Bathing in the lake of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 14-06-2019

Bathing in the lake of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 14-06-2019

इस संगम पर बाबा रथ पर आकर नई गोल्डन एजेद सतयुगी दुनिया, सुखधाम के राज्य लिए हमें पढ़ाते… तो अपने को भी change कर देवताओं (लक्ष्मी-नारायण) समान पवित्र-गुणवान character बनाना है, विकारों से मुक्त… इसके लिए श्रीमत पर अपने स्वधर्म में टिक बाबा को याद करने का श्रेष्ठ पुरुषार्थ करना है (राजयोग), तो पद ऊंचा बन जाएंगा (माला का मणका)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के ज्ञान-मानसरोवर में सारा दिन डूपकी लगाते रहे हैं, अर्थात बार-बार मुरली की कुछ लाइन पढ़कर उसपर चिन्तन किया करे… तो स्वतः हमारी स्थिति हल्की-उपराम-योगयुक्त रहेंगी… अर्थात हम परी-समान देवता बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!

समर्पित होने से 108 प्राप्तियां | 108 benefits of Surrendering to God

समर्पित होने से 108 प्राप्तियां | 108 benefits of Surrendering to God

बाबा के घर में समर्पित होना, यह सर्वश्रेष्ठ भाग्य है, जिसकी आज भी बाबा ने मुरली में बात की… तो आज समर्पित होने से 108 प्राप्तियां देखते हैं… इस सतगुरूवार की सौगात को बहुत रूहानी नशे से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी! 

सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय जीवन

  • पवित्रता-अलौकिकता-दिव्यता-सादगी-सरलता सहज बढ़ जाती
  • सेवा के बहुत चान्स मिलते (कोर्स, मुरली, स्पेशल प्रोग्राम), सारा दिन याद सेवा में बीत सकता, हर पल कमाई ही कमाई, समय-श्वास-संकल्प सफल
  • सहज हो जाता श्रीमत-फरमान-नियम-मर्यादा की पालना, फोलो फादर
  • दिनचर्या-धारणाएं सहज (अमृतवेला, मुरली, revise, चिन्तन, शुद्ध भोजन योग में, ट्रेफिक कंट्रोल, नुमाशाम, रात योग, चार्ट)
  • सच्चा त्याग, tapasya, निश्चय…

सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियां

  • सर्वश्रेष्ठ भाग्य है, कल्प-कल्प की नुन्ध, श्रेष्ठ भाग्य बना सकते… शिक्षक, सेवाधारी, बाप-समान बनने का भाग्य
  • सेन्टर (बाबा के घर, शहर के सर्वश्रेष्ठ स्थान) पर रहने को सौभाग्य मिलता, बाबा के कमरे में बार-बार जा सकते… मधुबन जाने के चान्स ज्यादा (गाइड, टीचर क्लासेज bhatti, आदि
  • श्रेष्ठ वातावरण-वायुमण्डल… संग (बड़ों से सीखते, उनका example, मार्गदर्शन मिलता)… ब्रह्मा भोजन (शुद्ध, बाबा की याद में)…

एक बाबा, दूसरा ना कोई!

  • सच्ची-पक्की ब्रह्माकुमारी ब्राह्मण बनते… सच्ची सजनी-पार्वती-सीता, शिव से सच्ची सगाई-शादी…
  • प्रैक्टिकल में एक बल, एक भरोसा, एक बाबा दूसरा ना कोई, एकव्रता, एकनामी…
  • बाबा को काम आते, मददगार बनते, उसकी gaddi संभालते, समय श्वास संकल्प जीवन सफल होती… दिल तख्त

बच जाते 

  • शादी (अपवित्रता, ढेर सारे सम्बन्ध, रोक टोक, आदि)
  • नौकरी (ट्रैवल, ऑफिस पालिटिक्स, संघर्ष, आदि)
  • औरों की बुरी दृष्टि-वृत्ति से
  • पैसे की लेन-देन, शॉपिंग, आदि
  • लौकिक जिम्मेवारी-बन्धन कम हो जाते
  • स्थूल-दुनियावी-लौकिक-भौतिक व्यर्थ-अपवित्र-नकारात्मक बातों से सहज उपराम-परे रहते 

सबके प्रिय!

  • सबका सम्मान-सत्कार मिलता
  • सबके लिए sample, example, उदाहरण बनते… स्वयं पर attention बढ़ता…
  • माँ-बाप-ज्ञान में चलने वाले सन्धी टीचर स्टूडेंट साथियों के दिल पर चाहते

सार

यदि निर्बंधन होने कारण हमारे पास समर्पित होने का गोल्डन चान्स है… तो बाबा और इन सभी प्राप्तियों को बुद्धि में रख, अपने को ज्ञान-योग से सशक्त कर इसे सर्वश्रेष्ठ सुहावने अवसर का लाभ ले, जीससे स्वयं और सर्व का श्रेष्ठ कल्प … सदा बाबा की सच्ची-सच्ची सजनी, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, दिव्य दर्शनीय मूर्त बन, सबकी सच्ची सेवा करते सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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Our wonderful discus! | स्वदर्शन चक्र | Sakar Murli Churnings 13-06-2019

Our wonderful discus! | स्वदर्शन चक्र | Sakar Murli Churnings 13-06-2019

हम ब्राह्मण बन बाबा से राजयोग की पढ़ाई पढ़ते ही है, जीवनमुक्त-पवित्र सूर्यवंशी-देवता लक्ष्मी-नारायण महाराजा बनाने… हमें तीनों लोकों-कालों के ज्ञान की रोशनी मिली है, इसलिए अब बहुत खुशी से अपने को आत्मा समझ (जिससे बुद्धि स्थिर होती) बाबा को याद कर पवित्र बनते जाना है, और स्वदर्शन चक्र फिराते पद ऊंचा बनाते रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें ज्ञान स्वादर्शन चक्र का सर्वश्रेष्ठ अस्त्र-शस्त्र दिया है, तो सदा इसको फिराते अर्थात ज्ञान चिन्तन वा बाबा की याद द्बारा सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा खुश-सन्तुष्ट बन, सबकी माया का भी गला कांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Filling ourself with jewels! | Sakar Murli Churnings 12-06-2019

Filling ourself with jewels! | Sakar Murli Churnings 12-06-2019

1. दोनों शिवालय (शान्तिधाम-सुखधाम) और बाप-टीचर-सतगुरु बाबा को याद रखने से, सुख-खुशी का पारा चढ़ पाप कटते, पद ऊंच बनता… माया-वश झुटका खाना वा बुद्धि को भटकाना नहीँ, उससे औरों को भी नुकसान होता, अच्छे से पढ़ना हैं, हमें सर्वश्रेष्ठ टीचर मिला है

2. घर जाकर सब भूलना नहीँ है, औरों को भी समझाते रहना है, कलियुग-संगमयुग-सतयुग पर, गंभीरता-निर्भयता से, चित्र-म्युज़ियम-लिखत-समझानी श्रेष्ठ हो… जो आने वाले होंगे वह आ जाएँगे… चने (स्थूल प्राप्तियों-सम्बन्धों का आकर्षण) छोड़ हीरों (ज्ञान रत्नों वा योग केे अनुभव) से सम्पन्न बनने-बनाने में समय सफल करना है, तो विश्व-महारानी बन जाएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा रोज़ हमपर अविनाशी ज्ञान रत्नों की वर्षा करते, तो इन सभी रत्नों को चिन्तन-योग द्बारा अनुभव कर धारण करते दसवें… तो सदा शान्ति प्रेम आनंद से मालामाल, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | Creative Commentary on Rain

योग कमेंटरी | Creative Commentary on Rain

ऊपर परमधामसूक्ष्मवतन से… बाबा का प्यार बरस रहा है.. मैं सदा उनके प्यार में डूबा रहता

मेरा चित्त सूखा, एक बूंद का प्यासा था… अब सागर मिल गया है… उसमें ही डूबकी लगाता रहता

बाबा के प्यार में सदा रिफ्रेश… तरो-ताझा रहता… शान्ति प्रेम आनंद से सम्पन्न

इस बारिश में, मैं कांटे से फूलरूहें गुलाब बन गया हूँ… हीरे-समान

औरों को भी परमात्म प्यार के छींते बांट… गुणवान… सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाना है… ओम् शान्ति!

गीत: बरस रही है बाबा…


और योग कमेंटरी:

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The three Om Shantis! | Sakar Murli Churnings 11-06-2019

The three Om Shantis! | Sakar Murli Churnings 11-06-2019

हमें समझ मिली है.. कि:

मैं कौन?

  • मैं आत्मा हूँ (आत्मा अविनाशी, शरीर विनाशी है)
  • ईश्वरीय परिवार का

मेरा कौन?

  • बाबा
  • जो बेहद का बाप (वर्सा), टीचर (ज्ञान का सागर), सतगुरू (साथ ले जाते) है
  • उनको हमपर कितना प्यार है, हमारी कितनी निष्काम सेवा करते
  • वही हमारा पाण्डव-पति है

मुझे क्या करना है?

  • बाबा की याद द्बारा पाप कट करने है
  • स्वदर्शन चक्रधारी बनना है (हम अभी पढ़ रहे हैं, फिर जीवनमुक्ति स्वर्ग के मालिक सम्पूर्ण सुखी बनेंगे, वहां केवल हम ही होंगे)
  • सेवा भी करनी है, सबकी (नौकर-चाकर-अहिल्याएं-गरीब-आदि सब):
    • मूल सेवा है बाबा का परिचय देने का सहज कर्म करना, जिससे सबका कल्याण होता
    • सूक्ष्म सेवा है बाबा की याद में रहना (जिससे पवित्र प्रकंपन फैलते), भोजन याद में बनाना, आदि
    • स्थूल सेवा तो बहुत है, जैसे भण्डारा सम्भालना

क्या सम्भाल करनी है?

  • पवित्रता (विष छोड़, ज्ञान-अमृत पीना)
  • भोजन की शुद्धता
  • विकार (5 भूत) वा अवगुण (झूठ बोलना, चोरी करना, आदि) छोड़ना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… ज्ञान-योग की वास-धूप को सदा जलाए रख, सभी विकारों के भूतों को भगाए, सदा शान्ति प्रेम आनंद के अनुभवी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहे… औरों को भी ऎसी श्रेष्ठ विधि सिखाकर कल्याण करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

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Taking, Giving & Inculcating soul-conscious drishti

Taking, Giving & Inculcating soul-conscious drishti

Giving drishti simply means seeing others as pure souls, which radiates pure vibrations to them.

In our organisation, there’s this wonderful practice of taking drishti from senior instrument teachers before important events, when taking toli (prasaad), etc.

Even when God descends in His chariot, the first thing He does is give us drishti i.e., sees us as souls.

It helps us easily experience vibrations of purity, peace, love & happiness, and gain power.

Taking drishti

In order to gain maximum benefit, here’s the best technique of taking drishti:

Taking drishti from God, when He descends or in meditation or through photo of Baapdada

Establish yourself in a soul-conscious state, then:

  • Look at His eyes
  • With the awareness that the Supreme soul (from the centre of the forehead) is looking at me
  • And try to keep the mind as silent as possible, to gain maximum benefit
  • You’ll naturally start experiencing His cool vibrations

If needed, to help experience, we may:

  • Create thoughts such as:
    • I am the Light of God’s eyes
    • He is looking at me with so much love
    • His drishti is very loving, powerful & 100% soul conscious, making me also soul conscious
    • Vibrations of purity & peace are reaching me
  • Visualise subtle rays of soft white light coming from His forehead to us

Along with taking drishti, we can remember the different things that Baba has told us through Murli & Vardaan card, His hopes & aspirations for us, what He must be thinking of us at this time, etc and also talk to Him. This gives a range of very personalised, beautiful experiences.

The face (and eyes) are the index of the mind i.e., our thoughts, attitude & state of mind are reflected through our face & eyes. Hence, taking drishti from God is one of the best & easiest ways of experiencing His very elevated vision & pure feelings for us.

Taking drishti from Instrument Teachers

Even when we take drishti from instrument teachers, we should consider it’s God who’s giving me drishti, also perhaps seeing the face of BaapDada alongwith.

Giving drishti

We use all 3 faculties of the soul; Mind (thoughts), Intellect (visualisation) & Sanskars (experience):

  • See him/her as a soul, a tiny point of light sparkling in the centre of the forehead
  • Create thoughts such as he’s a pure soul, peaceful soul, God’s child, God’s vibrations of love are reaching him, etc [See List of thoughts below]
  • Try to gently experience the thoughts created

What we experience inside is the vibrations radiated outside to the soul. Hence, the more regular & deeper our practice of meditation, the quicker & more powerful are the vibrations while giving drishti.

This is the reason why it’s a very good practice to take drishti from senior experienced meditators, since their powerful stage & experiences over the years results in powerful vibrations which benefit us.

List of thoughts to create while giving drishti

There’re a wide variety of thoughts that can be created while giving drishti:

  • He’s a pure soul, peaceful soul, loveful soul, blissful, powerful, etc
  • He’s a sparkling star, divine light, conscient being, master of the body, seeing through the eyes, etc
  • God’s powerful vibrations of purity, peace & love are reaching the soul
  • He is God’s child, God has specially chosen him, God’s special Jewel
  • Being child of One Father, we are brother souls; we are One
  • He’s a divine soul, was & will become full of divine virtues again
  • Thoughts regarding specialities of the specific soul e.x., Very caring, supportive, etc or what Baba has said to that soul through Vardaan card

Inculcating a natural soul-conscious drishti

While the above applies to the specific case of giving drishti when someone requests for it, God gives the Shrimat (elevated direction) to us, of maintaining a natural soul-conscious drishti in each of our interactions, with everyone we meet.

This doesn’t mean continuously looking at the soul as point of light. It just means creating the required thoughts & maintaining the very pure spiritual awareness that the one whom I’m interacting with is a soul, which makes our state of mind and hence the interaction very pure, light & fruitful.

Hence, here are some best practices for inculcating this very elevated virtue:

1. Interactions, Phone Calls & Text Chats

While our aim is to maintain a soul-conscious dristhi throughout our interactions, a good way to start is by focusing on the start & end of interactions:

  • Before or just after starting an interaction, phone call, text chat, etc, create one of the above thoughts e.x., He’s a pure peaceful being
  • After finishing the interaction & waving goodbye or putting down the phone, create a soul-conscious thought for that soul. Then, take the learning from the interaction and put a full stop, this ensures our stage remains as elevated as before
  • Even between interactions, especially long interactions, we could create a few soul-conscious thoughts in between to maintain this very pure elevated awareness

2.Talking

Whenever we speak i.e., words come out from our mouth, always keep the awareness I’m speaking to the soul i.e., my words are being directed to the soul & it’s the soul who’s listening.

This is a very simple & very powerful technique of maintaining soul consciousness in interactions.

3. Specialities

Along with maintaining a soul-conscious drishti, God’s Shrimat tells us to always look at specialities & virtues of the other soul.

Hence, it’s a very good idea to write down 2-3 specialities of each soul we come into regular contact with. Then, each time we interact with them, keep these specialities in awareness. This keeps our interactions very elevated & free from waste.

General

The above points may seem and are closely connected, but working on each of these separately helps us develop a powerful stage, and gives variety in our spiritual efforts.

Other Applications of soul-conscious drishti

This approach of giving drishti i.e., vibrations can be applied to a variety of cases, benefitting us in numerous ways:

  • God’s Shrimat tells us to always eat in a meditative state of mind; one of the techniques for this is giving drishti to food & water before consumption; i.e., looking at the food & creating thoughts like:
    • I’m a pure soul
    • Vibrations of purity are getting absorbed in the food
    • God’s peace & love is getting filled in the food
    • etc
  • After or during our meditation, it’s a very good practice to emerge & give drishti to souls we come into regular contact with, and those we have a tough karmic account with; this helps make our relations very smooth, flowing & beautiful
  • While listening to Murli, we could see BaapDada in front of us, giving drishti and speaking to us. This gives a range of deep varied experiences

Benefits of soul-conscious drishti

Benefits to the Self:

  • Keeps our state of mind very pure & elevated, hence we easily experience peace, lightness, love & joy
  • Makes our words & behaviour very sweet, royal & full of respect for all
  • Ensures our thoughts for others remain clean & pure, which significantly improves our relations with minimal effort, since thoughts are the foundation of relationships

Benefits in Interactions:

  • Provides powerful empowering vibrations to the other soul, like a current of powerful energy
  • Radiates continuous pure elevated vibrations, hence making:
    • Our interactions very light, fulfilling and full of satisfaction & blessings
    • The atmosphere around very pure & powerful, which benefits all
  • It’s one of the easiest techniques of combining service through words & service through mind; our words touches people’s hearts and they’re able to easily understand & appreciate our sharings
  • Acts as a powerful shield of protection against any overpowering, waste, negative or impure influence of others; even transforming the attitudes of others
  • When we see others as souls, we remain aware they’re on a long journey with different experiences, hence we’re able to accept & understand even their very different sanskars
  • When we see others as souls, we rise above temporary labels of achievements & position, physical appearance, age, etc which no longer unduly affect us. Hence, we’re able to maintain our constant flow of true respect & pure elevated vibrations towards them

Benefits related to Meditation / God:

  • It’s also a technique of meditation, hence we get all the benefits of meditation
  • Then later when we sit specially for meditation, since our stage has already remained so elevated throughout in interactions, connecting to God & experiencing all His qualities becomes very easy & natural
  • Since God’s drishti is always 100% soul conscious, it’s one of the ways to Follow Father & become equal to Him

Om Shanti!


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Becoming a fragrant flower! | Sakar Murli Churnings 10-06-2019

Becoming a fragrant flower! | Sakar Murli Churnings 10-06-2019

रहमदिल बाबा आकर हमें आत्मा का ज्ञान वा सच्ची पढ़ाई पढा़ते, जिससे हम सतोप्रधान नई विश्व के मालिक जीवनमुक्त बन जाते, बाबा हमारे लिए हथेली पर बहिश्त लाए हैं… तो हमें भी ईश्वरीय मत पर सभी अवगुण निकाल देने है, पोतामेल रख गुणदान देते… यह बहुत सहज हो जाता, देही-अभिमानी बन, सिर्फ एक बाबा से सुनने से… टाईम बहुत थोड़ा है, इसलिए सदा बुद्धि में सुखधाम-शान्तिधाम रहे, सजाओं से छूटने लिए बाबा की याद से विकर्म विनाश जरूर करने हैं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बागवान बाबा आए है, तो सदा उनकी याद द्बारा उनके सभी गुणों का अपने में अनुभव कर, दिव्यगुण सम्पन्न बन, सदा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते रहे… औरों को भी गुणदान करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

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योग कमेंटरी | मैं Godly Student हूँ

योग कमेंटरी | मैं Godly Student हूँ

मैं Godly Student हूँ… स्वयं भगवान मुझे पढ़ाते… सुप्रीम टीचर बनकर

मैं नम्बरवन स्टुडेंट हूँ… रेग्युलर… Punctual… एकाग्र-चित्त

मैं टीचर का favourite हूँ… मुझे बाबा बहुत-बहुत प्यार करते… मुझपे उनकी बहुत आश है

मैं सदा ज्ञान का सिमरण कर… धारणा-मूर्त बन… हर्षित रहता… Student life is the best

सबको भी पढ़ाकर… आप समान बनाता हूँ… मैं विश्व कल्याणकारी हूँ… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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Becoming the Master of Nature! | प्रकृति-पति बनो | Avyakt Murli Churnings 09-06-2019

Becoming the Master of Nature! | प्रकृति-पति बनो | Avyakt Murli Churnings 09-06-2019

हमारा सर्वश्रेष्ठ पार्ट

1. हम कमाल-पुष्प समान आत्माएं हलचल में अचल, भय के वातावरण में निर्भय-शक्तिशाली, चिंता में निश्चिंत-बेफिक्र, दुःख में सुख के गीत गाने वाले है… इसलिए शुभ चिंतक बन औरों को भी सुख-शान्ति दिलाते विश्व परिवर्तक बनना है

2. अभी समय है सम्पन्न बन, घर जाने का… इसलिए अभी ही सबके हिसाब-किताब चुक्तू होते, वह भी जन्म-मृत्यु में सबसे ज्यादा, चीटियों जैसे… जो हिसाब-किताब आत्मा को स्वयं चुक्तू करने है (शरीर-दिमाग-भूतों द्बारा) बह धर्मराज भी हो सकते, लेकिन सम्बन्ध-संपर्क वा प्रकृति से चुक्तू होने वाले तो यहां ही होंगे

3. हमें स्वयं को चेक कर हिसाब-किताब चुक्तू कर हल्का हो जाना है… निशानी है हमें अपने स्वभाव-संस्कार संग-वातावरण परवश नहीं कर पाएंगे, हम जितना सोचे उतना कर सकेंगे, उल्टे कर्म नहीँ होंगे… बाबा की छत्रछाया में, दर्दनाक सीन भी खेल अनुभव होते

टीचर अर्थात 

त्याग-तपस्या तो सेवा में समाई हुई ही है, जिससे बिना मेहनत एक सेकण्ड में भरपूर, खान के अधिकारी बनते, जो जन्म जन्म खाते रहेंगे … हम सेवाधारी-शिक्षक को बाप-समान होने का भाग्य मिला है, इसलिए सबको वरदान दे समर्थ बनाते आगे बढ़ाते-उड़ाते रहना है 

हम है प्रकृति-पति आत्माएं! 

1. प्रकृति की हलचल में हमें अचल, ऊंची फ़रिश्ता स्थिति में रहना है, इसके लिए कर्मेंद्रीय-जीत बनना है… जब एसे पूर्वज-पन की स्थिति में स्थित रहते, तब ही 5 विकार-प्रकृति हमारे ऑर्डर पर चलेंगे

2. हमारी पवित्र मन्सा प्रकृति-मनुष्यों को भी परिवर्तन कर सकती, इसलिए संकल्प-बोल-कर्म में मर्यादा का कंगन बांधे रखना है… पेपर समय हाय-हाय के बनाए वाह-वाह करना है, इसलिए देखते हुए न देख, एक सेकण्ड में निराकारी-आकारी-साकारी का अभ्यास करना है… वाह रे मैं, वाह मेरा पार्ट

3. अभी ही अन्त में हम प्रकृति-पति को प्रकृति ऑफर-आफरि कर, जहां हम होंगे वहां कुछ नुकसान नहीँ करेंगी, दासी-दाता बन जाएंगी… इसलिए सब हमारे स्थान के पास आएँगे, हम सब के सहारे बन जाएँगे, प्रत्यक्षता हो जाएंगी

सार

तो चलिए आज सारा दिन.. योग-मर्यादा द्बारा ऎसी ऊँची फ़रिश्ता स्थिति बनाके रखे, कि ऎसे नाजुक समय में भी हम अचल रह सबको सुख-शान्ति दे प्रकृति को भी परिवर्तन कर सके… तो छोटी बातें में तो हम सदा सेफ रह, सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चलेेंग… ओम् शान्ति!