The Joy of being a Trustee! | Sakar Murli Churnings 27-04-2019

The Joy of being a Trustee! | Sakar Murli Churnings 27-04-2019

1. हमें सम्पूर्ण सत्य मिल गया है, कैसे आत्मा ही सबकुछ करती, तो देह-सहित सबकुछ भूल अपने को आत्मा समझ निराकार जन्म-मरण-रहित सर्वशक्तिमान पतित-पावन बाबा को याद करना है, तो दैवीगुण-सम्पन्न पूज्य देवता विश्व-स्वर्ग का मालिक बन जाएँगे..

2. घर गृहस्थ में रहते सिर्फ़ ट्रस्टी हो रहना है… जब सबकुछ बाबा के हवाले किया है, तो देह से न्यारा बन शान्ति के सागर से सम्पूर्ण शान्ति-गुण-शक्तियां भी अवश्य लेनी है

3. इस संगमयुग पर भगवान् गीता द्वारा नई दुनिया रचते, हमारा यह जीवन हीरे-तुल्य है, भगवान् हमें पढ़ाते, हम सच्चे-सच्चे सत के संग में बैठे हैं!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि भगवान् हमारे सभी बोज़ लेने लिए ऑफर करते, तो सबकुछ बुद्धि से उसे समर्पण कर निश्चिंत हो जाएँ… ऎसे हल्के बन योग-अभ्यास करते ईश्वरीय ज्ञान-गुण-शक्तियों से भरपूर-सम्पन्न बन… औरों को भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | चाँद पर | Creative Commentary on Moon

योग कमेंटरी | चाँद पर | Creative Commentary on Moon

मुझे सम्पूर्ण चन्द्रमा समान… सोलह कला सम्पूर्ण बनना है… माया के ग्रहण से बिल्कुल मुक्त

सफेद चन्द्रमा की तरह… मैं सम्पूर्ण पवित्र… सबके जीवन को प्रकाशित करता… राह दिखाता हूँ

हज़ारों चन्द्रमा के समान सूक्ष्मवतन में… मैं चमकीली फरिश्ता ड्रेस में… प्रकाशमय बापदादा के सम्मुख हूँ

ज्ञान चन्द्रमा मुझे… शीतलता प्रदान कर रहे हैं… मैं उनके स्नेह में समा गया हूँ

मैं रूहानी चकोर हूँ… मेरे चाँद बाबा को देख… नाच उठा हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: ये गगन का चाँद… (बहुत सुन्दर गीत, अस्मिता बहन द्वारा गाया हुआ)


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Making True Earnings | सच्ची कमाई | Sakar Murli Churnings 26-04-2019

Making True Earnings | सच्ची कमाई | Sakar Murli Churnings 26-04-2019

1. देह-भान छोड़ बाबा की याद से विकर्म विनाश हो खुशी का पारा चढ़ता, कर्मेंद्रीयां वश होती और शक्तिशाली विश्व का मालिक बनते (पूज्य भी)… साथ में ज्ञान-चिन्तन और सेवा (और बाबा की सर्चलाइट) भी है, इसलिए हमारी हर पल कमाई ही कमाई है

2. याद में ही माया विघ्न डालती… इसलिए सदा स्मृति रखनी है हमारा माशूक आया है हमें चड़ती कला में ले चल, शान्तिधाम-सुखधाम का मालिक बनाने… आत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की करनी है, व्यर्थ बाते नहीं सुननी है

3. बाबा हमें अमरलोक, फूलों के बगीचे में ले चलते… तो दैवीगुण भी जरूर धारण करने है, औरों के गुण ही देखने है… श्रीमत पर सबकुछ सफल करना है, ब्रह्मा बाप समान

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमे ज्ञान मिला है कि संस्कार-कर्म ही साथ जाते, तो हर पल याद और सेवा में तत्पर रहते (लौकिक कार्य भी सेवा समझकर करते), हर पल रूहानी कमाई करे अर्थात सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह… औरों को भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मुरली क्या है

योग कमेंटरी | मुरली क्या है

मुरली है बाबा से बातेंबाबा से मिलन मनाना… परमात्म-प्रेम अनुभव करना

यही मात-पिता की पालना… प्यार-पुचकार… श्रेष्ठ मार्ग-दर्शन है

सुप्रीम टीचर की शिक्षा… सर्वश्रेष्ठ गाइड-लाइंस, डाइरेक्शन्स … सोर्स ऑफ इन्कम है

सतगुरू की श्रीमत… वरदान है… जिसके द्वारा मनमनाभव का महा-मन्त्र मुझे दिया है

साजन का प्रेम-पत्र… मीठी-मीठी बातें है… जो दिव्यगुणों से मुझे श्रृंगारती

खुदा दोस्त से संवाद… चिट-चैट है… जो कल्प-कल्‍पान्तर का सर्वश्रेष्ठ भाग्य बनाता

मुझे मुरली में सदा रेगुलर… पंचुअल… एकाग्र-चित्त रहना है… ओम् शान्ति!


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The victorious warrior! | Sakar Murli Churnings 25-04-2019

The victorious warrior! | Sakar Murli Churnings 25-04-2019

1. इस संगमयुग पर हम सर्वशक्तिमान बाप से योग द्वारा मायाजीत बन विश्व का मालिक बनते… हम फुलो का बगीचा, सतयुग दैवी राजधानी स्थापन करते हैं, अपने ही तन-मन-धन द्वारा

2. बाबा ने हमें ही सत्य ज्ञान दिया है, तो स्वदर्शन चक्रधारी बन बाबा की यादों में रहना है… औरों को भी समझाते रहना है योग्य टीचर बन, समय बहुत थोड़ा है, सेवा तो बहुत है… मुख्य है याद, चलते-फिरते भी

3. सदा रूहानी नशे में रहना है, हम पद्मापद्म भाग्यशाली है, स्वयं भगवान् हमें पढ़ाते… जितना अभी करेंगे उसका सौगुणा मिलता, तो फ्राकदिली से सेवा करते रहना है, मैं-पन से मुक्त हो

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मैं शिव-शक्ति हूँ, सदा इसी स्मृति में रह सर्वशक्तिमान बाबा से योग लगाए सदा शान्ति, प्रेम, आनंद से भरपूर रहे… औरों का भी कल्याण करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | बाबा है ज्ञान सूर्य | Remembering the Supreme Sun

योग कमेंटरी | बाबा है ज्ञान सूर्य | Remembering the Supreme Sun

बाबा ज्ञान-सूर्य… पवित्रता के सूर्य है… उनकी पवित्रता की किरणें चारों ओर फैल… सारे परमधाम को जगमगा रही है

बाबा सर्वशक्तिमान… ऑलमाइटी अथॉरिटी है… उनके संग रहकार… मैं भी सशक्त हो गया हूँ

मैं मास्टर ज्ञान-सूर्य हूँ… मुझसे चारों और शक्तिशाली पवित्र किरणें फैल… वातावरण को शुध्द-सतोगुणी बना रही हैं

मेरे जीवन का अन्धकार… दुःख-दर्द सब समाप्त हो गया है… प्रभु प्रेम से मेरा जहां रोशन है

औरों के भी जीवन को प्रकाशित कर… सुखीश्रेष्ठ बनाते… सतयुग स्थापन करना है… ओम् शान्ति!


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The immensely fortunate student! | Sakar Murli Churnings 24-04-2019

The immensely fortunate student! | Sakar Murli Churnings 24-04-2019

1. इस स्कूल-पाठशाला-विद्यालय में हम आत्माओं को स्वयं परमपिता परमात्मा बेहद का बाप भगवान् राजयोग की रूहानी पढ़ाई पढ़ाते

2. हमारा यह जीवन हीरे-तुल्य देवताओं से भी उत्तम है, अभी हम ईश्वरीय सन्तान वा ईश्वरीय परिवार के है, आस्तिक है… स्वयं बाबा हमारी पालना-पढ़ाई कर गुल-गुल बनाएं साथ ले जाते

3. हमें सिर्फ बाबा को याद करना है, माया तो खींचती रहेंगी, हमें अपनी धारणाओं में पक्का रह उन्नति करते रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् ने हमें अपनी ईश्वरीय विद्यालय में लिया है, तो इसी पद्मपद्म भाग्य को स्मृति में रख सदा ज्ञान-योग द्वारा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित दिव्यगुण समपन्न बन… सर्व को उमंग-उत्साह दिलाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

कैसा होगा सतयुग? (156 बातें) | 156 points describing Satyuga

कैसा होगा सतयुग? (156 बातें) | 156 points describing Satyuga

आज बाबा ने धारणा में कहा सतयुग में क्या-क्या होगा उस पर विचार करो, और स्वयं को ऎसा चरित्रवान बनाओ… तो आज आपको सतयुग की 156 बातें भेज रहे हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताई है… इन्हे बहुत उमंग-उत्साह से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

हम कैसे होंगे?

  • सर्वगुण सम्पन्न, सोलह कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण पवित्र (निर्विकारी), डबल अहिंसक (अहिंसा परमोधर्म), मर्यादा पुरुषोत्तम, सच्चे वैष्णव
  • पावन, सतोप्रधान, दिव्य, सतोगुणी (पवित्र, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्तियों से भरपूर)

हमारा भाग्य कैसा होगा?

  • डबल ताजधारी (पवित्रता का ताज और रतन-जड़ित ताज)… हर चीज़ नई
  • तन.. कंचन काया, सम्पूर्ण स्वस्थ (निरोगी), अकाले मृत्यु नहीं, कोई तकलीफ नहीं, बहुत बहुत सुन्दर (नैचुरल beauty)
  • मन.. शान्त, सन्तुष्ट, खुश
  • धन.. अनगिनत, अथाह, बहुत जमीन, बड़े बड़े बगीचे, सोने के महल, हिरों की जड़त, हरेक का पुष्पक विमान (जो संकल्प से चलता, कोई एक्सिडेंट नहीं), कोई कमी नहीं… हर स्थान-अवसर के वस्त्र अलग, बिल्कुल हल्के जेवर… रेत में भी सोना, हिरों के पत्थर
  • सम्बन्ध.. मीठे, पवित्र, स्नेह-समपन्न
  • सम्पर्क… हल्के, सन्तुष्टता-पूर्वक

समाज कैसा होगा?

सतयुग के विभिन्न नाम | Names of Paradise, Heaven | Golden Age names image
  • समाज… 9 लाख सूर्यवंशी देवताएं (2 करोड़ तक बढ़ेंगे, सतयुग अंत तक), 1 लक्ष्‍मी-नारायण का अटल-अखण्ड-अद्वैत राज्य (दिल्ली में, यमुना किनारे), 1 आदि सनातन देवी-देवता धर्म, 1 भाषा, 1 खण्ड, सम्पूर्ण एकता
  • 1 बच्चा-1 बच्ची, योगबल की पैदाइश, गर्भ महल, जन्‍मते ही गोल्डन स्पून इन माउथ, दास-दासियों द्वारा फर्स्ट-क्लास पालना… स्कूल में कविता, गीत, संगीत, चित्र, कलाओं की पढ़ाई
  • 1250 साल में 8 जन्म, लगभग 150 वर्ष की आयु

प्रकृति कैसी होगी?

  • प्रकृति.. सतोप्रधान, सुखदाई, लो & ऑर्डर, कोई उपद्रव नहीं
  • सदा बहारी मौसम, न ठंडी न गर्मी, सुगन्धित हवा… स्वच्छ-अहिंसक-फ़र्स्टक्लास पशु… साफ-सुगंधित नदियां… संगीत करने वाले पेड़-पंछी
  • धरती बहुत उपजाऊ, 56 प्रकार का भोजन, फल-फूल की सब्जियां, खाने-पीने के फल अलग (थोड़ा दबाने से रस मिलेगा)

सतयुग के भिन्न-भिन्न नाम

स्वर्ग, वैकुण्ठ, Heaven, Golden Age, जन्नत… और 23 नाम

क्या नही होगा?

  • लाइट-फैन की आवश्यकता नहीं… कोई वज़ीर नहीं
  • कोर्ट, जज, वकील, जेल, पुलिस… हॉस्पिटल, डॉक्टर, दवाई… सेना, हथियार, युद्ध… अपवित्रता, विकार, नकारात्मकता, व्यर्थ, दुःख आदि
  • मन्दिर, पूजा, भक्ति

सतयुग में पद कौन से होंगे? (सबसे श्रेष्ठ पद पहले)

महाराजा, राजा, रॉयल फ़ैमिली, साहूकार प्रजा, प्रजा, राजा के दास-दासी, प्रजा के दास दासी, चण्डाल

सार

बाबा हमें कितना श्रेष्ठ, ऊंच, सुखदाई वर्सा दे रहे हैं … तो चलिए आज सारा दिन, इसी खुशी के उमंग उत्साह द्वारा अपने ज्ञान-योग के पुरूषार्थ को ऎसा तीव्र बनाए, कि हम सर्वश्रेष्ठ महाराजा-महारानी पद प्राप्त कर ले… औरों को भी श्रेष्ठ पद प्राप्त कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

1) गीत: जगमग हो जगमग…

2) गीत: जीवन गुणों से पूर्ण होगा...

3) गीत: सोने की दुनिया होगी…


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Coming in the rosary of victory | Sakar Murli Churnings 23-02-2019

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1. हमें सम्पूर्ण ज्ञान मिला है, कैसे सबको मुक्ति में जाकर फिर जीवनमुक्ति में आना है, तो ऊंच पद जरूर प्राप्त करना है… इसके लिए और सब बातों से बुद्धि हटाएं सिर्फ एक सर्वशक्तिमान पतित-पावन बाप को याद करना है, तो पावन-सम्पूर्ण-सतोप्रधान बन जाएँगे (सभी मालाओं में आगे रहेंगे)… दिव्यगुण भी चाहिए, अपना पोतामेल जरूर रखना है, रूहानी व्यापारी होने के नाते… सेवा भी अवश्यय करनी है

2. सतयुग में सदा बहारी मौसम, सोने के बर्तन, सबकुछ स्वच्छ-सुगन्धित होगा… फिर भी जो सतयुग में होगा, वह तब देखेंगे, अभी हमें याद कर सतोप्रधान बनना है, बस!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने अब भी हमारे लिए विजय माला की कुछ सीट खाली रखी है… तो ज्ञान-योग के तीव्र पुरूषार्थ की ऎसी श्रेष्ठ दौड़ी लगाए की हम मायाजीत बन माला का श्रेष्ठ मणका बन जाएँ… औरों को भी विजयी बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | प्रकृति को पावन वाइब्रेशन देने | Giving pure vibrations to Nature

योग कमेंटरी | प्रकृति को पावन वाइब्रेशन देने | Giving pure vibrations to Nature image

योग कमेंटरी | प्रकृति को पावन वाइब्रेशन देने | Giving pure vibrations to Nature

प्रकृति ने हज़ारों साल मेरी पालना की है… उसका बहुत शुक्रिया है… अभी मुझे उनकी पालना करनी है… प्रकृति-पति बनकर

मैं परम-पवित्र आत्मा… पवित्रता के सागर की सन्तान हूँ… बाबा की पवित्रता की किरणें… मुझमे समा रही हैं

मुझसे चारों ओर पवित्रता की किरणें फैल रही है… वातावरण बहुत शुध्द… सतोगुणी, दिव्य बन रहा है

यह प्रकंपन प्रकृति को पहुँच… पांचों तत्वों को शान्त, शीतल… पावन, सतोप्रधान बना रहे हैं

यही पावन प्रकृति… स्वर्ग में सम्पूर्ण सुख देगी… कल्प-कल्प हमारी सेवा करेंगी… वाह प्रकृति वाह!… ओम् शान्ति!


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