Making soul-consciousness our natural nature | देही-अभीमानी स्थिति का नैचुरल नेचर | Avyakt Murli Churnings 02-02-2019
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Sakar Murli Churnings 02-02-2019
Continue reading “Sakar Murli Churnings 02-02-2019”योग कमेंटरी | खुशी का अनुभव | Experiencing Happiness
योग कमेंटरी | खुशी का अनुभव | Experiencing Happiness
खुशियों के सागर की सन्तान… मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ… सदा खुश… सन्तुष्ट हूँ… खुशी मेरे जीवन की विशेषता है
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Sakar Murli Churnings 01-02-2019
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Sakar Murli Churnings 31-01-2019
Continue reading “Sakar Murli Churnings 31-01-2019”योग कमेंटरी | मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ | Spinning the discus of self-realization
योग कमेंटरी | मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ | Spinning the discus of self-realization
मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ… भगवान ने मुझे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान दे दिया है… मैं सर्वगुण सम्पन्न देवता थी
मैं भगवान का परम भक्त रहा हूँ… अभी अधिकारी बना हूँ… बाबा का सारा ज्ञान और वर्सा, गुण और शक्तियां मेरी है
मैं ब्राह्मण हूँ… भगवान की पालना में पलने वाली मैं परद्मपद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ… सेवा के निमित्त आत्मा हूँ
मुझे फरिश्ता बनना है… अव्यक्त… कर्मातीत…
सम्पन्न और सम्पूर्ण बन घर जाना है… अपने अनादि बीजरूप स्थिति में
इसी चक्र को फिराते रहने से… हम मायाजीत बनते… सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहते… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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योग कमेंटरी | मैं दीपक हूँ | I’m the flame of a diya
योग कमेंटरी | मैं दीपक हूँ | I’m the flame of a diya
इस मिट्टी (शरीर) में, मैं आत्मा रूपी ज्योति चमक रही हूँ… मैं बाबा की आशाओं का दीपक… कुल दीपक हूँ
मुझसे चारों ओर प्रकाश की किरणें फैल रही है… अन्धकार मीट रहा है… मैं सदा जागती ज्योत हूँ
मैं ज्ञान घृत से भरपूर हूँ… स्वयं भगवान ने मेरी ज्योति जगाई है… मेरी हर दिन दीवाली है
मैं दीपमाला का दीपक हूँ… सभी दीपकों के साथ चमक रहा हूँ… भल मिट्टी (शरीर) अलग है, ज्योति एक समान है… एक बाबा के बच्चे, हम सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं
मैं दीपराज बाबा की… बहुत प्यारी दीपरानी हूँ… ज्ञान, गुण, शक्तियों से प्रकाशित हूँ
कोई भी माया के तूफान मुझे हिला नहीं सकते… मैं स्थिर और शक्तिशाली हूँ… सत्यता की शक्ति से सम्पन्न… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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Sakar Murli Churnings 30-01-2019
Sakar Murli Churnings 30-01-2019
1. अभी बुद्धि को भटकाने के बजाए एक बाबा में लगाना है (अपने को आत्मा समझकर), तो विकर्म विनाश हो जाएंगे (घर जाने के लिए) और दिव्यगुण धारण हो जाएंगे (सतयुग जाने के लिए)… हम राजऋशी है, राजाई का पुरूषार्थ कर रहे है!
2. जीतना स्वयं दिव्यगुणों की धारणा करेंगे… उतना औरों को भी करा सकेंगे, बहुत सुख देंगे, सेवा करेंगे, और अपना श्रेष्ठ भाग्य बनाएंगे (golden spoon in mouth!)
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा यही रूहानी नशे में रहे कि अब हमारी बुद्धि को सत्य ठिकाना मिल गया है, अब हम उड़ती कला में आ गए हैं… और सबको भी उड़ती कला में लाते रहे, जिससे सहज ही हम सतयुग लाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!
Also read: List of 56 Divine Virtues \ 56 दिव्यगुणों की लिस्ट
Sakar Murli Churnings 29-01-2019
Sakar Murli Churnings 29-01-2019
ड्रामा अनुसार टावर ऑफ नॉलेज (बाबा) आए हैं, हमे टावर ऑफ दुःख से निकाल टावर ऑफ silence (शान्तिधाम) और टावर ऑफ सुख (स्वर्ग) में ले चलने… तो अपने को सुधारना है, परिवर्तन करना है, लक्ष्मी-नारायण समान गुणवान बनना है… विचार सागर मंथन कर बुद्धि को रिफ्रेश करना है, सर्वशक्तिमान से योग बनाए रख अपनी बैट्री चार्ज करनी है… रूहानी टीचर बन सबकी सेवा करनी है, राजयोग सिखाना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… ज्ञान चिन्तन और योग द्वारा बाबा के साथ सदा combined रहे, और सबका कनेक्शन बाबा से जोड़ते रहे… जिससे सहज ही सतयुग बन जाएगा… ओम् शान्ति!
The Art of Leaving the Body | खुशी-खुशी शरीर कैसे छोड़े | Sakar Murli Churnings 28-01-2019
The Art of Leaving the Body | खुशी-खुशी शरीर कैसे छोड़े | Sakar Murli Churnings 28-01-2019
1. बाबा हमें खुशी-खुशी शरीर छोड़ना सीखा रहे हैं:
- अपने को अविनाशी आत्मा समझना है… हमको कोई डर नहीं!
- बाबा मेरे साथ है… उनकी याद में ही सच्ची खुशी है
- अब शान्तिधाम-सुखधाम चलना है… मेरा pad जरूर ऊंच होगा
- इस पुराने शरीर और पुरानी दुनिया में क्या ममत्व रखे… औरों को भी भ्रूकुटी के बीच चमकती हुई आत्मा भाई के रूप में देखना है
2. हमने आधाकल्प भक्ति की है, और अभी बहुत थोड़ा समय रहा है, इसलिए अब पावन बनना है… सवेरे उठकर बाबा को बहुत प्रेम से याद करना है, विचार सागर मंथन करना है, बाबा आप हमें क्या से क्या बना रहे हो… बहुत मीठा प्यारा बनना है, उल्टे सुलते शब्द (चुगली, रीस, हसद) द्वारा किसी को दुख नहीं देना है
सार
जिसके हर पल श्रेष्ठ है, उनका अंत समय भी स्वतः श्रेष्ठ होता… तो चलिए आज सारा दिन, अपने को अविनाशी आत्मा समझ बाबा की याद में बहुत खुशी में रहे… अपना और सर्व का जीवन श्रेष्ठ सुखमय बनाते रहे, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!