योग कमेंटरी | Eating with God | बाबा के साथ भोजन

योग कमेंटरी | Eating with God | बाबा के साथ भोजन image

योग कमेंटरी | Eating with God | बाबा के साथ भोजन

यह ब्रह्मा भोजन है… शिवबाबा के भण्डारे का भोजन… मुझे तन-मन से सम्पूर्ण स्वस्थ करेगा

मैं बाबा की याद में रह… भोजन को दृष्टि दे रहा हूँ… बाबा की पवित्रता की किरणें इसमें समा रही है… भोजन सम्पूर्ण शुध्द-शक्तिशाली बन गया है

मैं मेरे बाबा के साथ भोजन पर बैठी हूँ… मैं बाबा को खिला रही हूँ… बाबा मुझे खिला रहे हैं

इस शरीर (गाड़ी) को पेट्रोल मिल रहा है… मैं इस बाबा के शरीर को खिला रही हूँ… उपराम वृत्ति से… बाबा की याद में

भोजन शरीर को शक्ति देता… बाबा की याद मुझ आत्मा को सशक्त करती… मैं तन-मन से स्वस्थ हो रही हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: तेरी याद का अमृत…

Beautiful 4-minute visualisation on offering Bhog to Baba, in Sheilu Behn’s voice:


और योग कमेंटरी:

Thanks for reading this meditation commentary on ‘Eating with God | बाबा के साथ भोजन’

The safety of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 16-04-2019

The safety of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 16-04-2019

यह वानप्रस्थ का समय है, जितना अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करते, सतोप्रधान बनते जाते… माया तो अन्त तक आएंगी, इसलिए सदा श्रीमत पर चलते विजयी बनना है, तो हमारा पद भी ऊंचा हो जाएँगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के श्रीमत रूपी हाथ को सदा साथ रख, सदा निश्चिंत रह नाचते-कूदते जीव न के हर सीन क्रॉस करते रहे… हर पल बाबा की यादोंं में उन्नति करते, सदा खुश दिव्यगुण-सम्पन्न बन… सबको आप समान श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

बाबा की याद से 134 प्राप्तियां | 134 Benefits of remembering Baba

बाबा की याद से 134 प्राप्तियां | 134 Benefits of remembering Baba

प्राण-प्यारे बाबा की याद हम सभी ब्राह्मण बच्चों का जियदान है, जिससे हम सदा अतिन्द्रीय सुख के झूले में झूलते, परिस्थितियों का सहज सामना कर पाते… तो आज आपको बाबा की याद से 134 प्राप्तियां भेज रहे हैं, आपकी याद की यात्रा को और सुखदाई और तीव्र बनाने… इन्हें बहुत रूहानी नशे से बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

सर्वोत्तम प्राप्ति!

  • पवित्र-पावन सतोप्रधान बनते, बैट्री चार्ज होती… दिव्य बनते, सदा श्रेष्ठ स्थिति रहती
  • उड़ती कला के अनुभवी अर्थात सदा शान्ति प्रेम आनंद, वास्तविक खुशी, अतिन्द्रीय सुख के अनुभवी बनते… तृप्त-सन्तुष्ट होते… रूहानी नशे में रहते
  • बाप-समान, सम्पन्न-सम्पूर्ण, अव्यक्त-फरिश्ता बनते… पूज्य देवता बनते, श्रेष्ठ भाग्य बनता, रूहानी कमाई जमा होती, पद ऊंचा बनता
  • निरोगी होते, आयु बढ़ती… एकरस-अचल-अडो़ल रहते
  • श्रीमत पालन होती, फॉलो फादर होता… आज्ञाकारी, वफादार, फरमानवरदार, सपूत, ईमानदार, सच्चे बच्चे बनते… अन्त में साक्षात्कार होते

श्रेष्ठ, सहज, सुखदाई जीवन!

  • बाबा का प्यार-साथ-मिलन महसूस होता… उनकी आशीर्वाद-मदद-शक्ति-छत्रछाया अनुभव होती… वह जिम्मेवार हो जाता, हमारे सोचने का काम भी वही करता… अकेला-पन, भय से मुक्त रहते
  • देह-भान से न्यारे, मन शान्त, बुद्धि स्थिर, संस्कार परिवर्तन-शीतल होते… स्वराज्य अधिकारी बनते
  • जीवन आसान बनता, विकास होता… एकाग्रता, कार्य-क्षमता, कार्य-रचनात्मकता, कार्य-सन्तुष्टता बढ़ती… सम्बन्ध अच्छे बनते, सम्पर्क अलौकिक
  • पास्ट मर्ज होता, भविष्य निश्चिंत, वर्तमान सुन्दर बनता… समस्या हल्की हो जाती, परिस्थितियों का सामना सहज, कर्मभोग पर विजयी बनते, विघ्न-विनाशक, समाधान-स्वरूप बनते, आगे विकर्म से बचते

ब्राह्मण जीवन में उन्नति

  • ज्ञान गहराई से समझ आता, मुरली में बहुत आनंद आता… अनुभव मिलते, निश्चय-बुद्धि बनते, समर्पण-भाव जाग्रूत होता
  • देही-अभिमानी, आत्म-अभिमानी, अशरीरी, विदेही बनना सहज… याद से याद मिलती, करन्ट मिलती… ज्वालामुखी तपस्या, और शक्तिशाली योग, बीजरूप स्थिति का अनुभव कर सकते… बाबा के गले का हार बनते, विजय माला में आते
  • धारणा-मूर्त, हर्षितमुख चेहरा, शीतल दृष्टि रहती… अमृतवेला सफल होता… भोजन को श्रेष्ठ वाइब्रेशन मिलते… नींद अच्छी-गहरी आती, कम घंटे में… स्वप्न शान्त-शुध्द आते
  • प्रकृति को पवित्र वाइब्रेशन मिलते, शुध्द वायुमण्डल बनता, मन्सा सेवा कर सकते… वाणी में जौहर भरता, कथनी-करनी एक समान बनती… औरों को अनुभव करा सकते, आप समान योगी बना सकते

पुराना-पन समाप्त!

  • विकर्म विनाश, पाप कट, कीचड़ा समाप्त, स्वच्छ-साफ होते
  • कर्मातीत, मायाजीत, विकर्माजीत, विकार-जीत (काम-जीत, क्रोध-जीत, लोभ-जीत, मोह-जीत, अहंकार-जीत)
  • व्यर्थ-जीत, फीलिंग-प्रूफ, रोना-प्रूफ, प्रभाव-मुक्त साक्षी-दृष्टा रहते

उपराम!

  • देह-स्मृति, देहधारी-याद, वस्तु-आकर्षण, दुनियावी-बातें सब से… सहज न्यारा, उपराम, अनासक्त, इच्छा-मात्रम-अविद्या बन सकते
  • वैराग्य, त्याग सहज हो जाता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें अपना सत्य परिचय दे दिया है, तो अपनी दिनचर्या के हर पहलू में बाबा को बहुत प्रेम से याद करते रहे… इससे स्थिति सदा श्रेष्ठ रह, हम सदाकाल का श्रेष्ठ भाग्य बनाते रहेंगे… औरों को भी बाबा से जुड़ाते, उन्हें भी सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, हम सतयुग बनाते चलेेंगे… ओम् शान्ति!

https://youtu.be/gTPsBQnAeK0

1) गीत: तुम्हारी याद बाबा एक…

2) गीत: एक तेरी याद में बाबा…

3) गीत: यादें तुम्हारी बाबा…

4) गीत: याद तुम्हारी इतनी प्यारी…


Thanks for reading this article on ‘बाबा की याद से 131 प्राप्तियां | 131 Benefits of remembering Baba’

Also read:

Our wonderful spiritual university! | Sakar Murli Churnings 15-04-2019

Our wonderful spiritual university! | Sakar Murli Churnings 15-04-2019

1. जबकि सब पतित-पापी-दु:खी बन गए हैं, बाबा सबकी सद्गति कर वापिस ले जाते, तो ऎसे बाबा को तो कितना याद करना चाहिए… जिससे हम नई दुनिया के मालिक देवी-देवता सम्पूर्ण सुखी बन जाते, यही इस wonderful ईश्वरीय विद्यालय का लक्ष्य है!

2. हमें सिर्फ पवित्र-ज्ञानी-योगी सम्पूर्ण अहिंसक बनना है,… अंत के सीन देख सब जागेंगे, हम खुशनसीब है कि पहले से सब ज्ञान समझ अपना भाग्य बना लिया है

सार

जबकि बाबा ने हमें अपनी सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय विश्व विद्यालय में ले लिया है… तो चलिए, इस ज्ञान-योग की पढ़ाई में एसी तीव्र दौडी़ लगाए, कि हम सदा श्रेष्ठ स्थिति के अनुभवी, दिव्यगुण-सम्पन्न बन… औरों को भी बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Earning Blessings through the Art of Balance | बैलेन्स की कला द्वारा ब्लैसिंग की प्राप्ति | Avyakt Murli Churnings 14-04-2019

Earning Blessings through the Art of Balance | बैलेन्स की कला द्वारा ब्लैसिंग की प्राप्ति | Avyakt Murli Churnings 14-04-2019 image

Earning Blessings through the Art of Balance | बैलेन्स की कला द्वारा ब्लैसिंग की प्राप्ति | Avyakt Murli Churnings 14-04-2019

हम प्रेम-स्वरूप बच्चों से प्यार का सागर मिलने आए हैं, यह प्रेम के सम्बन्ध की महफिल है, जो राहत-राह-प्राप्ति-प्रोपर्टी सब दिलाता… सभी की याद, प्यार, लक्ष्य श्रेष्ठ है (108 की माला में आना, लक्ष्मी-नारायण बनना)… फिर भी सदा एकरस-उड़ती कला के अनुभवी, बाबा के प्यार में सूद-बूद खोये नहीं रहते… क्योंकि बैलेन्स की कमी है, इसलिए ब्लैसिंग नहीं मिलती और मेहनत करनी पड़ती

बैलेन्स से ब्लैसिंग!

कौन से बैलेन्स?

  1. याद और सेवा का बैलेन्स, अर्थात याद में रह सेवा करना… Priority याद को, ऎसे नहीं समय मिला तो याद करेंगे
  2. इस बैलेन्स से स्वतः स्वमान और निर्मानता का बैलेन्स रहता… ज्ञान का नशा भी आवश्यक है, साथ मेंं कारावनहार बाप की स्मृति निमित्त-निर्मान रखती
  3. अलौकिक-ईश्वरीय सेवा की जिम्मेवारी निभाते भी डबल लाइट, बाबा करा रहे हैं… जीतना न्यारा, उतना प्यारा
  4. श्रेष्ठ अनुभव द्वारा श्रेष्ठ ज्ञानी-योगी-सेवाधारी बनने के नशे के साथ याद रखना है… कि हमें हर पल उड़ती कला-उन्नति के अनुभवी, सर्व के लिए एक्जैम्पुल बनना है

और पॉइन्ट

1. बॉम्बे से मुलाकात…ऎसा अविनाशी खज़ानों के खान की प्राप्ति के सम्पत्ति-वान बनना है, कि स्थूल सम्पत्ति वाले भी हमको देख अपना अविनाशी भाग्य बनाने की प्रेरणा ले… हमनेेे तो माया को सागर के तले में डाल दिया है… अब तो सिर्फ, सर्व के लिए example बन, मम्मा-बाबा की सेवाओं का श्रेष्ठ रिटर्न देना है

2. बाबा ने हमें रूहानी जिम्मेवारी का ताज दिया है… यह जितना बड़ा, उतना ही हल्का, सुखदाई, खुशी देने वाला ताज है… यह हर कर्म में साथ रहता, और सतयुग में भी साथ आता, एसी wonderful ताजपोशी बाबा ने हमारी करा दी है!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं प्यार का सागर हमारे लिए आया है, तो हम भी सदा याद द्वारा निर्मान, डबल लाइट, उड़ती कला अर्थात सदा शान्ति प्रेम आनंद के अनुभवी बन… सर्व को श्रेष्ठ प्राप्तियां कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प | 150 thoughts for becoming soul-conscious

आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प | 150 thoughts for becoming soul-conscious image

आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प | 150 thoughts for becoming soul-conscious

आत्मा-अभिमानी बनना, हमारे इस सहज राजयोगी जीवन का मुख्य फ़ाउंडेशन है… तो इसे और सहज करने, आपको आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प भेज रहे हैं… इन्हें बहुत रूहानी स्नेह से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

मैं आत्मा हूँ!

मैं आत्मा, रूह, प्राण, चैतन्य शक्ति, ऊर्जा, soul, spirit, consciousness, conscient-energy, life-force, being हूँ… स्थूल 5 तत्वों से परे, बिल्कुल हल्की हूँ

मैं अजर, अमर, अविनाशी, चैतन्य सत्ता हूँ… सत्-चित्त-आनंद स्वरूप

आत्मा का रूप!

मैं निराकार… बिंदी… ज्योति स्वरूप… बिन्दु स्वरूप… ज्योति-बिन्दु स्वरूप… Point of light-might… प्रकाश का पुंज… चमकती मणि… दिव्य सिताराअमूल्य हीरादियाखुशबूदार फूल हूँ

मैं आत्म-अभिमानी हूँ

मैं ज्ञान स्वरूप, पवित्र स्वरूप, शान्त स्वरूप, प्रेम स्वरूप, खुश, सुख स्वरूप, आनंद स्वरूप, शक्ति स्वरूप… सतोगुणी, सतोप्रधान, दिव्य आत्मा हूँ

मैं देही-अभिमानी हूँ

मैं देह से उपराम, न्यारी, detached हूँ… यह देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… भ्रूकुटी के बीच विराजमान… भ्रूकुटी की कुटिया, गुफा में अकालतख्त-नशीन हूँ

इस शरीर को चलाने वाली… शरीर की मालिक… आँखों द्बारा देखने वाली… कानों द्वारा सुनने वाली… मुख द्वारा बोलने वाली… शरीर द्वारा कर्म करने वाली शक्ति आत्मा हूँ…

मैं सोचती-महसूस करती… निर्णय लेती… कर्म कर… अनुभव करती… मैं आत्मा ही सबकुछ करती… मुझमे ही संस्कार है

मैं दिव्य मूर्ति, शरीर मन्दिर है… मैं हीरा, शरीर डिब्बी… मैं एक्टर, शरीर वस्त्र है… मैं ड्राइवर, शरीर गाड़ी… और 51 ऎसे संकल्प

आत्मिक दृष्टि!

सभी आत्माएं है… बाबा भी परम-आत्मा है… सभी एक बाप के बच्चे, मेरे भाई-भाई है… सभी आत्माएं सुखी हो / कल्याण हो / आगे बढ़े / खुश रहे / बाबा से जुड़कर, सर्व-प्राप्ति सम्पन्न बने

(बातें करते वक्त) मैं आत्मा से बात कर रही हूँ… कानों द्वारा सुनती हूँ

(फोन use करते)… आत्मा का फोन है, मैं आत्मा से बात कर रही हूँ

आत्मा का पार्ट!

मैं परमधाम-निवासी… अशरीरी… विदेही हूँ… शरीर में प्रवेश कर पार्ट बजाती… इस देह में अवतरीत हुई हूँ… एक शरीर छोड़ दूसरा लेती हूँ…

मैं देव आत्मा, महान आत्मा, विश्व कल्याणकारी, फरिश्ता, हीरो एक्टर हूँ…

मैं जहान का नूर, बाबा की नैनों का नूर, मास्टर ज्ञान सूर्य, मास्टर पवित्रता का सूर्य, मस्तक मणि, स्वराज्य अधिकारी, श्रेष्ठ आत्मा हूँ

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन सभी संकल्पों का प्रयोग कर निरन्तर आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित रह, सदा शान्ति प्रेम आनंद का अनुभव करते रहे… औरों को भी यह खज़ानें बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

https://youtu.be/TZpeoMvJ2lo

गीत: मैं जगमगाती…

गीत: मस्तक सिंहासन पे हम आत्माएं…

गीत: भ्रूकुटी की कुटिया में…


Also read:

Thanks for reading this article on ‘आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प | 150 thoughts for becoming soul-conscious’

Accepting Baba’s Welcome | Sakar Murli Churnings 13-04-2019

Accepting Baba’s Welcome | Sakar Murli Churnings 13-04-2019

1. श्रीमत अनुसार पतित-पावन बाबा को याद करने से आत्मा पावन बनती, और (साथ में चक्र घुमाने से) स्वतः समझदार, सुखी, धनवान, विश्व का मालिक बनते

2. हमारा बहुत ऊंच कुल हैै, जिन्हे इस संगम पर सच्चा सत का संग मिला हैै… तो इस माया की खारी चैनल, 5 विकारों रूपी रावण से बचे रहना है, पवित्र जरूर बनना है…

3. बन्धन-मुक्त बन सर्व का कल्याण करते रहना है, दिव्यगुण धाण करने है, लक्ष्य हो कि मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को दुःख नहीं देना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा स्वयं हमारा स्वागत (अर्थात सद्गति) करने आए हैं, तो हम भी उनके ज्ञान-योग को अपने जीवन में ऎसा स्वागत करे… कि सदा श्रेष्ठ स्थिति के अनुभवी दिव्य गुण-सम्पन्न बन, हम सबको आप समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | बाबा, मेरा सुप्रीम टीचर

योग कमेंटरी | बाबा, मेरा सुप्रीम टीचर image

योग कमेंटरी | बाबा, मेरा सुप्रीम टीचर

मैं Godly Student हूँ… स्वयं भगवान् मुझे पढ़ाते… सुप्रीम टीचर बनकर

दूर-देश परमधाम से आते, खास मेरे लिए… मुझे रोज़ पढ़ाते… ज्ञान रत्नों से श्रृंगारते हैं

बाबा knowledgeful… ज्ञान का सागर है… मेरी ज़ोली भी ज्ञान रत्नों से भरपूर कर… मास्टर ज्ञान सागर बना दिया है

मुझे अपने से भी बेहतर जानते… मेरे आज के सारे दिन के लिए… सर्वश्रेष्ठ मत देते हैं

बाबा त्रिकालदर्शी है… मेरा आने वाला भविष्य भी जानते … उसी अनुसार मत देते हैं…

मुझे सच्ची दिल से उनकी शिक्षाएं धारण करनी है… सदा सुरक्षित… और पद्मापद्म भाग्यवान बनने लिए… ओम् शान्ति!

गीत : भगवान् तुम्हारा ज्ञान सिमरकर…


और योग कमेंटरी:

Thanks for reading this meditation commentary on ‘बाबा, मेरा सुप्रीम टीचर’

Coming first in Satyuga | Sakar Murli Churnings 12-04-2019

Coming first in Satyuga | Sakar Murli Churnings 12-04-2019

1. बाबा आए है सारी पुरानी दुनिया का जगदा-हाहाकार मिटाकर जयजयकार अथवा विश्व में शान्ति स्थापन करने… तो हममें तो khitpit जरूर नहीं होनी चाहिए…

2. सबकुछ खत्म होने से पहले, ब्रह्मा बाप समान पूरा बेगर बन सच्चा योगी बनना है… हम तो पद्मापद्म भाग्यशाली है, जो स्वर्ग का सम्पूर्ण सुख देखेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सतयुग में पहले-पहले आकर सम्पूर्ण सुख देखने लिए, ऎसा श्रेष्ठ योगयुक्त बन जाएँ… तो न सिर्फ हमारी अब की स्थिति सदा श्रेष्ठ रहेंगी, परन्तु औरों को भी श्रेष्ठ अनुभवी-धारणामूर्त बनाकर, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

सूक्ष्मवतन का अनुभव करने लिए 150 संकल्प | 150 thoughts for experiencing the Subtle World

सूक्ष्मवतन का अनुभव करने लिए 150 संकल्प | 150 thoughts for experiencing the Subtle World

सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्वरूप की अनुभुती करना और बापदादा मिलन मनाना… हमारे इस सहज राजयोगी जीवन के बहुत सुन्दर, आनंद-मय, सहज अभ्यास है

तो इन्हें और सहज करने, आज आपको सूक्ष्मवतन का अनुभव करने लिए 150 संकल्प भेज रहे हैं… इस विशेष सतगुरूवार की सौगात को बहुत प्यार से बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

सूक्ष्मवतन का अनुभव

  • आकाश से ऊपर, सूर्य-चंद्र-तारागण-अन्तरिक्ष से भी पार… यह सफेद प्रकाश की दुनिया है… चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है, जैसे हजारों चंद्रमा की रोशनी
  • यह सूक्ष्मवतन, सूक्ष्म लोक, अव्यक्त वतन… आकारी दुनिया, Subtle World, Subtle Region… मूवी वर्ल्ड है
  • यहां कोई आवाज नहीं, संकल्पों-इशारों की भाषा है
  • कोई स्थूलता नहीं, 5 तत्व, हड्डी-मास आदि … फरिश्तों की दुनिया है

फरिश्ता स्वरूप!

  • मैं फरिश्ता, angel हूँ
  • मेरा सूक्ष्म आकारी चोला, लाइट का कार्ब, प्रकाशमय काया, चमकीली ड्रेस, energy body, aura है
  • मैं हल्का, डबल लाइट हूँ… पारदर्शी हूँ, मुझे कोई छू भी नहीं सकता… बन्धन-मुक्त, निर्बंधन, स्वतन्त्र, आजा़द, उड़ता पंछी हूँ
  • मैं व्यक्त भान से परे, व्यक्तियों से भी परे, अव्यक्त स्थिति में स्थित… बिल्कुल शान्त हूँ
  • मैं उड़ती कला अर्थात सदा शान्ति, प्रेम, आनंद की अनुभवी हूँ
  • मैं ईश्वरीय ज्ञान, गुण, शक्तियों, नशे से सम्पन्न हूँ… ब्रह्मा बाप-समान सम्पन्न-सम्पूर्ण हूँ
  • मेरे चारों ओर लाइट फैल रही है… मैं लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूँ
  • मैं सबको शुभ भावना, दुआ, आशीर्वाद, वरदान देता हूं… बाबा का राइट हैड हूँ
  • मैं अर्श निवासी फरिश्ता, सूक्ष्मवतन से अवतरित हुआ हूँ… सब का कल्याण, विश्व कल्याण के लिए, सतयुग स्थापन करने
  • फ़र्श से कोई रिश्ता नहीं, सर्व रिश्ते एक बाप से.. देह-दुनिया से परे, न्यारा, उपराम, अनासक्त, ऊंच, अलौकिक हूँ

बापदादा का अनुभव!

  • बापदादा परम-फरिश्ता है, ज्ञान सूर्य-चंद्रमा कम्बाइन्ड है, लाइट स्वरूप
  • उनकी सूक्ष्म उपस्थिति, बहुत सुखदाई वाइब्रेशन अनुभव हो रहे हैं
  • मुझे बुला रहे हैं… देख रहे हैं, दृष्टि दे रहे हैं… वरदानी हाथ सिर पर है, विजय का तिलक लगा रहे हैं
  • मेरे हाथों में हाथ है, उनका साथ अनुभव कर रहा हुँ, सर्व सम्बन्धों से (मात, पिता, शिक्षक, सतगुरु, बड़ा भाई, सखा, साजन, सर्जन, बच्चा)
  • मुझे प्यार-पुचकार-दुलार देते… मैं बाबा को थैंक्स कहता… सारे बोझ दे देता… समर्पित हो जाता
  • बाबा ने मुझे ताज-तख्त-तीलकधारी बना दिया है… अपना सिरमोर, मस्तक मणि, नैनों का नूर, गले का हार, दिल-तख्त-नशीन, भुजा बना दिया है

ग्लोब को सकाश

  • मैं पूरे ग्लोब को सकाश दे रहा हुँ… बाबा के साथ घूमकर…
  • सबका भला हो, कल्याण हो, आगे बढ़े, प्रगति हो, सफलता मिले… शांत, खुश, सन्तुष्ट, सुखी रहे… दुःख-दर्द-पीडा़-तकलीफ-बीमारी-क्लेश से मुक्त हो… उनका भी प्रभु मिलन हो जाएँ, वर्से के अधिकारी बन जाएँ, जन्म-जन्मान्तर के लिए

भिन्न-भिन्न समय

  • भोजन पहले… मैं बापदादा को भोग स्वीकार करा रही हूँ, उनके मस्तक से पवित्र किरणें भोजन पर पड़ रही है
  • भोजन करते… मैं बाबा को खिला रही हूँ, बाबा मुझे खिला रहे हैं
  • रात को… बाबा ने मेरा लाइट का बिस्तर तैयार किया है, उनकी गोद में सो जाता हूँ, बाबा हाथ फेर रहे हैं
  • सुबह… बापदादा को गुड़मॉर्निंग

और कोई संकल्प आए तो… (उस योग-अभ्यास के कुछ मिनटों में)

  • पास्ट / समस्याओं के विचार…. कुछ देर बाद सोचेंगे
  • कोई देहधारी की याद… वह आत्मा है, बाबा के बच्चे, फरिश्ते है… मुझे बाबा के साथ रहना है… उन्हें देना है
  • स्थूल दुनियावी बातें… मैं तो सूक्ष्मवतन में हूँ
  • देह की बातें… मैं तो फरिश्ता हूँ
  • व्यर्थ बातें… मुझे तो ज्ञान-चिन्तन करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन सुन्दर संकल्पों के अभ्यास द्वारा बिल्कुल हल्के, शान्ति प्रेम आनंद की अनुभूति से भरपूर रहे… इन्हें औरों को भी शुभ-भावना दुआओं द्वारा बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


बहुत सुन्दर विडियो योग कमेंटरी – फरिश्ता स्वरूप की अनुभूति – Sheilu Behn

https://youtu.be/RINyKmZ_hBY

1) गीत: फरिश्ते है हम…

2) गीत : फरिश्ता रूप रचकर…

3) गीत: मेरे मन फरिश्ता बन…

4) गीत: एक फरिश्ता आया है…