युलर है?

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने सुखधाम-शान्तिधाम को याद करते रहे… जिससे सहज ही कमजोरियों से मुक्त दैवीगुण सम्पन्न बन जाएँगे, और को भी बनाते रहेंगे, सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | सूक्ष्मवतन में बापदादा से मिलन | Experiencing God in the subtle world

योग कमेंटरी | सूक्ष्मवतन में बापदादा से मिलन | Experiencing God in the subtle world image

योग कमेंटरी | सूक्ष्मवतन में बापदादा से मिलन | Experiencing God in the subtle world

बाबा बाहें पसारे… बुला रहे हैं “आओ बच्चे”… मेरे मीठे बच्चे… प्यारे बच्चे… लाडले बच्चे

मैं फरिश्ता… बाबा के पास पहुँच गया हूँ… बाबा मुझे बहुत मीठी दृष्टि दे रहे हैं… मैं बाबा की दृष्टि ले रहा हूँ

उनका वरदानी हाथ मेरे सिर पर है… बाबा वरदान दे रहे हैं… निरन्तर योगी भव… मायाजीत भव… सदा सुखी भव

विजय का तिलक लगा रहे हैं… सफलता तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकार है… मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ

उनकी छत्रछाया में, मैं सदा सुरक्षित हूँ… परिस्थितयां व माया मुझे हिला नहीं सकती… बाबा मेरा रक्षक है

सदा बाबा को साथ रख… इसी हल्की अव्यक्त स्थिति में रहना है… सबको भगवान से जुड़ाना है… ओम् शान्ति!

गीत: बाबा से मिलन मनाने, आ जाओ मेरे लाल…


और योग कमेंटरी:

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Sakar Murli Churnings 07-02-2019

Sakar Murli Churnings 07-02-2019

रूहानी सर्जन बाबा धीरज देते हैं, बाकी थोड़ा समय है, माया से मुक्त हो हम नई दुनिया में पहुँच जाएँगे… इसलिए याद की यात्रा में रह सतोप्रधान बनना है, सजाओं से छूटने लिए… ज्ञान अमृत पीतेे रह स्वदर्शन चक्रधारी बनकर दैवीगुण धारण करने है, विकारों को छोड़ देना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… याद की यात्रा में रह, दुःख के अंश मात्र से भी मुक्त रहे और अतिन्द्रीय सुख का सदा अनुभव करते रहे, जिससे वातावरण बहुत सुन्दर रहेगा, सबकी सेवा होगी, सतयुग बन जाएंगा… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मैं खुशबूदार फूल हूँ | I’m a fragrant flower

योग कमेंटरी | मैं खुशबूदार फूल हूँ | I’m a fragrant flower

मैं खुशबूदार फूल हूँ… शीतल चन्दन हूँ… मुझसे चारों ओर गुणों की खुशबू फैल रही है… वातावरण श्रेष्ठ सुगंधित हो रहा है… सभी प्रसन्नीत हो रहे हैं

मैं रूहानी सूरजमुखी हूँ… मेरी मन-बुद्धि सदा ज्ञान सूर्य बाबा की तरफ है… उनसे ही शक्तियां ले रही हूँ

योग की धूप… ज्ञान के जल… धारणा की धरती से… मैं फूल खिल उठा हूँ… सभी परिस्थिति में खिला हुआ हूँ

मैं सदा हर्षित… मीठा… शान्त-चित हूँ

सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित… मैं रूहे गुलाब हूँ… राजा हूँ… सबसे सुन्दर

स्वयं भगवान मेरा बागवान है… उनके बगीचे का, मैं किंग फ्लावर हूँ… सबको भी बनाना है… ओम् शान्ति!

गीत: भगवान की बगिया के…


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