योग कमेंटरी | न्यारा-प्यारा बनने

योग कमेंटरी | न्यारा-प्यारा बनने

सभी आत्माएं हैं… बाबा के बच्चें है… उनको शुभ भावना देता हूँ

मुझे अपना पार्ट श्रेष्ठ बजाना है… सबकी पालना का रिटर्न देना है

मेरा वायदा है ‘एक बाबा, दूसरा ना कोई’… मैं एकव्रता… वफादार सजनी हूँ

वही मेरा संसार है… उनसे ही सर्व सम्बन्धों का सुख लेती… सदा उसके साथ रहती हूँ

औरो के प्रभाव से परे रह… सबको बाबा की गुण-शक्तियां बांटती… न्यारी, और सबका प्यारी हूँ

इसी अभ्यास से दुःखों से परे रह… सबको निरन्तर शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद दे सकते… यही परिवार के लिए सच्चा प्यार है… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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The sword of Remembrance! | योग की तलवार | Sakar Murli Churnings 07-05-2019

The sword of Remembrance! | योग की तलवार | Sakar Murli Churnings 07-05-2019

1. याद की तलवार से ही पाप कट होते, सतोप्रधान बनते, आयु बढ़ती, कर्मातीत बनते, कर्मभोग पर विजयी… इसलिए सुबह के साथ सारे दिन के चार्ट को भी चेक करना है (हरेक को), हम कितना याद-धारणाओं (दु:ख न देना, उल्टे सुलते बोल नहीं, आदि)-सेवा करते… याद का सही प्रमाण है बाकी सब भूल जाना

2. औरों के बजाए बाबा को याद करना है, चलते-फिरते भोजन करते… जो एवर-pure चुम्बक हम लवली बच्चों को खींचते, नीचे आकर हमें ऊँची बातें समझाते, वर्सा देते, जंगल को मंगल करते, पूज्य बनाते… माया के तूफान तो आएंगे, ड्रामा पर अचल रह हमारे लवली बाबा को याद करते रहना है, बाबा-बहनें हमपर कितनी मेहनत करते

3. ज्ञान समझाना सहज है, सिर्फ मिठास-युक्ति चाहिए… इसके लिए चिन्तन, भिन्न भिन्न पॉइंट्स नोट कर, करेक्शन करते रहना है… तो सरल उन्नति को पाते रहेंगे, माया से बचे हुए, बुद्धि भटकेगी नहीं… वाणी में भी योग का जौहर भरना है… चेहरे से हमारी अवस्था दिख जाती है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें माया पर विजयी होने की सर्वश्रेष्ठ तलवार मिल गई है, तो हर पल (और रात को चार्ट भी चेक करते) आत्म-अभिमानी का फ़ाउंडेशन पक्का कर, एक बाबा की मीठी प्यारी बातों में मग्न रहे… तो सदा शान्ति, प्रेम, आनंद से बहुत भरपूर रहेंगे, औरों को भी भरपूर करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Soul World

परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Soul World

परमधाम का अनुभव करना हमारे इस सहज राजयोगी जीवन का मुख्य अभ्यास है, जिससे बाबा को याद करना भी बहुत सहज हो जाता… तो आज आपको परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प भेज रहे हैं, इन्हें बहुत प्रेम से स्वीकार करना जी!

परमधाम का अनुभव!

  • आकाश, सूर्य, चन्द्र, तारागण, अंतरिक्ष से भी पार-ऊपर
  • परमधाम, परलोक… परे ते परे… परमात्मा के रहने का स्थान है
  • ब्रह्मलोक… स्वयं प्रकाशित… चारों ओर सुनहरा-लाल प्रकाश ही प्रकाश, लाइट ही लाइट है… छठा ब्रह्म महतत्व है
  • शान्तिधाम… चारों ओर शान्ति ही शान्ति है… बेहद-असीम चेन, सुकून, विश्राम है… डेड साइलेंस… स्वीट साइलेंस… शान्तिधाम की शान्ति मुझमें समा रही है… मैं बिल्कुल शान्त हो चुकी है
  • निर्वाण-धाम… वाणी से परे, वानप्रस्थ, पार निर्वाण… यहां कोई आवाज़ भी नहीं… साइलेंस वर्ल्ड है
  • मुक्तिधाम… मैं सम्पूर्ण मुक्त, आज़ाद, स्वतंत्र, निर्बंधन, बन्धन-मुक्त हूँ
  • मूलवतन, निराकारी दुनिया, आत्माओं की दुनिया… आत्माओं का घर, सुहावना होम स्वीट होम है… शिवबाबा के भी रहने का स्थान,शिवपुरी है
  • देह, देह-भान, देहधारी, पदार्थ, दुनिया, हीलना, हलचल कुछ नहीं… दुख-दर्द-तकलीफ-पीड़ा कुछ नहीं… समय भी नहीं

परमधाम में शिवबाबा!

  • ज्योति-बिन्दु स्वरूप बाबा दिखाई दे रहे, उनसे चारों ओर सफेद किरणें फैल रही है… सारा परमधाम जगमगा उठा है
  • मैं उनके पास-समीप-संग में… पावन, गुणवान, शक्तिशाली हो रही हूँ
  • बाबा ने मुझे खुला निमन्त्रण दिया है… मैं जब चाहे, यहां आ सकती… अधिकारी-त्रिलोकीनाथ हूँ… मुझे बार-बार यहां आना है

मैं आत्मा, परमधाम में!

और संकल्प

  • लाल आसमान परमधाम में, मैं रूहानी सितारा चमक रहा हूँ… खड़ा हूँ
  • दूर-देश परमधाम से… बाबा रोज़ मुझे पढ़ाने आते…
  • मैं भी वहीं से आया हूँ, वहीं मुझे जाना है… मैं सबको मुक्ति का रास्ता दिखाता, मेरी एक आँख में मुक्ति है
  • परमधाम मेरा पियर-घर है… बाबा बीजरूप है, मैं बाबा के बिल्कुल समीप हूँ, बाकी सब अपने-अपने सेक्शन में है… कल्प वृक्ष में
  • भक्ति में यहां आने लिए ही पुरूषार्थ किया, बाबा ने अब बहुत सहज रास्ता बता दिया, अब एक सेकण्ड में मन-बुद्धि द्वारा पहुँच सकता
  • मोक्ष धाम, सिद्ध शीलापति, ज्योति धाम है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, परमधाम की असीम शान्ति को अपने अन्दर समाते, बाबा की यादों में झूमते रहे… सभी ज्ञान-गुण-शक्तियों के खज़ानों से सम्पन्न बन, सबको सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

1) गीत: जाना है हमें, अपने परमधाम…

2) गीत: बाबा के संग जाना है…

3) गीत: आवाज़ से परे…


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बेगर टू प्रिन्स बनने का सहज अर्थ | Becoming a divine Prince! | Sakar Murli Churnings 06-05-2019

बेगर टू प्रिन्स बनने का सहज अर्थ | Becoming a divine Prince! | Sakar Murli Churnings 06-05-2019

1. आत्मा ही सुनती वा सब जगह जाती, इसलिए आत्मा-अभिमानी जरूर बनना है… फिर सिर्फ़ एक बाबा को याद करने से पावन, विश्व का मालिक, प्रिन्स बन जाएँगे

2. यह समझना सहज है, सिर्फ सतोप्रधान बनने में टाईम लगता, इसलिए याद को बहुत सहज बनाने, बुद्धि से सबकुछ बाबा को सौप पूरा ट्रस्टी बनना है

3. बेगर माना अशरीरी (शरीर से ममत्व नहीँ, जीते जी मरे हुए), सबकुछ बाबा का है कुछ हमारा नहीं, याद करना तो दूर की बात है… तो ऎसे बेगर बनने से बाबा की पूरी करंट खींच सकते, जिससे पावन-सतोप्रधान-दिव्य अर्थात प्रिन्स बनते, बाबा हमें मालामाल बना देते

4. बहुत खुशी वा अतिन्द्रीय सूख में रहना है, स्वयं ज्ञान सागर बाप हमें पढ़ाकर राजाओं का राजा बनाते… भल बाबा नीचे आएं है, उन्हें ऊपर ही याद करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… देह-दुनिया, जिम्मेवारी सबकुछ बाबा को सौप बिल्कुल डबल लाइट फरिश्ता बन जाएँ… फिर बाबा को याद करने से बहुत ही सहज गुण-शक्तियों से भरपूर-सम्पन्न बनते… सबको बांटते, सतयुग बनाते रहते… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मैं और मेरा

योग कमेंटरी | मैं और मेरा

मैं आत्मा हूँ… मेरा बाबा है… और सब स्मृतियाँ मर्ज हो गई है 

मैं देव-कुल की महान आत्मा हूँ… विश्व कल्याणकारी… मास्टर सर्व शक्तिमान हूँ

मेरा बाबा ऊंच ते ऊंच… सर्वश्रेष्ठ वर्सा देने वाला… सर्वश्रेष्ठ श्रीमत देते हैं

परिस्थितियां सिर्फ साइड-सीन है… आसपास सभी आत्माएं भी… बाबा के बच्चे है

बाकी सबकुछ भूल… बस मैं और मेरा बाबा… इसी स्मृति में स्थित रहना है… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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हलचल में अचल रहने की सहज विधि | Being Calm in Crisis | Avyakt Murli Churnings 05-05-2019

हलचल में अचल रहने की सहज विधि | Being Calm in Crisis | Avyakt Murli Churnings 05-05-2019

1. हम एक बल, एक भरोसे वाली हिम्मतवान-स्नेही-एकरस आत्माएं है, हलचल-रुकावट-थकावट हमें रोक नहीं सकती:

  • हम उड़ती कला के पंछी है, जो उड़ती कला द्वारा समस्याओं को छोटा-सहज-खिलौने जैसा बना देती
  • दर्दनाक बाते भी दृढ़ता बढ़ाती
  • भयानक बातें भी स्वाभाविक लगती
  • दुःख के नज़ारे भी सुख के नगाड़े बन जाएँ, ऎसा प्रभाव से परे… ताकि हम अपनी शान्ति-शक्ति शीतल जल से औरों को सहयोग दे सके

विश्व की तड़पती आत्माओं को यही आवश्यकता है, इसी योग के सहयोग द्वारा जयजयकार-प्रत्यक्षता होगी… ऎसी शक्तिशाली स्थिति चाहिए, जो उन्हें एक सेकण्ड की शान्ति-शक्ति की अनुभुती द्वारा जन्म-जन्मान्तर की तृप्ति-प्राप्ति करा सके, ऎसा अखण्ड योगी बनना है… इसके लिए खुद दुःखों से परे मास्टर सागर की स्थिति में स्थित, इच्छा मात्रम अविद्या, अखण्ड सेवाधारी बनना है… तब ही पूज्यनीय बनेंगे, यही समय की घण्टी है

2. बाबा की छत्रछाया सदा हमपे है, सिर्फ उसका हाथ-साथ पकड़ के रखना है… नथिंग-न्यू की स्मृति द्वारा अचल-अडोल रहना है, यह तो सिर्फ रिहर्सल है… हम बेफिक्र बादशाह है, हर दृश्य में कल्याण-स्व उन्नति-सेवा समाई हुई है.. यह नहीं सोचना, कि हम पहले जाएँ, लेकिन हमें सबको तृप्त-सन्तुष्ट कर साथ लें जाना है… अंत के जयजयकर के सीन देखकर

3. हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है स्वराज्य अधिकारी बनना, और स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी… ऎसे कर्मेंद्रीयां के राजा बनने में ही शान्ति-सुख-नशा-उड़ती कला-शक्ति है, कर्मेंद्रीयां के वश होने में तो धोखा-दुःख है

4. जो पहले से पहेली है, मैं कौन वही अब है कि हम कौनसी माला में आएंगे… अष्ट-माला में वह आएँगे जो सदा अष्ट-शक्तियों से सम्पन्न रहते, और जो परिवार के इष्ट-समान सदा श्रेष्ठ-महान-वरदानी रहते

5. जैसे दुनिया में बाम्ब्स गिरते तो अण्डरग्राउण्ड चले जाते… ऎसे मायावी वाइब्रेशन से बचने के लिए चाहिए सदा एक बाबा दूसरा ना कोई की लगन… फिर माया वार भी नहीं कर सकती, यही safety का साधन है

6. जो बाबा के समीप रहते, वह उसके संग में रंग में सदा रूहानियत में स्थित रहते… अर्थात देह से न्यारे रूहानी स्थिति में स्थित, सबको आत्मा ही दिखाई दे यही कमाल है… सदा नशा रहे कि हम अधिकारी है, बाबा के सर्व ज्ञान-शान्ति-सुख-शक्तियां हमारे है, तो स्वतः और सब स्मृतियों से परे रहेंगे

7. विश्व को कंट्रोल तब कर पाएंगे, जब पहले अपने में एसी कन्ट्रोलिंग पावर होगी कि… जब चाहे सेकण्ड में शरीर में आए, जब चाहे शरीर से परे अव्यक्त स्थिति में स्थित हो, फ़ाइनल पेपर भी एक सेकण्ड का होगा…. ऎसे सुख केे झूले में झूलतेे रहना है, कि हमारे नैन-मुख-चेहरे को देख दुःखी भी सुखी हो जाए… ऎसा सुखदाई बनना है, दुःख की लहर से एकदम परे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इस नाजुक समय पर नथिंग न्यू का पाठ पक्का कर, सदा एक बाबा दूसरा ना कोई, इसी स्मृति द्वारा बाबा के हाथ-साथ को पकड़, सदा अतिन्द्रीय सूख-शान्ति-खुशियों के झूले में झूलते रहे… इससे न सिर्फ , औरों को भी, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मैं माला का मणका हूँ | I’m a bead of the rosary

योग कमेंटरी | मैं माला का मणका हूँ | I’m a bead of the rosary

मैं माला का मणका हूँ… विजयी रत्न… पूज्यनीय

बाबा माला का मेरु है… बहुत-बहुत प्यारा है… उनकी याद की शक्ति, मुझे मायाजीत बनाती

मैं बाबा के बिल्कुल समीप… बाप-समान स्थिति में स्थित हूँ… मेरे वाइब्रेशन सारे विश्व की पालना करते है

सभी मुझे याद करते… मुझे सबकी आशाओं को पूर्ण कर… सबका कल्याण करना है

आसपास सभी भी माला के मणके है… देव कुल की महान आत्माएं है… मुझे उन्हें बहुत-बहुत सम्मान देना है… ओम् शान्ति!


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The divine lottery! | Sakar Murli Churnings 04-05-2019

The divine lottery! | Sakar Murli Churnings 04-05-2019

1. भक्ति में बहुत कुछ किया, अब बाप आकर सम्पूर्ण ज्ञान देकर सार समझाते, कि सिर्फ बाबा को याद करना है… इससे ही विकर्म विनाश होंगे, सुधरेंगे, दिव्यगुण धारण होते रहेंगे, इन्कम होगी

2. इस पुरुषोतम संगमयुग पर हमें ईश्वरीय लॉटरी मिली है, बाबा हमें देवता विश्व का मालिक एवर-हेल्थी बनाते… तो ज़रा भी टाईम वेस्ट नहीं करना है, माया ही देह-भान में लाए, टाईम वेस्ट कराती… इसलिए सदा याद में रहना है, तो समय सफल होता रहेंगा

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें ईश्वरीय लॉटरी मिली है, तो हर पल ज्ञान-योग में मस्त रह सदा शान्ति प्रेम आनंद की शक्तिशाली अनुभुती करते, दिव्यगुण-सम्पन्न श्रेष्ठ पद के अधिकारी बनें… औरों को भी श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

शान्ति अनुभव करने के 111 संकल्प | 111 Thoughts for experiencing Peace

शान्ति अनुभव करने के 111 संकल्प | 111 Thoughts for experiencing Peace image

शान्ति अनुभव करने के 111 संकल्प | 111 Thoughts for experiencing Peace

शान्ति आत्मा का मुख्य गुण है, जिसके आधार से ही प्रेम, सुख, आनंद, शक्तियों स्थाई रहती… और हम ओम् शान्ति वाले, शान्ति के लिए ही जाने जाते… तो आज आपको शान्ति अनुभव करने के 111 संकल्प भेज रहें हैं… इन्हें बहुत खुशी से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

मैं शान्त-स्वरूप हूँ!

  • मैं शान्त, शान्त-स्वरूप आत्मा हूँ… ओम् शान्ति… शान्ति मेरा स्वधर्म, निजी गुण, अनादि संस्कार, गले का हार है… मेरी शक्ति है
  • I am Peace, Peaceful, Peaceful Soul, Peace is my original nature… Patient, Calm, Relaxed, Silent, Light, Cool

मैं शान्ति के सागर की सन्तान हूँ!

  • उनकी शान्ति की किरणें-लहरें-वाइब्रेशन-प्रकंपन मुझ पर पड़ रही है… मैं शान्ति अनुभव कर रही हूँ… शान्ति से भरपूर-सम्पन्न हो रही हूँ, हो चुकी हूँ… मुझे सच्ची शान्ति, शान्ति का भण्डार-खज़ाना मिल गया है… शान्ति ही शान्ति है… मैं मास्टर शान्ति का सागर-सूर्य हूँ
  • मेरे चारों ओर शान्ति को किरणें फैल रही है… वायुमण्डल शान्त हो, सबको शान्ति के प्रकंपन मिल रहे हैं, मेरा स्थान शान्ति कुण्ड बन चुका है…

मैं शान्तिधाम की रहवासी हूँ!

निर्वाणधाम, आवाज़ से परे, मेरे चारों ओर शान्ति ही शान्ति है… Sweet Silence… Dead Silence… बेहद चेन-सुकून-विश्राम-आराम अनुभव हो रहा है… इस मुक्तिधाम में, मैं सम्पूर्ण-मुक्त, निर्बंधन, स्वतंत्र, आजाद, उड़ता पंछी हूँ

मैं शान्ति की दुनिया स्थापन करती हूँ!

मैं शान्ति दूत, शान्ति का फरिश्ता, शान्ति का अवतार, शान्ति देवा, शान्ति दाता हूँ… सबको शान्ति का पैगाम, सन्देश दे… शान्ति की दुनिया (अथवा विश्व में शान्ति) स्थापन करती हूँ

शान्ति-दाता!

सबका स्वधर्म शान्त है… सब शान्ति चाहते, सब को शान्ति मिले, सभी शान्ति से भरपूर हो, शान्त रहे… मैं सबको शान्ति का वरदान-अंचली-सहयोग दे रही हूँ

शान्ति बढ़ाने के लिए और संकल्प

  • जो हुआ अच्छा, जो हो रहा और अच्छा, और जो होने वाला वह और भी अच्छा… ड्रामा accurate-कल्याणकारी है, कोई बड़ी बात नहीं, बाबा मेरे साथ है… मैं निश्चिंत, भय-मुक्त, बेफिक्र, निर्संकल्प हूँ
  • मेरा मन शान्त, बुद्धि स्थिर (श्रीमत मिल गई है, अभी दूसरा कोई संकल्प नहीं, एक बल एक भरोसा), संस्कार शीतल है, चित्त मौन है … मैं मायाजीत हूँ… मेरा तो एक बाबा, दूसरा ना कोई
  • मैं धैर्यता-सम्पन्न शीतल हूँ… मेरे संकल्प धीरे, बोल कम है
  • मैं शान्त-चित्त, क्रोध-मुक्त, आशा-वादी, निश्चय-बुद्धि हूँ
  • मैं पुरानी देह-दुनिया-वस्तु-व्यक्ति से परे-न्यारी-उपराम हूँ… अशरीरी-विदेही हूँ… देह की चंचलता समाप्त, मैं बिल्कुल शान्त हो चुकी हूँ
  • पास्ट बीत गया, मुझे वर्तमान सुन्दर बनाना है, भविष्य तो स्वर्णिम है ही… सिर्फ़ थोड़ा समय है… बाबा मुझे धीरज दे रहे हैं… धीरज धर मनुआ

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, बहुत शान्ति-सुख-हल्केपन का शक्तिशाली अनुभव करते रहे… औरों को भी ऎसी श्रेष्ठ शान्ति की अनुभूति कराते, विश्व में शान्ति का राज्य सतयुग स्थापन कर ले… ओम् शान्ति!

1) गीत: शान्ति सागर की लहरें…

2) गीत: शान्ति की शक्ति से…


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The power of love! | Sakar Murli Churnings 03-05-2019

The power of love! | Sakar Murli Churnings 03-05-2019

1. सबको समझाना है, बेहद का बाप आए हैं बेहद का वर्सा देने… बाकी माया से युद्ध तो है ही, ज्ञान के अस्त्र-शस्त्र से सदा विजयी फूल बनना है… इसके लिए मुख्य है बाबा से प्यार, तो सदा प्यार से उसकी याद-सेवा में busy रहना है, जिससे हेल्थ-वेल्थ सम्पन्न बनते

2. हम ऑल-राउंड पार्ट बजाने वाले हैं, अब सर्वश्रेष्ठ पूज्य बाबा आए है, हमें मालामाल श्रेष्ठ-पद वाला बनाने… जिसकी भक्ति में माला जपते थे, वही कहते मुझे याद करो, तो पावन राजाई में पहुंच जाएंगे… धन भी सफल जरूर करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें प्यार का सागर मिल गया है, तो ऎसे उसके बेहद प्यार में समाएँ-डूबे रहे, कि उसमे सारी कामज़ोरियां समाप्त-स्वाहा हो… हम सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह, औरों को भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!