Becoming a shining needle! | Sakar Murli Churnings 19-06-2019

Becoming a shining needle! | Sakar Murli Churnings 19-06-2019

1. इसी अनोखे सत्संग में हम आत्माओं को बाप का रूहानी प्यार मिलता (जितना सर्विसएबुल बनते, उतना जास्ती प्यार कैच कर सकते, इसलिए सबको अंधकार से निकाल सुख का रास्ता बताना है, बाबा का पैगाम देना है)…

2. ड्रामा wonderful है, कैसे आत्माएं परमधाम से नीचे आती, पहले सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी (वहां की अपनी रस्म- होंगी, जितना ज्ञान-योग में पक्के होंगे सब साक्षात्कार करेंगे वा नज़दीक अनुभव करेंगे, इसलिए भी योग से आयु बढ़ानी है), फिर और धर्मों की आत्मा आती

3. ज्ञान-योग से ही आत्मा रूपी दीपक पवित्र-प्रज्ज्वलित होता, जिसमें माया विघ्न डालती… आत्मा को देखने से कट उतरती, शरीर देखने से कट चढ़ती… इसलिए सदा आत्मा को देखना है, शुद्ध भोजन खाने से सब अभ्यास सहज हो जाते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सर्वश्रेष्ठ रूहानी पवित्र चुम्बक मिला है, तो सदा ज्ञान-तेल और योग-अग्नि द्बारा सारी माया की कट उतार… अपने रुहानी माशुक बाबा के साथ सदा combined, सर्व खज़ानों से सम्पन्न बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | अंतरिक्ष में

योग कमेंटरी | अंतरिक्ष में

अंतरिक्ष के सितारों जैसा… मैं रूहानी सितारा हूँ… चैतन्य प्रकाश से चमकता

बिल्कुल हल्का… स्थिर… शान्ति, प्रेम, आनंद से भरपूर हूँ 

नीचे ग्लोब दिखाई दे रहा… इसे फिर से पावन-सतोप्रधान-दैवी बनाना है… इसमें अवतरित होकर

ऊपर सूक्ष्मवतनपरमधाम है… जहां बाबा बैठे… मुझे बुला रहे हैं

कुछ समय इसी अवस्था में स्थिर रह… अपनी आत्मिक स्थिति मजबूत कर… फिर बाबा के पास जाते हैं… ओम् शान्ति!


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Getting decorated with divine virtues! | Sakar Murli Churnings 18-06-2019

Getting decorated with divine virtues! | Sakar Murli Churnings 18-06-2019

1. ओम् शान्ति कहने से ही झाड और इसके चैतन्य बीज की स्मृति आ जानी चाहिए… हम कितने पद्मापद्म भाग्यशाली है, स्वयं बेहद का बाप (जो हमें बच्चें-बच्चें कहते) पतित-पावन सुख-शान्ति का सागर संगम पर ब्रह्मा तन में आकर हमें राजयोग का ज्ञान सुनाकर वर्सा देते, पुरुषोत्तम बनाते, दिव्यगुणों से श्रृंगारकर गुल-गुल बनाकर साथ ले जाते और पवित्र राज्य में भेजते

2. तो ऎसे लवली बाप को तो निश्चयबुद्धि बन कितना याद करना चाहिए… जिससे श्रीकृष्ण समान पवित्र-मीठा बनते, सजाओं से छूटते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् हमारा साजन बन हमें दिव्यगुणों से शृंगारते, तो सदा ज्ञान-चिन्तन और बाबा की प्यार भरी यादों में डूबे, सजे सजाए रह… दिव्य दर्शनीय मूर्त बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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आत्मा क्या-क्या करती है (100 बातें) | 100 activities of the Soul

आत्मा क्या-क्या करती है (100 बातें) | 100 activities of the Soul

आज सारी मुरली में बाबा ने कहा, कैसे आत्मा ही सबकुछ करती… तो आज 100 बातें देखते हैं, कि आत्मा क्या-क्या करती है… इन्हे बहुत आत्मिक स्थिति में, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

शरीर की मालिक!

  • आँखों द्वारा देखती, कानों द्वारा सुनती, मुख द्वारा बोलती… स्पर्श-स्वाद-सुगंध अनुभव करती… शरीर को भोजन-व्यायाम कराती
  • शरीर द्वारा हिलती, कर्मेंद्रीयां-organs द्बारा कार्य-कर्म करती, भिन्न स्थानों पर जाती
  • शरीर को चलाती… सबकुछ आत्मा ही करती, एक शरीर छोड़ दूसरा लेती
  • सभी Organs वा सिस्टम चलाती (मस्तिष्क, हार्ट, लंग, पेट, लिवर, kidney, आदि)

मन-बुद्धि-संस्कारों की मालिक!

  • सोचती, महसूस करती… दृष्टिकोण, मंतव्य रखती
  • चित्र visualise करती… याद रखती-करती… परख-निर्णय करती… समझती-समझाती… पढ़ती-पढ़ाती
  • अनुभव करती… धारणा करती, संस्कार बनाती… पार्ट बजाती… रोल निभाती
  • 84 जन्मों का पार्ट नुन्धा रहता… ज्ञान, अनुभव, स्मृतियां रिकार्ड होती

सम्बन्ध-सम्पर्क में आती

  • बातें करती-सुनती… सम्बन्ध जोड़ती-निभाती
  • लेन-देन, हिसाब-किताब करती

अनुभव करती!

  • नाचती-गति… खुश होती
  • रोती-चिल्लाती… दुःखी होती
  • इच्छा करती… तृप्त-सन्तुष्ट होती
  • शान्त रहती, सुखी वा दुःखी होती… पतित वा पावन बनाती, पाप वा पुण्य करती, तमोप्रधान-सतोप्रधान, भोगी-योगी बनती, बैटरी चार्ज-डिस्चार्ज होती, दैवी-आसुरी बनती

ब्राह्मण जीवन में

  • देह-अभिमानी, वा देही-अभिमानी, आत्म-अभिमानी, अशरीरी, विदेही बनती… बाबा को याद करती
  • ज्ञान सुनती, योग करती, धारणा-मूर्त बनती, सेवा करती, भाग्य-प्रालब्ध बनाती, भोगना भोगती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन सभी बातों को स्मृति में रख, सारा दिन सबकुछ करते, आत्म-अभिमानी स्थिति को मजबूत करते रहे… तो सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, बाबा से सहज जुड़े सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Considering ourselves a soul! | Sakar Murli Churnings 17-06-2019

Considering ourselves a soul! | Sakar Murli Churnings 17-06-2019

1. परमधाम से हमारा बाबा (ज्ञान-सागर) आए है, हम आत्माओं से बात करते-पढ़ाते… तो हमें भी सबकुछ करते अपने को आत्मा निश्चय करना है (आत्मा ही सुनती, धारण करती, संस्कार बनाती, सबकुछ करती), तो बाबा स्वतः याद रहते, इसमें ही मेहनत है, यह भूलने से ही पाप होते… इसी मेहनत से कर्मातीत स्थिति को पाते, अर्थात कर्मेन्द्रियों वश-शीतल-सुगंधित-सतयुगी हो जाएंगी…

2. ऊंच ते ऊंच अमरनाथ बाबा हमें भी ऊंच बनाते, सत्य-नारायण की सच्ची कथा सुनाते (हम ही देवता थे), सबको भी सुननी है… मुख्य है पवित्रता और योग का पुरुषार्थ

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि आत्मा ही सबकुछ करती, तो सदा अपने को आत्मा समझ, परम-आत्मा को याद करते, सबको आत्मिक दृष्टि से देखते… सदा अपनी और सर्व को की frequency ऊँची-सतोगुणी-सतयुगी बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | बाबा है पिता

योग कमेंटरी | बाबा है पिता

भगवान् मेरा पीता है… मैं ईश्वरीय सन्तान हूँ… बाबा ने मुझे adopt किया है

मैं बाबा की गोद में हूँ… उनकी श्रीमत रूपी उंगली पकड़ चलता… सहज पुरूषार्थी हूँ

बाबा ने ज्ञान-गुण-शक्तियों से… मेरी सर्वश्रेष्ठ पालना कर… आप समान योग्य बनाया है

अपने सर्वश्रेष्ठ सतयुगी वर्से का… अधिकारी बनाकर… बालक सो मालिक बना दिया है

मुझे बाप समान… सम्पन्न… सम्पूर्ण जरुर बनना है

सभी मेरे रूहानी भाई-बहनों को भी… बाबा से जुड़ाकर… अपने सतयुगी वर्से के अधिकारी बनाना है… ओम् शान्ति!


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Sharing our attainments with all! | Avyakt Murli Churnings 16-06-2019

Sharing our attainments with all! | Avyakt Murli Churnings 16-06-2019

हम दिलखुश बच्चे सदा वाह-वाह के गीत गाते, और दुनिया में सभी दिल के दर्दी है (भिन्न-भिन्न प्रकार से)… इसलिए हमारा फर्ज है मास्टर दुख-हर्ता सुख-स्वरूप बन, अपने स्वराज्य वा सर्व शक्तियों के जमा स्टॉक से सबके भी खाते भरपूर करने है

पार्टियों से मुलाकात

1. सदा अपनी श्रेष्ठ साक्षी-पन की सीट पर सेट रहना है, जिसमें बैठ कर्म करने-देखने में बहुत मज़ा आताा… सदा इसी खुशी में रहना, कि हम ही वह कोटों में कोई आत्माएं है… जो भगवान् के बनते-जानते, सदाकाल की प्राप्ति के अधिकारी, समर्थ बनते

2. सदा एक बाप के बन, उस एक की मत पर चल, एकरस स्थिति बनानी, और परिवार से एक रहना, तो नम्बर-वन बन जाएँगे… कहां भी हो इस एक के मंत्र को याद करने से, एक बाप के साथी बन, माया से बचे रहेंगे 

अधर-कुमारों से मुलाकात

हम प्रवृत्ति में रहते, अलौकिक वृत्ति-दृष्टि रखते, गृहस्थी के बदले ट्रस्टी सदा-सुखी है… सिर्फ मेरे को तेरे में परिवर्तन कर, न्यारे-प्यारे निर्बंधन हो गए हैं… एक बाबा की लगन से, सर्व प्राप्ति सम्पत होने कारण, विघ्न समाप्त हो हम निर्विघ्न बन जाते, जैसे माखन से बाल 

माताओं से

हम है जगत माता, बेहद सेवा करने वाली… सदा इसी खुशी में रहना है, बाबा ने हमें कितनी श्रेष्ठ पद-भाग्य दिया है, जन्मों की थकावट दूर कर अतिन्द्रीय सुख-खुशी के झूले में झूला दिया है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें कोटों में से चुना है, तो सब मेरे को तेरे में परिवर्तन कर, उस एक की याद में समाए हुए स्वराज्य अधिकारी, सदा सुखी-दिलखुश सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन… सबको भी शक्तियों का महादान देने वाले जगत माता बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ | I’m Master Almighty Authority

योग कमेंटरी | मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ | I’m Master Almighty Authority

मैं मास्टर सर्वशक्तिवान… मास्टर Almighty Authority हूँ… बहुत-बहुत शक्तिशाली

सर्वशक्तिवान बाबा की सन्तान हूँ… उसने मेरे सिर पर हाथ रख, अपनी सारी शक्तियां मुझे दे दी है… मैं most powerful हूँ

माया, समस्याओं से अधिक शक्तिशाली… विघ्न-विनाशक हूँ… मेरा कुछ भी अकल्याण नहीं हो सकता

औरों को भी शक्ति-दान… शुभ-भावना… सकाश-वरदान देता हूँ

श्रेष्ठ ज्ञान… श्रेष्ठ ज्ञान के चिन्तन… और गुणों की धारणा द्वारा… बाबा ने मुझे बहुत शक्तिशाली बना दिया है… ओम् शान्ति!


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Remembering one Baba at the end! | Sakar Murli Churnings 15-06-2019

Remembering one Baba at the end! | Sakar Murli Churnings 15-06-2019

1. बहुत खुशी में रहना है, हमें बाबा ने पढ़ाकर स्वदर्शन चक्रधारी बनाया है, सुख का वर्सा देते… जबकि बाबा आए है हमें दुःख से छुड़ाए सुख में ले जाने, तो नाम-रूप (और बुरे ख्याल) छोड़ एक बाबा को याद करना है (जिससे विकर्म विनाश हो, शान्ति वा सभी गुणों का अनुभव होता), पुरानी दुनिया भूल (वैशयालय, रावण-राज्य, जिसको आग लगनी है) अपने शान्तिधाम-सुखधाम को याद करना है

2. टाईम बहुत थोड़ा है, इसलिए श्रेष्ठ पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाना है… सबको सच्ची सत्य-नारायण की कथा अथवा दो बाप का परिचय दे (बाबा के वर्से में भी पुरुषार्थ से ऊंच पद मिलता), सबको सुख देना है, धन भी सफल करना है, बाबा को सर्विसएबुल बच्चें बहुत प्यारे हैं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने श्रेष्ठ अन्तिम लक्ष्य को बुद्धि में रख, अपनी दिनचर्या-जीवन के हर पहलू में बाबा को बहुत प्यार से याद करते रहे… सबको भी उसके बच्चे के रूप में देखते, देह को भी उसकी अमानत समझते, बिल्कुल हल्की-उपराम-अलौकिक स्थिति का अनुभव करते… सबको भी उससे जुड़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की 108 बातें | 108 points on this wonderful Brahma Kumaris World Spiritual University

इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की 108 बातें | 108 points on this wonderful Brahma Kumaris World Spiritual University

हमारा परम सौभाग्य है हम ईश्वरीय विश्व विद्यालय में पढ़ते… आज़ भी मुरली में बाबा ने इस पर चर्चा की… तो आज इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की 108 बातें देखते हैं, इन्हे प्रेम से स्वीकार करना जी! 

लक्ष्य, टीचर और स्कूल

  • एम-ऑब्जेक्ट / डिग्री… दिव्य-पवित्र-सतोगुणी जीवनमुक्त-देवता लक्ष्मी-नारायण बनना… दिव्यगुण-सम्पन्न, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, दिव्य दर्शनीय मूर्त
  • टीचर… स्वयं भगवान् (निराकार परमात्मा शिव)… पुराने-बुढ़े ब्रह्मा-तन में आकर पढ़ाते
  • स्कूल… प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय… यह स्कूल कॉलेज, यूनिवर्सिटी, पाठशाला भी है… राजस्व अश्वमेध अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ 

पढ़ाई और सब्जेक्ट

  • पढ़ाई… राजयोग की (आत्मा, परमात्मा, सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त, ड्रामा, कर्मों, आदर्श योगी जीवन का सत्य ज्ञान)… सच्ची सत्य-नारायण की कथा, अमर-कथा, तिज़री की
  • प्राप्ति… पवित्रता, शान्ति, प्रेम, खुशी, सुख, आनंद, शक्तियों सम्पन्न जीवन 
  • सब्जेक्ट… ज्ञान, योग, धारणा, सेवा… सदा खुश-सन्तुष्ट रहना, सबको करना 

स्टूडेंट कौन है?

  • कौन पढ़ते… विश्व की सभी आत्माएं, बुढ़े-जवान-बच्चे, स्त्री-पुरुष, गरीब-धनवान, अनपढ़ से लेकर PhD, 1 दिन के student से 80 वर्श तक, सभी रूप-रंग-जाती धर्म-देश-भाषा वर्ग-संस्था 
  • अच्छे स्टूडेंट… रेगुलर, Punctual, एकाग्र-चित्त… नोट्स (लिखना), मनन-चिन्तन-मंथन-सिमरण, धारणा (होमवर्क) करते… पेपर (परिस्थितियों) में पास होना, अन्तिम पेपर (सेकण्ड में नष्टोमोहा अशरीरी, बाबा की याद) में पास विद आनर

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् ने हमें अपना स्टूडेंट बनाया है, तो रोज सेन्टर पर ज्ञान सुन सदा उसके चिन्तन योग-अभ्यास द्बारा श्रेष्ठ शान्ति प्रेम आनंद से सम्पन्न स्थिति अनुभव करते… सबको भी कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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